बिहार राज्य का हर एक क्षेत्र अपने आप में ऐतिहासिक और आध्यात्मिक महत्व रखता है।
पुराणों में भगवन शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंगों का काफी महत्व है। इसके अलावे भी कई सिद्ध और प्राचीन शिव मंदिर है जहाँ से भक्तों की आस्था जुड़ी है। अखंड बिहार में देवघर के बाद जो ख़ासा प्रसिद्ध शिव मंदिर है वो है मुजफ्फरपुर शहर के बीचोबीच स्थित बाबा गरीबनाथ मंदिर।
सैंकड़ो सालों से यह स्थान लोगों को आकर्षित कर रहा है। यह मंदिर यहाँ कब से है किसी को ठीक ठीक नहीं पता।
पर स्थानीय लोगों के अनुसार लगभग 200 साल के करीब से उनके पूर्वज बताया करते थे। लोकमान्यता है की गर्वगृह में अवस्थित स्वयंभू शिवलिंग कामनालिंग है। इसीलिए हाजीपुर के पहलेजा घाट से पैदल चल कर श्रद्धालु बाबा पे गंगा जल अर्पण करते हैं।मंदिर प्रांगण में स्थित एक वट वृक्ष के विषय में मुख्य पुजारी पंडित विनय पाठक जी बताते हैं की, यह पेड़ यहाँ शिवलिंग के प्रकट होने से भी पहले से है। सालों पहले यहाँ घना वन हुआ करता था, तभी खुदायी के दौरान गरीबनाथ नामक एक किसान ने भूमि पे हल चलाया तो हल किसी पत्थर से टकराया।
उसने मिट्टी हटा कर देखा तो एक शिव लिंग के आकार का यह पत्थर निकला, जिसका ऊपरी आधा भाग हल की चोट से टूट चूका था और उससे रक्त जैसा पदार्थ रिसने लगा। यह देख किसान डर गया। उसके बाद भगवान् शिव ने उसे स्वयं दर्शन दे कर उसे यहाँ मंदिर निर्माण का आदेश देकर आशीषित किया।जैसे जैसे सूचना और प्रसार का विकास हुआ गरीबनाथ मंदिर की प्रसिद्धि दूर दूर तक फैलने लगी।
जिसके बाद पुराने मंदिर का जीर्णोद्धार का काम पूरा हुआ। मंदिर में शिव पार्वती के अलावे अन्य देवी देवताओं की भी मूर्तियों की स्थापना की गयी है। काफी काम क्षेत्रफल में है। पर जल निकासी की आधुनिक व्यवस्था की गयी है। सावन महीने के दौरान वैद्यनाथ धाम से कम नहीं प्रतीत होती है मुजफ्फरपुर की छटा।इस प्राचीन मंदिर के आस पास और शहर के बाहरी स्थानों पर सैंकड़ो कांवरिया सेवा शिविर की प्रशासन के द्वारा लगाए जाते है।
सावन सोमवार की संध्याओं को बाबा का अलग अलग प्रकार से मनमोहक श्रृंगार किया जाता है। और पूर्णिमा को हीम लिंग का निर्माण होता है। प्रत्येक सुबह डमरू, करताल, मृदंग, घंटे के धुन के बीच होने वाली षोडशोपचार पूजन, आरती और फूलों का श्रृंगार ख़ास है। रविवार और सोमवार को यहाँ ज्यादा भीड़ होती है। पूजा सामग्री, नैवेद्यं प्रसाद,फूल बेलपत्र, गहनों और अन्य चीज़ों की कई सारी दुकाने यहाँ उपलब्ध है। मुजफ्फरपुर के सरैयागंज टावर से १ और मुजफ्फरपुर जंक्शन से महज दो किलो मीटर की दूरी पर स्थित है गरीब नाथ मंदिर।
देश ही नहीं विदेश से भी श्रद्धालु बिहार आते हैं, तब बाबा के दर्शन करने के लिए मुजफ्फरपुर पधारते है।
सन 2012 में डी जी पी गुप्तेश्वर पांडेय के पहल से मंदिर न्यास को बिहार के पर्यटन विभाग के आधीन किया गया।
जिसके बाद पुराने मंदिर का जीर्णोद्धार का काम पूरा हुआ। मंदिर में शिव पार्वती के अलावे अन्य देवी देवताओं की भी मूर्तियों की स्थापना की गयी है। काफी काम क्षेत्रफल में है। पर जल निकासी की आधुनिक व्यवस्था की गयी है। सावन महीने के दौरान वैद्यनाथ धाम से कम नहीं प्रतीत होती है मुजफ्फरपुर की छटा।इस प्राचीन मंदिर के आस पास और शहर के बाहरी स्थानों पर सैंकड़ो कांवरिया सेवा शिविर की प्रशासन के द्वारा लगाए जाते है।
सावन सोमवार की संध्याओं को बाबा का अलग अलग प्रकार से मनमोहक श्रृंगार किया जाता है। और पूर्णिमा को हीम लिंग का निर्माण होता है। प्रत्येक सुबह डमरू, करताल, मृदंग, घंटे के धुन के बीच होने वाली षोडशोपचार पूजन, आरती और फूलों का श्रृंगार ख़ास है।
रविवार और सोमवार को यहाँ ज्यादा भीड़ होती है। पूजा सामग्री, नैवेद्यं प्रसाद,फूल बेलपत्र, गहनों और अन्य चीज़ों की कई सारी दुकाने यहाँ उपलब्ध है। मुजफ्फरपुर के सरैयागंज टावर से १ और मुजफ्फरपुर जंक्शन से महज दो किलो मीटर की दूरी पर स्थित है गरीब नाथ मंदिर।