सरकार की नीतियों का विरोध हो या प्रशासन की कार्यप्रणाली का। विरोध प्रदर्शन के लिए सड़क जाम करने से परेशान आम आदमी होता है। प्रशासन से या सरकार की नीतियों से नाराजगी है तो विरोध इस कदर किया जाए, जिससे शासन-प्रशासन को समस्या हो। सड़क जाम करना और टायर जलाना एक फैशन सा बनता जा रहा है हमें विरोध के इन गलत तरीकों को बदलने की जरूरत है।

जिस आम जनता के अधिकारों के लिए राजनीतिक दलों समेत जनता सड़क पर उतरती हैं, विरोध प्रदर्शन करते हैं, सड़कें जाम की जाती हैं, टायर जलाया जाता है इससे काफी हद तक परेशानी आम जनता को ही होती है। इसका खामियाजा आम जन को ही भुगतना पड़ता है।

महंगाई मुद्दा जब विरोध से नहीं टूटा तो कांग्रेस के नेतृत्व में अन्य विपक्षी पार्टियों ने जगह-जगह चौक-चौराहों पर इसे टायरों से जलाने की शुरुआत की। सोमवार को पूरे शहर में विभिन्न दलों के झंडे और विभिन्न माँग लिखे नारे की तख्तियां दिखीं। हालांकि इसमें अलग-अलग दलों से थें लेकिन नीति और माँगें सबका एक ही था। पेट्रोल-डीजल की कीमतों में अप्रत्याशित वृद्धि, राफेल डील और बढ़ती महंगाई के फार्मेट के लिए टायरों की चिता बनाना। पहले साइकिल के टायर जले, फिर छोटी गाडिय़ों और बाद में ट्रैक्टर तक।

टायरों के जलने से इस से उठने वाला वाला धुआं आम आदमी के स्वास्थ्य के लिए तो खतरनाक है ही हमारे आसपास के पर्यावरण को भी दूषित करता है जिसे पशु-पक्षियों समेत पेड़-पौधों और हरियाली को भी काफी नुकसान पहुंचता है। टायर जलाने से उठने वाले काले धुएं के कारण पर्यावरण में ऐसी जहरीली गैस से मिश्रित हो जाती हैं जो आम इंसान से भी ज्यादा गर्भवती स्त्रियों के लिए नुकसानदायक होती हैं क्योंकि इससे गर्भ में पल रहे बच्चे को भयानक नुकसान पहुंचता है।

क्या कहती है (एनजीटी) राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने खुले में कूड़ा जलाने पर प्रतिबंध लगा दिया है। आदेश के मुताबिक अब कोई भी व्यक्ति खुले में कूड़ा-कचरा, सुखी पत्तियां, टायर अथवा प्लास्टिक इत्यादि नहीं जला सकता है। यदि कोई ऐसा करता पाया जाता है तो उसपर 5 हजार रुपया का जुर्माना लगाया जा सकता है। इसपर नजर रखने की जिम्मेवारी सिविक एजेंसियों और आॅथोरिटी के अधिकारियों को दी गई है। इससे उठता काला धुआं दम घोंटू होता है। वहीं आस-पास के इलाके को भी प्रदूषित करता है।

टायर जलने से इससे उठने वाला धुंआ आम आदमी के स्वास्थ्‍य के लिये भी बेहद हानिकारक है, खास तौर से गर्भवती महिलाओं के लिये। हम गुजारिश करना चाहेंगे कि गर्भवती महिलाएं आज शाम तक घर के बाहर मत निकलें। क्योंकि पर्यावरण में आज ऐसी जहरीली गैसें मौजूद हैं, जो गर्भ में पल रहे बच्‍चे को भयानक नुकसान पहुंचा सकती हैं।

राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण अधिनियम, 2010 द्वारा भारत में एक राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) की स्थापना की गई है। 18 अक्टूबर 2010 को इस अधिनियम के तहत पर्यावरण से संबंधित कानूनी अधिकारोंके प्रवर्तन एवं व्यक्तियों और संपत्ति के नुकसान के लिए सहायता और क्षतिपूर्ति देने या उससे संबंधित या उससे जुड़े मामलों सहित, पर्यावरण संरक्षण एवं वनों तथा अन्य प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण से संबंधित मामलों के प्रभावी और त्वरित निपटारे के लिए राष्ट्रीय हरित अधिकरण की स्थापना की गयी।

मुजफ्फरपुर नाऊ की टीम सभी बंद समर्थकों से अपील करती है कि आज और कभी भी सरकार की गलत नीतियों के खिलाफ अपना विरोध दर्ज करें पर विरोध करने का तरीका सभ्य और शालीन होना चाहिये, जिस से आम जनजीवन प्रभावित ना हो, पर्यावरण पर कोई विपरीत प्रभाव ना पड़े, वातावरण शुद्ध रहे और किसी तरह की कोई हिंसा ना फैले।

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