बिहार बोर्ड इंटर में 30 से 40000 ऐसे छात्र हैं जिन्होंने अपना रोल नंबर डालकर अपने अपने बगल में बैठे छात्र का छात्र का रोल नंबर डाल दिया। ऐसे में छात्रों का रिजल्ट पेंडिंग हो जाएगा। कुछ छात्र जिन्होंने अपने की जगह दूसरे का नंबर डाल दिया।
बिहार बोर्ड की मैट्रिक परीक्षा में इस बार कुल 17 लाख 70 हजार 42 परीक्षार्थी पंजीकृत थे। जबकि इंटर की परीक्षा में 12.8 लाख पंजीकृत थे। बिहार बोर्ड मैट्रिक की परीक्षा 21 फरवरी से 28 फरवरी तक चली थी। जबकि इंटरमीडिएट की परीक्षाएं 6 फरवरी से 16 फरवरी तक चली थी।
बार कोड की गड़बड़ी
पहली बार बिहार बोर्ड ने फरवरी में ही मैट्रिक की परीक्षा ली थी। इसके पीछे का उद्देश्य जल्द से जल्द रिजल्ट देना था। इसके अलावा कंप्यूटर पर अधिक से अधिक रिजल्ट तैयार हो सके, इसके लिए 50 फीसदी वस्तुनिष्ठ प्रश्न थे। सब्जेक्टिव प्रश्न के लिए भी प्रशिक्षकों का ओएमआर पर ही अंक देने की व्यवस्था की गयी थी। जिससे मैनुअल टोटलिंग के काम में अधिक समय न लगे। सारा काम कंप्यूटर के माध्यम से ही हो। लेकिन जब बारकोडिंग सेंटर पर ही गड़बड़ी हो गयी तो कंप्यूटर क्या करेगा।
बार कोड केंद्र पर फिर गलती होने से रिजल्ट में देरी होगी। अगर बार कोड की गड़बड़ी नहीं होती तो अब तक रिजल्ट तैयार हो जाता। लेकिन अब जब सारे रोल नंबर का विषयवार बारकोड मिलान नहीं होगा, तब तक रिजल्ट तैयार नहीं हो पायेगा।
Input : Hindustan