बीआरए बिहार विश्वविद्यालय में बीएड सेकेंड ईयर 2015-17 सत्र के लिए परीक्षा फॉर्म भरने की तिथि अब मार्च तक के लिए बिना विलंब शुल्क के बढ़ा दी गई है। जबकि, विलंब शुल्क के साथ एक अप्रैल से पांच अप्रैल तक फॉर्म भरा जा सकेगा। विश्वविद्यालय प्रशासन ने विलंब शुल्क में आधी कटौती कर छात्रों को भारी राहत दी है। अब रोजाना के हिसाब से एक हजार रुपये के बदले 500 रुपये ही विलंब शुल्क के तौर पर लगेंगे। परीक्षा नियंत्रक डॉ. ओपी रमण ने बुधवार को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि पहले 15 से 21 मार्च तक फॉर्म भरने की तारीख तय थी। मगर, अब उसमें संशोधन करते हुए तारीख मार्च तक बढ़ा दी गई है। इस दरम्यान भी जो छात्र फॉर्म भरने से किन्हीं कारणों से वंचित रह गए वे एक अप्रैल से पांच अप्रैल तक 500-500 रुपये विलंब शुल्क रोजाना के हिसाब से चुकता कर फॉर्म भर सकते हैं। मतलब कोई छात्र अगर मार्च के बाद दो दिन विलंब होता है, तो उसे एक हजार रुपये अतिरिक्त देने होंगे। परीक्षा नियंत्रक ने परीक्षा शुल्क के बारे में बताया कि बिना विलंब शुल्क के 11 सौ रुपये निर्धारित किए गए हैं जिनमें 900 रुपये परीक्षा शुल्क, 120 रुपये लोकल चार्ज व 80 रुपये मार्क्सशीट के लगेंगे। पहले 15 से 21 मार्च तक फॉर्म भरने की तिथि मुकर्रर की गई थी जबकि विलंब शुल्क के साथ 22 से 29 मार्च तक फॉर्म भरा जाना था।
पीजी सेकेंड सेमेस्टर का फॉर्म भरने की अब 31 तक छूट मिली
स्नातकोत्तर द्वितीय सेमेस्टर (2015-17) के लिए परीक्षा प्रपत्र भरने की तिथि बढ़ गई है। परीक्षा नियंत्रक डॉ. ओपी रमण ने बुधवार को कहा कि बिना विलंब शुल्क के अब 31 मार्च तक फॉर्म भरा जा सकेगा। जबकि, परीक्षा प्रारंभ होने के एक सप्ताह पूर्व तक 100 रुपये विलंब शुल्क के साथ फॉर्म भरा जा सकेगा। इससे पहले बिना विलंब शुल्क के साथ पांच से 15 मार्च तक फॉर्म भरा जाना था जबकि, 100 रुपये विलंब शुल्क के साथ 16 मार्च से परीक्षा प्रारंभ होने के एक सप्ताह पूर्व तक फॉर्म आमंत्रित किया गया था। बहरहाल, फॉर्म भरने की तिथि बढ़ाने से छात्रों को राहत मिली है। फॉर्म भरने के लिए विश्वविद्यालय समेत एलएस कॉलेज, एमडीडीएम, आरडीएस व नीतीश्वर कॉलेज में छात्रों की भारी भीड़ उमड़ रही है। एलएस कॉलेज की अगर बात करें तो वहां एक ही काउंटर होने से जबरदस्त अफरातफरी की स्थिति दिख रही है। काउंटर संभाल रहे कर्मचारी अरविंद कुमार ने कहा कि एक काउंटर होने से भारी परेशानी हो रही है। तिथि बढ़ने से निश्चय ही छात्रों की भीड़ कम होगी। विश्वविद्यालय में होली की छुट्टी होने से पहले ही फॉर्म भरने की तिथि घोषित की गई थी।