सूर्योपासना के महापर्व छठ के तीसरे दिन शुक्रवार की शाम लोग अस्ताचलगामी सूर्य को अ‌र्घ्य अर्पित कर अपने और परिवार के कल्याण व आरोग्यता की कामना करेंगे। शनिवार की सुबह उगते सूर्य को अ‌र्घ्य देकर यह महानुष्ठान संपन्न होगा। पर्व को लेकर गुरुवार को दिनभर खरीदारी होती रही। व्रतियां शुक्रवार सुबह से ही प्रसाद तैयार करने में जुट जाएंगी। शाम को पूरी तैयारी और व्यवस्था कर बांस की टोकरी में अ‌र्घ्य का सूप सजाकर लोग अपने परिवार और सगे संबंधी के साथ घाट पर जाएंगे। अस्ताचलगामी सूर्य को अ‌र्घ्य दिया जाएगा।

इसके पूर्व खरना के साथ ही छठी मइया की आराधना शुरू हो गई। महापर्व के दूसरे दिन व्रतियों ने पूरी श्रद्धा व भक्ति के साथ सूर्यदेव को गुड़ की खीर व रोटी का भोग लगाया। इसके साथ ही छठ व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू हो गया। दोपहर बाद से ही खरना का प्रसाद तैयार होने लगा था। गुड़ की खीर व घी में चुपड़ी रोटी से पूजा घर सुगंधित हो रहा था। छठव्रती महिलाएं गीत गाती हुई प्रसाद बना रही थीं। शाम ढलने के बाद श्रद्धा व भक्ति के साथ छठी मइया व सूर्यदेव की पूजा-अर्चना कर खीर व रोटी का भोग लगाया गया। फिर भगवान को नमन कर खुद भी प्रसाद ग्रहण किया। परिवार के सदस्यों के साथ ही आसपास के लोगों के बीच भी प्रसाद बांटे गए।

अ‌र्घ्य देने से दूर होते कष्ट हरिसभा चौक स्थित राधाकृष्ण मंदिर के पुजारी पं.रवि झा व चकबासु के ज्योतिषविद् राजेश उर्फ मुन्ना शास्त्री बताते हैं कि सूर्य षष्ठी व्रत की विशेषता यह है कि इसमें भगवान सूर्य को अ‌र्घ्य देने से शारीरिक कष्ट दूर होते हैं। संध्या व प्रात:काल जल में खड़े होकर अ‌र्घ्य देने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। माता षष्ठी पुत्रहीनों की गोद भरती हैं। सच्चे दिल से मांगी गई हर मुराद माता पूरी करती हैं।

मदद को उठे हाथ

घरों की साफ-सफाई के साथ-साथ घाटों की ओर जाने वाले मार्ग की तस्वीर बदल चुकी है। व्रतियों के स्वागत में लोग जोर-शोर से जुटे हैं। बुढ़ी गंडक किनारे छठ घाट हो या शहर व गांव में विभिन्न निजी छठ घाट, लोग घाट की सफाई से लेकर साज-सज्जा में पूरी श्रद्धा के साथ लगे हैं। व्रतियों को कोई परेशानी न हो, इसका पूरा ख्याल रखा जा रहा है।

Input : Dainik Jagran

Photos : Vishal Gupta

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