यदि बिहार विद्यालय परीक्षा समिति (बिहार बोर्ड) पहले ही संभल गई होती तो उसकी इतनी फजीहत नहीं होती। लेकिन, उसने अपनी गलती नहीं मानी। अब बोर्ड की लापरवाही साबित होने पर पटना हाईकोर्ट ने उस पर पांच लाख का जुर्माना लगाया है। साथ ही कोर्ट ने मैट्रिक परीक्षार्थी भाव्या को एक अंक बढ़ाने को कहा है। इसके बाद भाव्या 2017 की मैट्रिक परीक्षा में संयुक्त टॉपर हो जाएगी।

बिहार बोर्ड ने 2017 की 10वीं (मैट्रिक) की परीक्षा का रिजल्ट 22 जून को प्रकाशित किया था। इसमें लखीसराय के प्रेम कुमार ने 465 अंक प्राप्त कर पहला स्थान प्राप्त किया था। जबकि, सिमुलतला के आवासीय स्कूल में पढऩे वाली भाव्या 464 अंक लाकर दूसरे स्थान पर थी। लेकिन, उक्त छात्रा अपने प्राप्तांक से संतुष्ट नहीं थी। बोर्ड ने उनकी बात नहीं मानी तो तो वह पटना हाईकोर्ट चली गई।

जांच में यह बात साबित हुई कि बोर्ड की लापरवाही के कारण उसे एक अंक नहीं दिया गया था। कोर्ट ने सुनवाई की पिछली तिथि को आगाह कर दिया था कि बोर्ड एक अंक बढ़ा दे, लेकिन बोर्ड इसके लिए तैयार नहीं हुआ। बोर्ड का कहना था कि दो छात्रों को टॉपर घोषित नहीं किया जा सकता है।

इसके बाद बुधवार को न्यायाधीश चक्रधारी शरण सिंह की पीठ ने भाव्या कुमारी की याचिका पर फैसला सुनाते हुए बिहार बोर्ड पर पांच लाख रूपये का जुर्माना लगाया। जुर्माने की राशि सिमुलतला आवासीय विद्यालय के प्राचार्य को दी जाएगी। प्राचार्य को दी जाने वाली इस राशि का उपयोग विद्यालय के विकास कार्य में होगा।

भाव्या कुमारी की शिकायत थी कि उसे हिन्दी में एक अंक कम दिया गया था। बात कोर्ट तक पहुंची। बिहार बोर्ड के वकील का कहना था कि आवेदिका ने उस विषय में क्रूटनी के लिए आवेदन ही नहीं दिया है, फिर एक अंक किस हैसियत से बढ़ा दिया जाए? यह तो इत्तफाक था कि आरटीआइ के माध्यम से कॉपी मंगाई गई तो पता चला कि जिसमें अंक मिलना चाहिए मिला ही नहीं। यदि कोर्ट के कहने पर बोर्ड ने एक अंक दे दिया होता तो उसे पांच लाख रुपये का जुर्माना नहीं देना पड़ता।

Input : Jagran

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