बिहार बोर्ड के इंटर-मैट्रिक के छात्र अपने रिजल्ट को परेशान हैं कि उन्हें सही रिजल्ट मिलेगा कि नहीं। क्योंकि जिस तरह से बिहार बोर्ड के नाम पर छात्रों को फोन आ रहे हैं, उससे छात्र अपने रिजल्ट को लेकर चिंतित है।

छात्रों को शक है कि कहीं बिहार बोर्ड से ही तो उनका डाटा लीक नहीं हो रहा है। फोन करनेवाले छात्रों के सारे डिटेल्स जानते हैं, उसकी जानकारी केवल बोर्ड के पास और कॉलेज और स्कूल के पास ही है। छात्रों का कहना है कि उन्होंने रजिस्ट्रेशन और परीक्षा फार्म स्कूल और कॉलेज से भरा था। कैफे या वसुधा केंद्र से नहीं भरा है।

बिहार बोर्ड ने ऑनलाइन इंटर-मैट्रिक परीक्षा को लेकर 11 महीने के अनुबंध पर 60 एमटीएस की बहाली की थी। इसमें से अब तक आठ एमटीएस कर्मी बीच में काम छोड़ कर चले गये है। आपको बता दें कि इंटर-मैट्रिक के डाटा इंट्री से लेकर परीक्षार्थी के सारे काम इन्हीं कर्मियों के हाथ में हैं। रजिस्ट्रशन और परीक्षा फार्म भराने के बाद एडमिट कार्ड कंप्यूटर पर ही तैयार किया गया था।

अब जब रिजल्ट की तैयारी चल रही है तो डाटा इंट्री भी यहीं से हो रहा है। परीक्षार्थी के एडमिट कार्ड की पूरी जानकारी कंप्यूटर सेक्शन में काम कर रहे एमटीएस कर्मियों को है। बता दें कि फोन करने गिरोह के लोग छात्र को प्राप्त अंक बताते हैं। यहीं नहीं वो ये भी कहते हैं कि इतना अंक से पास हो जाओगे या इतना अंक से प्रथम श्रेणी मिल जाएगा। ऐसा कहकर वे छात्रों को झांसे में रखते हैं। गिरोह के लोग छात्र को उसके माता-पिता का नाम, आधार नंबर, रोल नंबर, रोल कोड, स्कूल का नाम, जाति, कोटि और विषय की सभी जानकारी बिल्कुल सही बताते हैं।

Input : Hindustan

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