साइबर क्राइम व फ्रॉड के मामलों पर लगाम लगाने की जिला पुलिस ने तैयारी शुरू कर दी है. जिले में साइबर सेल के दो अलग-अलग यूनिट खोले जायेंगे. इसकी तैयारी अंतिम चरण में है. यूनिट में शामिल किये गये पुलिसकर्मियों की ट्रेनिंग पूरी हो गयी है. मुजफ्फरपुर में अभी 1500 से अधिक साइबर क्राइम व एटीएम फ्रॉड के केस लंबित हैं.
दोनों यूनिट के सक्रिय होने के बाद लंबित कांडों के निष्पादन में तेजी आयेगी. इसके साथ-साथ सोशल मीडिया पर अफवाह फैलाने वाले को चिह्नित कर उस पर सटीक कार्रवाई की जायेगी. एसएसपी मनोज कुमार ने बताया कि यूनिट के गठन की कवायद अंतिम चरण में है. इसके लिए पुलिसकर्मियों का साक्षात्कार ले लिया गया है. मुख्यालय से कई तरह के सॉफ्टवेयर व कंम्प्यूटर आदि भी मुहैया करा दी गयी है. इसी माह से दोनों यूनिट कार्यरत हो जायेगी.
साइबर सेल के गठित होने के बाद पीड़ितों में न्याय की उम्मीद जगी है. साइबर अपराधी जिले के शहरी क्षेत्र से लेकर देहाती क्षेत्र तक लोगों को लगातार निशाना बना रहे हैं. किसी से एटीएम केंद्र पर तो किसी को फोन कर खाते से राशि उड़ायी जाती है. डॉक्टर, इंजीनियर, बैंककर्मी और पुलिस पदाधिकारी को भी साइबर अपराधी अपने जाल में फांस कर खाते सेराशि साफ कर रहे हैं. पीड़ित संबंधित थाने में प्राथमिकी दर्ज कराते हैं, लेकिन तीन वर्षों में पुलिस किसी भी मामले का उद्भेदन नहीं कर सकी है.
जिले में साइबर क्राइम के 1500 मामले, हर साल बढ़ रहा साइबर क्राइम का ग्राफ
थाने में दर्ज आंकड़ों पर गौर करें, तो साइबर अपराध के बढ़ने की पुष्टि हो रही है. ढाई वर्षों में साइबर क्राइम को अंजाम देनेवाले अपराधियों ने सैकड़ों लोगों के खाते से कुल 1 करोड़, 21 लाख, 61 हजार, 800 रुपये उड़ा लिये. इसमें वर्ष 2016 में साइबर अपराधियों ने पीड़ितों के खाते से 28 लाख, 26 हजार, 100 रुपये, वर्ष 2017 में 58 लाख, 62 हजार, 700 रुपये और वर्ष 2018 के अगस्त माह तक 35 लाख, 77 हजार, 200 रुपये की निकासी और शॉपिंग कर ली.
Input : Prabhat khabar