ऐरोपोनिक पोटैटो फ़ार्मिंग: हमारे देश के किसान अपनी फसलों की पैदावार बढ़ाने के लिए धीरे-धीरे पारंपरिक खेती का तरीका छोड़कर आधुनिक खेती के विकल्पों को अपनाने लगे हुये हैं, जिससे कृषि क्षेत्र में देश मे नई क्रांति आ रही हैं। भारत मे अब गेंहू, धान और दाल जैसी फसलों के अलावे फलों और सब्जियो को उगाने के लिए भी नए नए तकनीक अपनाए जा रहे हैं । इसी तरह आधुनिक कृषि को ध्यान में रखते हुए देश के वैज्ञानिकों ने आलू की फसल तैयार करने का एक नया तरीका खोज निकाला हैं, जिससे आलू की ज्यादा पैदावार बढ़ेगी के साथ किसानों को अच्छा खासा मुनाफा भी मिलेगा। दरअसल ऐरोपोनिक पोटैटो फ़ार्मिंग तकनीक के जरिए आलू को हवा में उगाया जाएगा, जिसके बारे में जानकर आप हैरान हो सकते हैं।

अब हवा में तैयार होगी आलू

अब तक आलू की फसल को जमीन के अंदर उगते हुए देखा होगा आपने, जिसे खेत मे मिट्टी की खुदाई करके बाहर निकाला जाता हैं। इस पारंपरिक तरीके से आलू तैयार करने में किसानों को बहुत ज्यादा मेहनत करनी पड़ती हैं, और मिट्टी में रहने वाले कीड़े आलू की फसल काफी नुकसान भी पहुँचा देते हैं।लेकिन अब किसानों ने आलू को हवा में उगाने का नया तरीका ढूंढ लिया हैं, जिसे ऐरोपोनिक पोटैटो फ़ार्मिंग तकनीक के नाम से जाना जाता हैं। इस तकनीक से आलू को जमीन के अंदर नहीं बल्कि हवा में उगाया जाता हैं । और सबसे बड़ी बात की इससे आलू की पैदावार 3 से 4 गुना तक बढ़ सकती हैं।

इस ऐरोपोनिक पोटैटो फ़ार्मिंग को हरियाणा के करनाल में स्थित आलू प्रोद्यौगिकी केंद्र में विकसित किया गया हैं, ताकि आलू की पैदावार को ज्यादा बढ़ाया जा सके और इससे किसानों को काफी अच्छा मुनाफा कमाने का मौका मिलेगा। ऐरोपोनिक पोटैटो फ़ार्मिंग सीखने के लिए किसानों को केंद्र से प्रशिक्षण लेना होगा, जिसके बाद किसानों के पास आलू की खेती करने का नया तरीका और विकल्प होगा।

क्या हैं ऐरोपोनिक पोटैटो फ़ार्मिंग (what is Aeroponic Potato Farming)

ऐरोपोनिक पोटैटो फ़ार्मिंग के नाम से ही आप अंदाजा लगा सकते हैं कि जिस प्रकार एरोप्लेन हवा में उड़ता हैं, ठीक उसी तरह ऐरोपोनिक पोटैटो फ़ार्मिंग के जरिए हवा में आलू की खेती की जाती हैं । इस तकनीक के जरिए आलू की फसल बिना मिट्टी और जमीन के उगते हैं, जो सामान्य आलू की तरह हीं पौष्टिक तत्वों से भरपूर होते हैं।

ऐरोपोनिक पोटैटो फ़ार्मिंग तकनीक के जरिए आलू की खेती करने वाले किसानों को जमीन और उपजा मिट्टी के बारे में आब सोचने की जरूरत नहीं पड़ेगी, इस तकनीक के जरिए आलू के पौधों को पतली पॉलीथीन से बने छोटे-छोटे गमलों में उगाया जाता हैं, उसके बाद एक जालीदार टेबल पर विकसित होने के लिए छोड़ दिया जाता हैं। आलू का पौधा ऊपर की तरफ विकसित होता है, जबकि उसकी जड़े पॉलीथीन से बाहर निकलते हुए जाली के नीचे विकसित होने लगती हैं । इस दौरान आलू के पौधे से निकलने वाली जड़ों को विभिन्न प्रकार पोषक तत्व दिए जाते हैं, जो आमतौर पर मिट्टी मे पाए जाते हैं।

आलू की जड़े हवा में लटक जाती हैं, जो लगातार नीचे की तरफ विकसित होती रहती है. इसलिए जालीदार टेबल को जमीन से कुछ फीट की ऊंचाई पर रखा जाता है, ताकि आलू की जड़े हवा में लटकती रहें और जमीन को टच न करें। इन्हीं जड़ों मे आलू तैयार हो जाती हैं।

ऐरोपोनिक पोटैटो फ़ार्मिंग के जरिये आलू के पौधों के विकसित होने के लिए बहुत ज्यादा मिट्टी या जमीन की जरूरत नहीं पड़ती हैं । जिसकी वजह से किसान को आलू की फसल तैयार करने के लिए ज्यादा पैसे खर्च नहीं करने होंगे।

कम लागत में ज्यादा मुनाफा

आलू प्रोद्यौगिकी केंद्र में ऐरोपोनिक पोटैटो फ़ार्मिंग से आलू की खेती करने वाले वैज्ञानिकों के अनुसार, इस तकनीक से मिट्टी और जमीन की समस्या को हल किया जा सकता हैं, इससे किसान बिना खेत और मिट्टी के भी आलू की फसल तैयार कर सकते हैं। और इसके जरिए उगाए जाने वाले आलू की पैदावार खेत में तैयार होने वाली आलू के मुकाबले 10 गुना ज्यादा हो सकती हैं, जिससे किसानों को अतिरिक्त मुनाफा कमाने का अवसर प्राप्त होगा। आपको बता दे की हाल ही में सरकार द्वारा ऐरोपोनिक पोटैटो फ़ार्मिंग से आलू की खेती करने के फैसले को मंजूदी दे दी गई हैं , जिसकी वजह से अब कई भारतीय किसानों की आमदनी में बढ़ोतरी होगी।

आलू के बीजों का बढ़ेगा उत्पादन

हरियाणा करनाल के आलू प्रौद्योगिकी केंद्र से ऐरोपोनिक पोटैटो फ़ार्मिंग को सीखाने और विकसित करने वाले वैज्ञानिक डॉक्टर पंकज कुमार राय का मानना है कि इस तकनीक से आलू की खेती करने पर आलू के बीजों के उत्पादन को 3 से 4 गुना तक बढ़ाया जा सकता हैं।डॉक्टर पंकज यह भी का कहना है किऐरोपोनिक पोटैटो फ़ार्मिंग तकनीक आलू की खेती करने वाले किसानों के लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकती हैं , इसमे मेहनत ,समय और लागत बहुत ही कम होती हैं। ऐसे में एरोपोनिक तकनीक से सिर्फ हरियाणा ही नहीं बल्कि पूरे भारत के किसानों को लाभ मिलेगा, और उनकी आमदनी में भी बढ़ोतरी होगी।

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