बीआरए बिहार विश्वविद्यालय में रिजल्ट पेंडिंग की समस्या बड़ी चुनौती बनी हुई है। पिछले साल जहां इस यूनिवर्सिटी का जीरो सेशन रहा वहीं पेंडिंग रिजल्ट का कलंक उसके माथे से धुल नहीं रहा। लंबे अर्से से जद्दोजहद के बावजूद रिजल्ट से जुड़े तकरीबन 40 हजार केस पेंड़िंग बताए जाते हैं। इनमें अधिकतर मामूली गड़बड़ियों वाले केस हैं, जिनमें थोड़ी मशक्कत से रिजल्ट क्लीयर हो जाएगा। जबकि अन्य में टीआर में गड़बड़ी के साथ कॉपियों की जाच में भी गड़बड़ी की बातें सामने आ रही हैं। इस बार भी स्नातक से स्नातकोत्तर के कई हजार छात्रों को परेशानी से गुजरना पड़ा है। इस बाबत परीक्षा नियंत्रक को कुलपति ने भी कई निर्देश दिए हैं। रिजल्ट पेंडिंग में सुधार के लिए ऐसे छात्र रोजाना आवेदन भी दे रहे हैं, लेकिन उनके आवेदनों पर समय से विचार नहीं हो पा रहा। राजभवन तक विवि की शिकायत पहुंच रही है। विवि के पदाधिकारी भी इस बात को खुद स्वीकार कर रहे है कि पेंडिंग एक बड़ी समस्या है। कहा जा रहा है कि पेंडिंग रिजल्ट सुधारने के लिए दोगुना स्टॉफ चाहिए। पिछले साल भी साइंस, कामर्स और कला संकाय के स्नातक से लेकर स्नातकोत्तर तक के हजारों छात्रों के रिजल्ट पेंडिंग हैं। उधर, विवि में सक्रिय दलाल इस जुगत में रहते हैं कि कैसे रिजल्ट पेंडिंग हो जाए और कमाई का रास्ता खुल जाए।
ऐसी-वैसी गड़बड़ियां, सुनकर चौंक पड़ेंगे आप
प्रमोट व पेंडिंग रिजल्ट से जुड़े ग्रेजुएशन पार्ट वन व टू के छात्रों ने एडमिट कार्ड को लेकर बवाल किया। ऐसी ही गड़बड़ियों को लेकर स्नातक तृतीय खंड के छात्रों ने हंगामा किया। उसके बाद जिन छात्रों का पार्ट वन व टू का रिजल्ट क्लीयर था उनका एडमिट कार्ड परीक्षा के ऐन मौके पर निर्गत किया गया। रिजल्ट में गड़बड़ी की यह भी बड़ी वजह है कि कभी छात्रों का पूरा नाम नहीं तो कभी उनके रोल नंबर व रजिस्ट्रेशन नंबर में गलतिया रहती हैं। आधे-अधूरे टीआर प्राप्त करने से भी रिजल्ट में परेशानी, कुछ लिफाफे व मार्क्स फाइल खाली ही टीआर के पास भेज दिए जाते हैं। जो लिफाफे मिलते हैं उसमें कुछ रोल नंबर नहीं रहते। बहुत से रोल नंबर टीआर में खोजने पर भी नहीं मिलते। अब दूसरा उदाहरण लें। स्नातक प्रथम वर्ष की छात्रा निधि कुमारी नंबर घटाने के लिए दौड़ रही। उसको 50 नंबर की प्रायोगिक परीक्षा में 60 नंबर दिए गए हैं। पीजी थर्ड सेमेस्टर के रिजल्ट में ऐसी गड़बड़ियां सामने आई कि रिजल्ट देखकर छात्रों के साथ खुद प्राध्यापक भी माथा पकड़ बैठे। वहीं भौतिकी के एक परीक्षार्थी ने बताया कि रिजल्ट में उसे फेल बताया गया जबकि कापी के पुनर्मूल्यांकन में पता चला कि उसका नंबर चढ़ा ही नहीं था। अब वह रिजल्ट सुधरवाने के लिए दौड़ रहा।
बोले कुलपति
सही-सही आंकड़ा तो नहीं है। मगर रिजल्ट पेंडिंग जरूर है। पेंडिंग की समीक्षा कर उसके निपटारे की व्यवस्था की गई है। कहा गया है कि जैसे-जैसे आवेदन आ रहे हैं, पेंडिंग क्लीयर किया जाए। हर दिन की रिपोर्ट परीक्षा नियंत्रक को देनी है। डॉ. अमरेंद्र नारायण यादव
कुलपति बोले परीक्षा नियंत्रक
40 हजार रिजल्ट पेंडिंग होने का सवाल ही नहीं उठता। यह जरूर मानते हैं कि मेरे योगदान से पहले तकरीबन 10 हजार के करीब पेंडिंग रहा होगा लेकिन अब बहुत कम गया है। कुछ प्राइवेट यानी संबद्ध कॉलेजों ने उन छात्रों का भी फार्म भरवा दिया जो पास नहीं कर सके थे। लिहाजा, उनका एडमिट कार्ड इश्यू नहीं हो सका। डॉ. ओपी रमण – परीक्षा नियंत्रक, बीआरएबीयू कोट
40 हजार के लगभग रिजल्ट पेंडिंग होने की बात हमें भी विश्वविद्यालय के शिक्षकों से ही पता चली है। परीक्षा विभाग की बिल्कुल लचर स्थिति है। बड़ा रैकेट चल रहा है। विश्वविद्यालय के अंदर लोग कहते हैं कि पेंडिंग को क्लीयर करने के लिए भी लेन-देन का भय बनाया जाता है। यहां पांच जिलों के लोग रिजल्ट पेंडिंग में सुधार के लिए रोजाना आते हैं। डॉ. संजय सिंह – विधान पार्षद सह सिंडिकेट मेंबर
Input : Dainik Jagran