संगीत की देवी और स्वर कोकिला शारदा सिन्हा का आज जन्मदिन है। आज वह 66 साल की हो गई। उनकी उम्र के सामने उनकी उपलब्धि बहुत बड़ी है। कहते हैं कि एक गायक, कवि, लेखक और अन्य कलाकार जीवन भर संघर्ष करते हैं, लेकिन उनमें से एक आध को ही समाज याद रखता है। शारदा सिन्हा उनमे से एक है। बिहार में शादी विवाह का कार्यक्रम हो या छठ पूजा उनकी गीतों के बिना यह पर्व अधूरा सा जान पड़ता है।

सोशल मीडिया पर सुबह से ही लोग शारदा सिन्हा को बधाई दे रहे हैं। आखर परिवार के सदस्यों द्वारा उन्हें हैप्पी बर्थडे कहा जा रहा है। लोक गायिका विजय भारती ने अपने फेसबुक वाल पर लिखा है कि-हे प्रियाति प्रिय शारदा दी, दीर्घ जीवन पाइये, युग युगों तक गीत……गा
मानस पटल पर छाइये। धान्य…वैभव….सम्पदा से, नित्य ही….सुख पाइये, जन्मदिन अपना हमेशा, हर्षपूर्ण……मनाइये।

मालूम हो कि श्रीमती सिन्हा का जन्म 01 October 1952 को समस्तीपुर जिला के राघोपुर प्रखंड के हुलास गांव में हुआ था। स्व। सुकदेव ठाकुर की इस प्रतिभावान पुत्री में बचपन से ही संगीत कला की प्रतिभा कूट-कूट कर भरी हुई थी। श्रीमती सिन्हा कुछ दिनों तक सुपौल स्थित विलियम्स स्कूल में अध्ययन किया। जहां उनके पिता श्री ठाकुर शिक्षा विभाग से अधिकारी के रूप में सेवानिवृत होने के उपरांत कुछ दिनों तक प्राचार्य के रूप में कार्यरत थे। यहां संगीत शिक्षक सह प्रख्यात शास्त्रीय गायक पंडित रघु झा से भी श्रीमती सिन्हा को गायन के गुर सीखने का अवसर मिला। उम्र के साथ निखरती संगीत कला ने श्रीमती सिन्हा को राज्य के साथ ही देश एवं अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी ख्याति मिली। श्रीमती सिन्हा की सांस्कृतिक जगत में बढ़ रही लोकप्रियता के कारण भारत सरकार के शीर्ष सम्मानों में एक सम्मान से सम्मानित किया गया।

लोगों ने बताया कि श्रीमती सिन्हा की मधुर संगीत को बिहार ही नहीं बल्कि अन्य प्रदेशों एवं देश विदेश में भी खासा पसंद किया जाता रहा है। उन्होंने अपने गायन से बिहार के लोकगीतों को ना सिर्फ नया मुकाम दिया है बल्कि इसे संरक्षित भी किया है। मैंने प्यार किया, हम आपके हैं कौन जैसी चर्चित हिंदी फिल्मों में वे अपनी आवाज दे चुकी हैं।

परिवार का मिलता रहा सहयोग : शारदा सिंहा के भाई सह जानेमाने होमियो चिकित्सक डॉ पद्मनाभ शर्मा ने बताया कि गायन के इस यात्रा में पिता स्व शुकदेव ठाकुर व माता स्व सावित्री देवी के साथ ही परिवार के अन्य सदस्यों का भी उन्हें भरपूर सहयोग मिला। बताया कि शादी के बाद पति डॉ ब्रज किशोर सिन्हा का भी उन्हें कदम दर कदम साथ मिलता रहा। बताया कि शारदा सिन्हा को गायन के क्षेत्र में भारत सरकार द्वारा वर्ष 1991 में पद्मश्री सम्मान प्रदान किया गया। इसके साथ ही इन्हें संगीत नाटक अकादमी अवार्ड समेत दर्जनों अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है। उन्हें पद्म भूषण सम्मान भी मिल चुका है।

1988 में शारदा सिन्हा ने किया था विदेश में पहला शो : डॉ शर्मा ने बताया कि शारदा सिन्हा ने वर्ष 1988 में विदेश में पहला शो किया था। जहां अपने गायन से देश की सीमाओं से पार जाकर मॉरीशस में भी खूब लोकप्रियता पायी। इनके गायन को पूरे मॉरीशस के लोगों ने सराहना किया। बताया कि पिता के रिटायर मेंट के बाद शारदा सिन्हा ने बचपन में राधानगर मिडिल स्कूल में लगभग साल भर पढ़ाई की। उन्हें बचपन से ही संगीत में बेहद रूचि थी। जिसे देख पिता ने उस जमाने में संसाधन के अभाव के बावजूद पंडित रामचंद्र झा एवं पंडित रघु झा से कुछ समय तक संगीत की शिक्षा दिलवाया। उस समय दोनों संगीत शिक्षकों ने शारदा सिन्हा के भविष्य के बारे में बताया था कि इस लड़की में साक्षात मां सरस्वती का वास है। इसे स्वर के रूप में भगवान का एक अनुपम भेंट प्राप्त होगा। इसे संगीत में अगर आगे की शिक्षा दीक्षा सही तरीके से दिलाई गई तो ये एक दिन देश विदेश में अपना परचम लहरायेगी। डॉ शर्मा ने यह भी बताया कि श्रीमती सिन्हा शुरू से ही मिलनसार स्वभाव की रही है।

Previous articleRO वाटर प्लांट के गोदाम में घुसी पुलिस, शराब की बड़ी खेप देखकर हुई हैरान
Next articleमंत्री का शहर गांधी जयंती पर भी नहीं हुआ ओडीएफ