हिंदू धर्म में छठ पूजा का बेहद महत्व है। इस त्योहार को पूर्वी भारत में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। छठ का पर्व हर साल दो बार पड़ता है। चैत्र में पड़ने वाले त्योहार को ‘चैती छठ’ कहा जाता है और कार्तिक मास में पड़ने वाली पर्व को छठ पूजा कहते हैं। इस बार चैत्र मास में पड़ने वाली चैती छठ 21 मार्च से शुरु हो रही है जो चार दिनों तक चलती है। नहाय खाय के साथ पहला दिन शुरू हो रहा है।
छठ पूजा में गंगा स्नान, सूर्य अर्घ्य, दान, का बेदह ही महत्व रहता है। चैती छठ का पर्व मुख्य रूप से सूर्य देव की आराधना के रूप में मनाया जाता है। चैती छठ के पहले दिन सूर्योदय के पहले ही तैयारियां चलने लगती है। पूजन सामग्री से लेकर चढ़ावा तक की सारी सामाग्रियों को लेकर लोग पवित्र नदी या गंगा किनारे पहुंच जाते हैं। ग्रामीण इलाकों में इस पर्व का खासा महत्व देखा जाता है। महिलाओं से लेकर पुरुष सभी इस पर्व का हिस्सा बनते हैं।
चैत्र माह के षष्ठी तिथि को पड़ता है चैती छठ
हिंदू कैलेंडर के मुताबिक चैत्र माह साल का पहला महीना होता है। इस बार 18 मार्च से चैत्र माह प्रारंभ हुआ था। इसी दिन से नवरात्रि पर्व की भी शुरुआत होती है। चैती छठ चैत्र माह के षष्ठी तिथि को पड़ता है। इसी कारण इसे चैती छठ कहा जाता है। यह पर्व पूर्वी भारत के बिहार, झारखंड और उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में बड़ी श्रद्धा से मनाया जाता है।
लोक आस्था से जुड़ा है ये पर्व
चैती छठ भारत में सूर्य की उपसाना का सबसे प्रसिद्ध पर्व है। पारिवारिक सुख-समृद्धी और मनोवांछित फल प्राप्ति के लिए यह पर्व मनाया जाता है। इस दिन लोग पूरे दिन व्रत रहते हैं। इसके पीछे एक पौराणिक कथ प्रचलित है। मान्यता है कि जब पांडव अपना सारा राजपाट जुए में हार गए, तब श्री कृष्ण द्वारा बताए जाने पर द्रौपदी ने छठ व्रत रखा। तब उनकी मनोकामनाएं पूरी हुईं तथा पांडवों को राजपाट वापस मिला। लोक परम्परा के अनुसार सूर्यदेव और छठी मइया का सम्बन्ध भाई-बहन का है।
चार दिनों तक चलता है यह त्योहार
चैती छठ चार दिनों तक चलता है जिसमें नहाय खाय, खरणा छठ, अर्घ्य और पारण छठ शामिल है। चार दिन तक चलने वाले इस त्योहार के हर दिन का अपना-अपना महत्व होता है। छठ पूजा का पहला दिन नहाय खाय के साथ शुरू होता है। इस दिन घर और आस-पास पूरी सफाई करके शुद्ध किया जाता है और भोजन के रूप में कद्दू-दाल और चावल ग्रहण किया जाता है। यह दाल चने की होती है।
उसके बाद छठी व्रती स्नान आदि करके शुद्ध भोजन करते हैं। साथ ही पवित्र नदी में स्नान करना शुभ माना जाता है। दूसरे दिन खरणा होता है। इस दिन बिना कुछ खाए प्रसाद तैयार करने करने का विधान है। छठी के चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा है। पूजा सम्पूर्ण करने के पश्चात कच्चे दूध का शर्बत पीकर और थोड़ा प्रसाद खाकर व्रत सम्पूर्ण किया जाता है।
2018 में चैती छठ की मुख्य तिथि
21 मार्च 2018 : नहाय खाय छठ
22 मार्च 2018 : खरणा छठ
23 मार्च 2018 : मुख्य दिन पहला अर्घ्य (अरग)
24 मार्च 2018 : पारण छठ पूजा
Photo Source : Mohan Sanju Mohan