शिक्षकों की भारी कमी से जूझ रहे कॉलेजों व विश्वविद्यालय के तमाम विभागों में बहाली का रास्ता आखिरकार निकल आया है। विश्वविद्यालय प्रशासन रिक्त पदों पर शीघ्र बहाली करने जा रहा है। शुक्रवार को प्रोवीसी डॉ. आरके मंडल की अध्यक्षता में इस सिलसिले में बैठक हुई और रिक्त पदों पर विषयवार बहाली की प्रक्रिया को अंतिम रूप दिया गया। बहाली समिति के अध्यक्ष प्रोवीसी स्वयं हैं। उस समिति में प्रॉक्टर डॉ. विवेकानंद शुक्ला, डीएसडब्ल्यू डॉ. सदानंद प्रसाद सिंह, पीजी रसायन विभाग के प्रोफेसर डॉ. अशोक कुमार श्रीवास्तव शामिल हैं। सदस्यों ने कहा कि बहाली पर फैसला हो चुका है। कुलपति डॉ. अमरेंद्र नारायण यादव के हस्ताक्षर के बाद एक-दो दिन में विज्ञापन प्रकाशित हो जाएगा। बहुत संभव है कि अगले हफ्ते तक अभ्यर्थियों से ऑनलाइन आवेदन पत्र लेना शुरू हो जाएगा। एक-दो माह के अंदर बहाली प्रक्रिया पूरी भी कर ली जाएगी।

गौरतलब है कि शिक्षकों के मंजूर पदों की संख्या भी कम हुई है। उसमें से भी आधे से ज्यादा खाली हैं। जितने पढ़ा रहे हैं, उससे दोगुने के लगभग खाली हैं। विवि के कई कॉलेजों में कई विभाग ऐसे हैं, जो एक-एक प्रोफेसर व लेक्चरर के भरोसे चल रहे हैं। कुछ तो बंद ही हो गए हैं। इनमें विश्वविद्यालय के भी कुछ विभाग हैं तो प्रीमियर कॉलेज में शुमार एलएस कॉलेज में भी कई विभाग बंदी के कगार पर हैं।
गौरतलब है कि शिक्षकों के मंजूर पदों की संख्या भी कम हुई है। उसमें से भी आधे से ज्यादा खाली हैं। जितने पढ़ा रहे हैं, उससे दोगुने के लगभग खाली हैं। विवि के कई कॉलेजों में कई विभाग ऐसे हैं, जो एक-एक प्रोफेसर व लेक्चरर के भरोसे चल रहे हैं। कुछ तो बंद ही हो गए हैं। इनमें विश्वविद्यालय के भी कुछ विभाग हैं तो प्रीमियर कॉलेज में शुमार एलएस कॉलेज में भी कई विभाग बंदी के कगार पर हैं।
शिक्षकों की कमी पूरा करने की कोशिश
सरकार के नियम और रोस्टर के आधार पर शिक्षकों की बहाली की अनुमति राजभवन और शिक्षा विभाग ने दे दी। छह-सात सौ गेस्ट फैकल्टी की बहाली की बात कही गई है। विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की नियमित बहाली होने तक गेस्ट फैकल्टी काम करेंगे जिन्हें राज्य सरकार के प्रावधान के अनुसार प्रतिदिन एक हजार और अधिकतम 25 हजार रुपये मासिक दिए जाएंगे। विश्वविद्यालय सेवा आयोग के सहयोग से जल्द ही शिक्षकों की कमी को पूरा करने की कोशिश भी चल रही है।
शिक्षकों के 1828 में से 1046 पद खाली
बीआरए बिहार विश्वविद्यालय में 1828 लेक्चरर-प्रोफेसर के स्वीकृत पदों में से 1146 खाली हैं। इस प्रकार नियमित और गेस्ट फैकल्टी मिलाकर 782 शिक्षकों के सहारे ग्रेजुएशन से पोस्ट ग्रेजुएट लेबल की पढ़ाई हो रही है। विश्वविद्यालय के अंतर्गत 39 सरकारी कॉलेज हैं। इसके अलावा संबद्ध कॉलेज हैं। अब समझ सकते हैं यहां पढ़ाई-लिखाई का कैसा माहौल होगा? विज्ञान, कला व कॉमर्स में भी शिक्षकों की संख्या काफी कम है।
बड़े कॉलेजों में भी गिनती के शिक्षक
एलएस कॉलेज में कभी 123 पद हुआ करते थे। शिक्षकों के मंजूर पदों की संख्या बढ़ने के बदले दिन प्रतिदिन घटती ही गई। आज इस कॉलेज में लगभग 10 हजार विद्यार्थी हैं। उनको पढ़ाने के लिए यहां वर्तमान में 93 में कुल 63 शिक्षक हैं। इस प्रकार 30 पद खाली हैं। नई बहाली में 12 शिक्षक मिले हैं। नीतीश्वर महाविद्यालय में कुल 17 शिक्षक हैं। शिक्षकों के 42 पद स्वीकृत हैं। उसके सापेक्ष 25 शिक्षक नहीं हैं। ऐसे में यहां की पढ़ाई का हश्र सहज ही समझा जा सकता है।
शिक्षकों की कमी पूरा करने की कोशिश
सरकार के नियम और रोस्टर के आधार पर शिक्षकों की बहाली की अनुमति राजभवन और शिक्षा विभाग ने दे दी। छह-सात सौ गेस्ट फैकल्टी की बहाली की बात कही गई है। विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की नियमित बहाली होने तक गेस्ट फैकल्टी काम करेंगे जिन्हें राज्य सरकार के प्रावधान के अनुसार प्रतिदिन एक हजार और अधिकतम 25 हजार रुपये मासिक दिए जाएंगे। विश्वविद्यालय सेवा आयोग के सहयोग से जल्द ही शिक्षकों की कमी को पूरा करने की कोशिश भी चल रही है।
शिक्षकों के 1828 में से 1046 पद खाली
बीआरए बिहार विश्वविद्यालय में 1828 लेक्चरर-प्रोफेसर के स्वीकृत पदों में से 1146 खाली हैं। इस प्रकार नियमित और गेस्ट फैकल्टी मिलाकर 782 शिक्षकों के सहारे ग्रेजुएशन से पोस्ट ग्रेजुएट लेबल की पढ़ाई हो रही है। विश्वविद्यालय के अंतर्गत 39 सरकारी कॉलेज हैं। इसके अलावा संबद्ध कॉलेज हैं। अब समझ सकते हैं यहां पढ़ाई-लिखाई का कैसा माहौल होगा? विज्ञान, कला व कॉमर्स में भी शिक्षकों की संख्या काफी कम है।
बड़े कॉलेजों में भी गिनती के शिक्षक
एलएस कॉलेज में कभी 123 पद हुआ करते थे। शिक्षकों के मंजूर पदों की संख्या बढ़ने के बदले दिन प्रतिदिन घटती ही गई। आज इस कॉलेज में लगभग 10 हजार विद्यार्थी हैं। उनको पढ़ाने के लिए यहां वर्तमान में 93 में कुल 63 शिक्षक हैं। इस प्रकार 30 पद खाली हैं। नई बहाली में 12 शिक्षक मिले हैं। नीतीश्वर महाविद्यालय में कुल 17 शिक्षक हैं। शिक्षकों के 42 पद स्वीकृत हैं। उसके सापेक्ष 25 शिक्षक नहीं हैं। ऐसे में यहां की पढ़ाई का हश्र सहज ही समझा जा सकता है।
Input : Dainik Jagran