देश के जानेमाने उद्योगपति आनंद महिंद्रा भारत मे मेडिकल कॉलेज खोलने के बारे में सोच रहे हैं। इसके लिए वे टेक महिंद्रा के मैनेजिंग डायरेक्टर (MD) और सीईओ (CEO) सीपी गुरनानी को इससे जुड़ी योजना पर विचार करके उस पर काम करने के लिए कहा हैं।
ट्वीट कर बोले आनंद महिंद्रा
दरअसल महिंद्रा ग्रुप के चेयरमैन आनंद्र महिंद्रा ने गुरुवार को एक ट्वीट करके कहा की, मुझे इसकी जानकारी नही थी कि देश में मेडिकल कॉलेजों की इतनी ज्यादा दिक्कत हैं। और टेक महिंद्रा के मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ सीपी गुरनानी को टैग करके कहा की , क्या हम महिंद्रा यूनिवर्सिटी के कैंपस में मेडिकल की पढ़ाई वाला एक इंस्टीट्यूट खोलने पर विचार कर सकते हैं ? आनंद महिंद्रा का यह ट्वीट ऐसे समय मे आया हैं, जब हजारों भारत के मेडिकल स्टूडेंट्स यूक्रेन में फंसे हुए हैं और वहाँ से निकालने की किसी तरह से प्रयास कर रहे हैं।
I had no idea that there was such a shortfall of medical colleges in India. @C_P_Gurnani could we explore the idea of establishing a medical studies institution on the campus of @MahindraUni ? https://t.co/kxnZ0LrYXV
— anand mahindra (@anandmahindra) March 3, 2022
देश की प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों मे महंगी हैं फी
देश मे सरकारी मेडिकल कॉलेजों की संख्या कम और प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में फीस महंगी होने के कारण हर साल हजारों की संख्या में भारतीय मेडिकल स्टूडेंट्स पढ़ाई के लिए विदेश जाते हैं। जानकारी के मुताबिक, सिर्फ यूक्रेन में हीं करीब 18 हजार भारतीय मेडिकल छात्र पढ़ाई करते हैं। इसके अलावा रूस में लगभग 16 हजार और चीन में लगभग 23 हजार भारतीय छात्र मेडिकल की पढ़ाई कर रहे हैं।
देश मे कम हैं सीटे
भारत के नेशनल मेडिकल कमीशन के अनुसार, देश में करीब 605 मेडिकल कॉलेज हैं, जिसमें एमबीबीएस के लिए करीब 90,825 सीटें हैं। और इन सीटों पर एडमिशन के लिए बीते साल 2021 में लगभग 16 लाख छात्र नेशनल NEET (एलिजिबिलिटी कम इंट्रेस टेस्ट) में बैठे हुये थे। इस आँकड़े के अनुसार मेडिकल की पढ़ाई के लिए इच्छुक करीब 97 फीसदी स्टूडेंट्स को देश में एडमिशन नहीं मिल पाता हैं। इसी वजह से मेडिकल की पढ़ाई के लिए भारतीय छात्रों को दूसरे देश जैसे- रूस, यूक्रेन, चीन, बेलारूस, जॉर्जिया, अर्मेनिया और फीलिपींस जैसे देशों मे जाना पड़ता है। और सबसे बड़ी बात ये हैं की इन देशों की मेडिकल पढ़ाई अच्छी होने के साथ-साथ भारत के प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों के मुकाबले सस्ती भी हैं।