सासाराम: 100 साल से ज्यादा की उम्र में भी वकालत करने और अपने बहस से विरोधियों के पसीने छुड़ाने वाले रोहतास जिला के सासाराम सिविल कोर्ट के सबसे उम्रदराज अधिवक्ता हरिनारायण सिंह का बुधवार गौरक्षणी स्थित उनके आवास पर को 103 साल की उम्र मे निधन हो गया। लोगो का दावा यह है कि अधिवक्ता हरिनारायण सिंह कोर्ट मे प्रैक्टिस करने वाले देश के सबसे उम्रदराज बुजुर्ग अधिवक्ताओं में शुमार थे। 3 साल पूर्व हीं हरिनारायण सिंह जी ने अपना 100वा जन्मदिन मनाया था । जिसमें उन्होंने एक बड़ा सा कार्यक्रम का आयोजन किया था। सबसे बड़ी बात यह हैं कि 100 साल से अधिक की उम्र में भी वो लगातार प्रैक्टिस में थे और कोर्ट जाया करते थे। सासाराम कोर्ट के सारे अधिवक्ता उनसे जूनियर थे।।
कोलकाता विश्वविद्यालय से लॉ की डिग्री हासिल की थी
सन्न 1919 में रोहतास के तिलई में जन्मे हरिनारायण सिंह कोलकाता विश्वविद्यालय से लॉ की डिग्री हासिल करने के बाद 1952 से हीं प्रैक्टिस शुरू कर दिया था । सबसे पहले उन्होंने भोजपुर के कोर्ट में प्रैक्टिस करना शुरू किया उसके बाद में सासाराम में उन्होंने अपनी सेवा देना आरंभ कर दिया। सन्न 1948 में ग्रेजुएशन करने के बाद हीं हरिनारायण सिंह लॉं की पढ़ाई करने कोलकाता विश्वविद्यालय चले गए थे। मसहूर अधिवक्ता रामनरेश सिंह उनके सीनियर थे, जिन्होंने उन्हें कानून की बारीकियां सिखाई थी।
70 सालों से नियमित रूप से कोर्ट आते थे
दिवंगत अधिवक्ता हरिनारायण सिंह के पुत्र और पूर्व एमएलसी किशन कुमार सिंह ने बताया कि पिछले 70 सालों से वे लगातार कोर्ट मे प्रैक्टिस के लिए जाते थे। वह नियमित रूप से कोर्ट आते थे और अपने मुवक्किल के लिए पैरवी भी बखूबी किया करते थे। पिछले दो सालों से covid-19 (कोरोना) के संक्रमण के कारण उनका कोर्ट में आना जाना कम हो गया था । जब तक वह कोर्ट में नियमित जाते रहे वह बिल्कुल स्वस्थ रहें। और सबसे बड़ी बात यह है कि जीवन के अंतिम समय तक उन्हें कोई भी गंभीर बीमारी नहीं हुई।
नियमित स्वस्थ जीवन शैली
हरिनारायण सिंह इतने उम्रदराज होने के बावजूद भी स्वस्थ थे क्योंकि उनका नियमित जीवन शैली बहुत हीं सरल था वो अब भी खेत का भी काम कर दिया करते थे और नियमित कोर्ट जाया करते थे । कोर्ट में हुए अपने जूनियर अधिवक्ताओं के साथ विभिन्न कानूनी मामलों पर बातचीत करते। कई बार बहस को सुनने के लिए कोर्ट में लोगों की भीड़ उमड़ पड़ती थी । कई जानकार बताते हैं कि 100 साल की उम्र में प्रैक्टिस करने वाले शायद ही देश के कोई अधिवक्ता जीवित होगा ।