नवरात्र की महाअष्टमी पर बुधवार को मां दुर्गा के आठवें स्वरूप महागौरी की आराधना की गई। महाअष्टमी पर श्रद्धालुओं ने उपवास रखा। इस अवसर पर विभिन्न पूजा स्थलों पर कन्या पूजन किया गया। ब्रह्मपुरा लक्ष्मी चौक स्थित फलित दर्शन ज्योतिष अनुसंधान केंद्र व नवयुवक पूजा समिति बड़ी कोठियां भगवती स्थान पर मां के नव स्वरूपों का पूजन कन्याओं के रूप में किया गया। मंत्रोच्चारण और जयघोष से वातावरण भक्तिमय बना रहा।

माता का खोइंछा भरने के लिए देवी मंदिरों व पूजा-पंडालों में महिला श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी। माता से परिवार की सुख-समृद्धि व धन-धान्य का आशीर्वाद मांगा। अघोरिया बाजार, हरिसभा मंदिर, कल्याणी चौक, छाता चौक, देवी मंदिर, गोला रोड दुर्गा मंदिर, जूरनछपरा स्थित पूजा-पंडालों में दर्शन के लिए भीड़ उमड़ रही थी। मां के दरबार की आभा श्रद्धालुओं का मन मोह रही थी। संध्या में आरती और रात्रि में निशा पूजा की गई। पं. प्रभात मिश्र ने बताया कि शास्त्रों में कन्या पूजन का बहुत महत्व है। इसमें दो वर्ष से लेकर 11 वर्ष तक की कन्या पूजन का विधान है। दो वर्ष की कुमारी, तीन वर्ष की त्रिमूर्ति, चार वर्ष की कल्याणी, पांच वर्ष की रोहिणी, छह वर्ष की बालिका, सात वर्ष की चंडिका, आठ वर्ष की शाम्भवी, नौ वर्ष की दुर्गा और दस वर्ष की कन्या सुभद्रा कहलाती है। उन्होंने बताया कि सभी शुभ कार्यों का फल प्राप्त करने के लिए कन्या पूजन किया जाता है। कुमारी पूजन से सम्मान, लक्ष्मी, विद्या और तेज प्राप्त होता है। इससे विघ्न, भय और शत्रुओं का नाश भी होता है।

आचार्य अखिलेश कुमार ओझा ने बताया कि अष्टमी तिथि मंगलवार की रात्रि 1:48 बजे से शुरू हुई, जो बुधवार की रात्रि 11:48 बजे तक थी। इसके पश्चात नवमी तिथि शुरू हो जाएगी, जो गुरुवार की रात्रि 9:52 बजे तक रहेगी। अष्टमी व्रत व निशा पूजन बुधवार को ही किया गया। शारदीय नवरात्र की अष्टमी तिथि की रात खास होती है। तांत्रिक जगत में इस रात महागौरी का पूजन किया जाता है। वहीं, नवमी तिथि पर श्रद्धालु हवन यज्ञ करेंगे। कुमारी कन्याओं का पूजन कर स्वादिष्ट व्यंजन खिलाकर उनसे आशीर्वाद प्राप्त करेंगे।

Source: Live Hindustan

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