बर्फ किसे अच्छी नहीं लगती। हर व्यक्ति यही चाहता है कि पहाड़ों पर घूमने जाएं और बर्फबारी का दीदार हो जाए। खासकर मैदानी इलाकों के लोगों में बर्फ देखने की चाहत ज्यादा होती है। आमतौर पर बर्फबारी का दीदार भरी सर्दी में ही हो पाता है, लेकिन देश के कुछ ऊंचाई वाली जगहों पर पूरे सालभर बर्फ की चादर बिछी रहती है। इन स्थानों पर भरी गर्मी में भी बर्फ का लुत्फ उठाया जा सकता है।

रोहतांग से खूबसूरत है साच पास

अपनी खूबसूरती और रोमांच के कारण ये टूरिस्ट्स की पसंदीदा जगहों में से एक है। साच पास रोहतांग दर्रा से भी खूबसूरत है। जून-जुलाई के महीने में भी साच पास में बर्फ की मोटी चादर देखी जा सकती है। गर्मियों में भी यहां बर्फ की ऊंचाई करीब 10 से 15 फीट तक होती है। जहां बर्फबारी का जमकर आनंद उठा सकते हैं। जून-जुलाई में यहां का तापमान भी जीरो डिग्री से नीचे रहता है। साच पास से होते हुए पांगी घाटी पहुंचकर वहां के खूबसूरत नजारों को बखूबी निहारा जा सकता है।

हर मोड़ पर रोमांच

साच दर्रा हिमाचल प्रदेश के चंबा जिला के चुराह व पांगी उपमंडलों को आपस में जोड़ता है। साच पास 14,500 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। इसका सफर काफी रोमांच से भरा हुआ है। जैसे-जैसे सतरूंडी से आगे ऊंचाई पर चढ़ते जाते हैं, वैसे-वैसे हर मोड़ पर नया रोमांच देखने को मिलता है। कई जगहों पर जहां खड़ी चढ़ाई का सामना होता है, तो कुछ जगह कल-कल बहते झरनों के नीचे से होकर गुजरना पड़ता है। ऐसे ही कई दूसरे एक्सपीरियंस टूरिस्ट को सफर के दौरान देखने को मिलते हैं।

साल में पांच माह ही खुलता है साच पास

साच पास को खोलने और उसकी रखरखाव का जिम्मा लोक निर्माण विभाग के पास है। जैसे ही गर्मी का सीजन आता है, तो लोक निर्माण विभाग द्वारा साच पास को खोलने के लिए मशीनरी लगाई जाती है। साच टूरिस्टों के घूमने के लिए जून माह में खुलता है और अक्टूबर में फिर से बंद हो जाता है। इस बीच यहां पर्यटकों की खूब आवाजाही रहती है। साथ ही जब देश में शरीर को झुलसाने वाली गर्मी पड़ रही होती है तब साच पास पर बर्फबारी का आनंद लिया जा सकता है।

कैसे पहुंचें

अगर आप हिमाचल प्रदेश के बाहर से साच पास पहुंचना चाहते हैं, तो सबसे पहले पठानकोट पहुंचना होगा। उसके आगे दुनेरा या नूरपुर से चंबा की सीमा में सड़क मार्ग से दाखिल होंगे। इसके बाद वाया डलहौजी होते हुए तीसा मुख्यालय पहुंचें। इससे आगे साच पास का सफर शुरू होगा। साच पास डलहौजी से 175 किमी. दूर है। इसके अलावा, चंबा होते हुए भी पहुंच सकते हैं। साच पास चंबा मुख्यालय से करीब 127 किमी. दूर है। चंबा से हिमाचल पथ परिवहन निगम की बसों, निजी वाहनों या टैक्सियों में साच का सुहाना सफर किया जा सकता है।

रूकने और खाने की दिक्कत

साच पास टूरिज़्म के लिहाज से अभी तक पूरी तरह डेवलप नहीं हो पाया है। इसी वजह से यहां रूकने और खाने-पीने की थोड़ी समस्या है। अगर साच जा रहे हैं, तो अपने साथ खाना लेकर ही जाएं। समय रहते या तो वापस बैरागढ़ की ओर रुख कर लें या पांगी के मुख्यालय किलाड़ की ओर निकल जाएं। खाने की व्यवस्था सतरूंडी से आगे नहीं है। साच के सफर पर जाने वाले अधिकतर पर्यटक डलहौजी में ही रुकते हैं। डलहौजी में अच्छे होटलों के साथ-साथ विश्राम गृह भी हैं।

ठहरने के लिए बैरागढ में विश्राम गृह हैं। पांगी में होटल व विश्राम गृह हैं।

Input : Dainik Jagran

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