मेजर गोगोई का गृहनगर पतकाई पहाड़ियों में जंगलों के बीच डिब्रूगढ़ से लगभग 80 किलोमीटर दूर स्थित है। यह इलाका कभी उल्फा आतंकियों की गतिविधियों का केंद्र था।
वर्तमान में यहां तीन बड़े औद्योगिक इकाइयां ब्रह्मपुत्र वैली फर्टिलाइजर कार्पोरेशन लिमिटेड, असम पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड और नामरूप थर्मल पावर स्टेशन स्थापित हैं। मेजर गोगोई के पिता धर्मेश्वर गोगोई नामरूप की सार्वजनिक क्षेत्र इकाई ब्रह्मपुत्र वैली फर्टिलाइजर कॉरपोरेशन से रिटायर हुए हैं।
वह इकाई के उत्पादन विभाग में काम करते थे। लीतुल ने डिब्रूगढ़ और शिलांग में पढ़ाई की और बाद में भारतीय सैन्य अकादमी से स्नातक किया। सेना के सूत्रों ने कहा कि वह 18 साल उम्र में सेना में शामिल हुए थे। देहरादून स्थित आर्मी कैडेट कॉलेज (एसीसी) से एक अधिकारी बनने से पहले करीब 9 वर्षों तक
उन्होंने असम रेजिमेंट की तीसरी बटालियन में बतौर जवान अपनी सेवाएं दीं। दिसंबर 2008 में गोगोई को लेफ्टिनेंट नियुक्त किया गया था।

चर्चा का विषय बने गोगोई
मेजर गोगोई देशभर में उस वक्त चर्चा का विषय बन गए थे, जब 9 अप्रैल को श्रीनगर में लोकसभा उप चुनाव के मतदान के दौरान सेना का एक वीडियो सामने आया था। इसमें एक स्थानीय शख्स को सेना की जीप के आगे बंधा हुआ दिखाया गया था, जिससे पत्थरबाजों ने सेना के काफिले पर हमला नहीं किया था। सेना प्रमुख बिपिन रावत ने आतंकवाद-विरोधी अभियानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए मेजर गोगोई की पीठ थपथपाई और प्रशस्ति पत्र देकर उन्हें सम्मानित भी किया था।
क्या है ताजा मामला
मई में मेजर गोगोई के अपनी एक महिला दोस्त के साथ एक होटल के रूम में जाने पर एक बार फिर से वह सुर्खियों में आए थे। श्रीनगर के डलगेट खनयार इलाके में स्थित होटल ग्रैंड ममता में असम निवासी मेजर लीतुल गोगोई के नाम पर एक कमरा ऑनलाइन बुक किया गया था। पुलिस का कहना है था कि सुबह 11 बजे होटल ममता से फोन पर सूचना मिली कि बीरवाह बडगाम से समीर अहमद एक स्थानीय युवती संग सैन्य अधिकारी से मिलने आया, लेकिन रिसेप्शन पर मौजूद होटलकर्मी ने उन्हें सैन्य अधिकारी के कमरे में जाने से मना कर दिया।
इस पर विवाद पैदा हो गया। पुलिस दल तुरंत मौके पर पहुंचा और समीर अहमद व युवती सहित सैन्य अधिकारी को हिरासत में ले लिया। पुलिस तीनों को थाने ले आई। पूछताछ और अन्य कानूनी कार्रवाई पूरा करने के बाद पुलिस ने सैन्य अधिकारी को उसकी यूनिट के हवाले कर दिया।
मेजर गोगोई सादे कपड़ों में थे। समीर के बारे में कहा जाता है कि वह पेशे से चालक है। कुछ लोगों का कहना है कि वह सेना में कार्यरत है। मामले को तूल पकड़ते देख आइजीपी (कश्मीर रेंज) डॉ. स्वयं प्रकाश पाणि ने एसपी (नॉर्थ) श्रीनगर को जांच का जिम्मा सौंपा था।
कोर्ट ऑफ इंक्वायरी के आदेश
अब इस मामले में मेजर लीतुल गोगोई की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं। होटल में महिला से मिलने के मामले में मेजर गोगोई के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के आदेश कर दिए गए हैं। वह श्रीनगर के एक होटल में महिला के साथ मिले थे। उन्हें निर्देशों के खिलाफ जाकर स्थानीय नागरिक से मेलमिलाप बढ़ाने और ऑपरेशनल एरिया में ड्यूटी के स्थान पर न पाए जाने के लिए जिम्मेदार ठहराया गया।
जवानों के लिए ये हैं दिशा-निर्देश
दरअसल, सेना के जवान या फिर अधिकारियों के लिए सख्त दिशा-निर्देश हैं। इसके तहत कोई भी जवान अपने अधिकारी को बिना बताए कहीं भी और कभी भी नहीं जा सकता है।
इसके अलावा जवान बिना सुरक्षा के भी कहीं नहीं जा सकते हैं। दरअसल, जम्मू कश्मीर समेत दूसरे ऐसे राज्य जो आतंकवाद की मार झेल रहे हैं और जहां पर आतंकी हमलों का सबसे अधिक अंदेशा होता है, वहां जवानों की सुरक्षा को लेकर इस तरह के नियम बनाए गए हैं। नियमानुसार जम्मू कश्मीर में तैनात जवान सिविलयन से खुलेआम भी नहीं मिल सकते हैं। उन्हें अपनी पहचान भी छिपानी होती है।
कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी
सेना में किसी तरह का अपराध या अनुशासनहीनता होने पर सबसे पहले कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी के आदेश जारी होते है। जांच में जिस भी सैन्यकर्मी या अफसर पर लगाए गए आरोप प्रमाणित होने तथा संगीन मामला होने पर जांच अधिकारी तुरंत ही सजा दे सकता है। इसके अलावा बड़ा मामला होने पर समरी ऑफ एविडेंस की अनुशंसा करता है।
समरी ऑफ एविडेंस
प्रारंभिक जांच में दोष सिद्ध होने पर सक्षम अधिकारी मामले के और सबूत जुटाने के लिए जांच करता है। इस आधार पर तुरंत सजा देने का भी प्रावधान है। इस दौरान सभी लीगल दस्तावेज एकत्रित होते है। जांच पीठासीन अधिकारी तुरंत सजा या कोर्ट मार्शल की अनुशंसा करता है।
कोर्ट मार्शल
कोर्ट मार्शल की प्रक्रिया शुरू होते ही आरोपी सैन्य अफसर या कर्मी को आरोपों की प्रति देकर उसे अपना वकील नियुक्त करने का अधिकार दिया जाता है। कोर्ट मार्शल भी चार तरह के होते हैं, जिनमें समरी कोर्ट मार्शल, डिस्ट्रिक्ट कोर्ट मार्शल, समरी जनरल कोर्ट मार्शल जनरल कोर्ट मार्शल शामिल हैं।
Input : Dainik Jagran