क्रिकेट की दुनिया में बिहार के सकिबुल ने एक नया रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया हैं। दरअसल बिहार के मोतिहारी जिले के 22 वर्षीय क्रिकेटर साकिबुल गनी ने रणजी ट्रॉफी के डेब्यु मैच में तिहरा शतक जड़ कर अपने नाम एक विश्व रिकॉर्ड कर लिया हैं। फर्स्ट क्लास क्रिकेट के पहले मैच मे तिहरा शतक जड़ने वाले सकिबुल दुनिया के पहले खिलाड़ी बन गए हैं । सकिबुल ने मात्र 405 गेंदो पर 341 रनो की शानदार पारी खेली जिसमे 56 चौका और 2 छक्का जड़ा । साकिबुल गनी के इस परफॉर्मेंस के बाद उनके परिजनों को चारो ओर से बधाइयां मिल रही हैं और उनके घर पर जश्न मनाया जा रहा है।

कभी बैट खरीदने के लिए माँ ने गिरवी रखे थे अपने गहने

बिहार के मोतिहारी के साकिबुल गनी फर्स्ट क्लास क्रिकेट के डेब्यू मैच में ट्रिपल सेंचुरी जड़ने वाले दुनिया के पहले क्रिकेटर बन गए हैं। और आज उनकी चारो तरफ चर्चा हो रही हैं, लेकिन उनकी इस कामयाबी के पीछे एक बहुत हीं लंबा संघर्ष रहा हैं। गनी के पास कभी बैट खरीदने के लिए भी पैसे नहीं थे। तब इनकी माँ ने अपने गहने गिरवी रख कर साकिबुल को बैट दिलाया था। साकिबुल के बड़े भाई फैसल गनी ने मीडिया को बताया कि एक अच्छे बैट की कीमत लगभग 30 से 35 हजार रुपए थी। और एक मध्यम वर्गीय परिवार के लिए खरीद पाना एक सपने जैसा था, लेकिन माँ पापा ने पैसे को कभी भाई के क्रिकेट में बाधा नहीं बनने दिया। जब भी आर्थिक समस्या आती तो माँ अपनी गहना तक गिरवी रख देती थी। जब वो रणजी ट्रॉफी खेलने जा रहे थे, तब माँ ने उन्हें 3 बैट दिए और बोलीं- जाओ बेटा तीन शतक लगा कर आना। और उसने यह कर दिखाया।

4 भाई में 2 क्रिकेटर

साकिबुल गनी 4 भाई में सबसे छोटा है। इनका बड़ा भाई फैसल गनी भी एक क्रिकेटर हैं। लेकिन वो तेज गेंदबाज हैं।

साकिबुल के पिता चलाते हैं PDS की दुकान

साकिबुल के पिताजी मो. मन्नान जन वितरक प्रणाली के तहत डीलर का काम करते हैं। उन्होंने बताया कि उसको बचपन से ही क्रिकेट को लेकर बहुत दीवानगी थी। 7 साल का था तभी से अपने बड़े भाई फैसल के साथ गांधी मैदान मे क्रिकेट खेलने जाता था।

मोतीहारी जिला क्रिकेट एसोसिएशन ने कहा- पूरा बिहार गौरवान्वित

मोतीहारी जिला क्रिकेट एसोसिएशन के ज्ञानेश्वर गौतम ने बताया कि शुरू से ही साकिबुल गनी शानदार व हरफनमौला खिलाड़ी रहा हैं। वो अपने खेल में लगातार निखार लाते हुए पिछले 2-3 सत्र से BCCI की ओर से आयोजित टूर्नामेंट में लगातार अच्छा प्रदर्शन किया हैं। साकिबुल की इस उपलब्धि पर आज पूरा बिहार गौरवान्वित महसूस कर रहा हैं।

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