भगवान राम पर दिए अपने बयान से हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) अध्यक्ष जीतनराम मांझी घिरते जा रहे हैं। शुक्रवार को विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) ने कहा है कि मांझी ने अपना राजनीतिक हित साधने के लिए रामभक्तों के साथ देश के संविधान, सर्वोच्च न्यायालय, हिन्दू समाज व महर्षि वाल्मीकि का अपमान किया है। विहिप के प्रदेश अध्यक्ष व श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास, अयोध्या के न्यासी कामेश्वर चौपाल ने पटना में मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि कुछ लोग स्वयं को दलित समुदाय का मसीहा बताने की जुगत में हैं, किन्तु दलितों पर जब इस्लामिक जिहादियों के हमले होते हैं तब इनके मुंह में दही क्यों जम जाता है? चौपाल ने कहा है कि मांझी को अपने बयान पर अविलंब माफी मांगनी चाहिए।

कामेश्वर चौपाल ने कहा कि ऐसे अनर्गल प्रलाप से पहले बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी को भारत के संविधान के प्रथम पृष्ठ पर छपे राम दरबार, राम जन्मभूमि के संबंध में दिए गए सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय, वाल्मीकि रामायण तथा बिहार, झारखंड के वनवासी समाज की आस्था का तो ध्यान रखना चाहिए। चौपाल ने कहा कि मांझी ने भगवान राम के 14 वर्ष के साथी वनवासी-गिरिवासी बंधु-भगिनियों के साथ महर्षि वाल्मीकि, भक्त निषादराज व माता शबरी का भी घोर अपमान किया है।
बिहार विहित अध्यक्ष ने कहा कि रामराज्य की कल्पना करने वाले पूज्य महात्मा गांघी, डा. राम मनोहर लोहिया के साथ उन करोड़ों राम भक्तों का भी मांझी ने अपमान किया है, जिन्होंने इसी वर्ष श्रद्धा व समर्पण भाव से राम जन्मभूमि मंदिर के लिए निधि समर्पित की। चौपाल ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी सत्ता की राजनीति करते हैं। भगवान राम के नाम का अपमान राष्ट्र का अपमान है। राम राष्ट्र नायक हैं। भगवान राम के विषय में बोलने से पहले मांझी को सोचना चाहिए। चौपाल ने कहा कि राम थे, राम हैं और राम रहेंगे।
Source: Dainik Jagran
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