गर्मी की दस्तक के साथ ही मच्छरों का प्रकोप इस कदर बढ़ गया है कि शहरवासियों का जीना मुहाल हो गया है। दिन हो या रात, मच्छर करीब पांच लाख शहरवासियों का खून चूस रहे हैं। उनसे मुक्ति दिलाने का जिम्मा नगर निगम पर है, लेकिन वह मच्छरों को मारने की जगह सो रहा है। मच्छरों से मुक्ति दिलाने का वादा कर कुर्सी पानेवाले पार्षद अपना वादा भूल गए। मच्छर उन्मूलन अभियान के लिए खरीदी गई तीन फॉगिंग मशीन सिर्फ दिखावे और बताने के लिए हैं, मच्छरों के नियंत्रण में वे पूरी तरह विफल हैं। पूर्व निगम बोर्ड द्वारा नालियों में दवा के छिड़काव को खरीद की गई स्प्रे मशीन पार्षदों के घर की शोभा बनकर रह गई।

बीमार हो रहे शहरवासी : शहर व उसके आसपास रहनेवाले लाखों लोगों की नींद हराम हो चुकी है। पहले रात में मच्छरों का दंश ङोलना पड़ता था, लेकिन अब दिन में भी चैन नहीं। वे न सिर्फ नींद उड़ा रहे, बल्कि मलेरिया, कालाजार, डेंगू, जापानी इंसेफेलाइटिस जैसे संक्रामक रोगों का शिकार बना रहे हैं। डॉ. दीपक कुमार के अनुसार यदि मच्छरों पर नियंत्रण नहीं किया गया तो लोगों को बीमार होने से नहीं बचाया जा सकता।

किसी काम की नहीं तीन फॉगिंग मशीनें : मच्छरों पर नियंत्रण के लिए निगम द्वारा अप्रैल 2016 में तीस लाख खर्च कर पांच आधुनिक मशीनों की खरीद की गई। स्टॉक में इंट्री के बाद उनमें से दो लौटा दी गईं। मशीनों को ढोने के लिए तीन ई-रिक्शे भी खरीदे गए। एक साल तक मशीन बहलखाने की शोभा बढ़ाने के काम आई। वर्तमान नगर आयुक्त द्वारा बीते सप्ताह मशीन को सड़क पर उतारा गया, लेकिन वे मच्छरों को मारने में कारगर साबित नहीं हो रहीं।

इलाज व वैकल्पिक उपायों पर कट रही जनता की जेब : मच्छरों के काटने से शहरवासी मलेरिया व डेंगू जैसी संक्रामक बीमारियों के शिकार हो रहे हैं। इलाज के लिए बड़ी राशि खर्च करनी पड़ती है। वहीं, बचने की वैकल्पिक व्यवस्था अर्थात साधनों पर भी जेब ढीली करनी पड़ती है।

Input : Dainik Jagran

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