मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को गांधी मैदान के समीप स्थित सम्राट अशोक कन्वेंशन केंद्र परिसर में सभ्यता द्वार का लोकार्पण किया। इसी परिसर में उन्होंने सम्राट अशोक की प्रतीकात्मक आदमकद प्रतिमा का भी लोकार्पण किया। लोकार्पण कार्यक्रम के बाद कन्वेंशन केंद्र परिसर स्थित ज्ञान भवन में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी सबसे बड़ी पूंजी यहां का इतिहास है। कार्यक्रम में उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने भी इसे प्राचीन बिहार के गौरवशाली इतिहास की झांकी बताया।
बिहार का इतिहास गौरवशाली
मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार का इतिहास गौरवशाली है। उसका सांकेतिक रूप दिखना भी चाहिए। इस भूमि और इस जगह के इतिहास को हमें याद रखना है। सकारात्मक चीजों को लेकर आगे बढऩा चाहिए। उन्होंने कहा कि आज के दिन का काफी महत्व है, क्योंकि आज सभ्यता द्वार का लोकार्पण हो गया। सम्राट अशोक की प्रतीकात्मक प्रतिमा के मूल में चंड अशोक से धम्म अशोक है।
इस मौके पर मुख्यमंत्री ने लेफ्टिनेंट जनरल एसके सिन्हा को याद करते हुए कहा कि उन्होंने कई बार मिलकर मुझसे पटना में इस तरह के सभ्यता द्वार बनाए जाने की बात कही थी।
बिहार संग्रहालय की पूरी दुनिया में चर्चा
मुख्यमंत्री ने कहा कि बापू सभागार को लोग देखते हैैं तो आश्चर्यचकित हो जाते हैैं। अनोखी निर्माण शैली है। इस तरह बिहार संग्रहालय की चर्चा आज पूरी दुनिया में हो रही है। जुलाई में बेली रोड में निर्माणाधीन पुलिस मुख्यालय भवन का भी उद्घाटन हो जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा, हम केवल संग्रहालय ही नहीं बना रहे, बल्कि पीएमसीएच को वर्ल्ड क्लास अस्पताल बनाने की दिशा में भी काम आगे बढ़ा है।
भवन निर्माण को ले कही ये बात
ज्ञान भवन में आयोजित कार्यक्रम का एक हिस्सा बिहार राज्य भवन निर्माण निगम के स्थापना दिवस समारोह का भी था। मुख्यमंत्री ने कहा कि भवनों के निर्माण के इस्टीमेट के साथ रही बिजली का इस्टीमेट भी बनना चाहिए। फर्नीचर की जरूरत को भी उसमें जोड़ा जाए। भूकंपरोधी और अग्निशमन की व्यवस्था के साथ भवन बनें।
बिहार राज्य भवन निर्माण निगम लिमिटेड के स्थापना दिवस समारोह का उद्घाटन करते हुए। (2/2)https://t.co/nnfPtKMe29 pic.twitter.com/CmZhwC6ftF
— Nitish Kumar (@NitishKumar) May 22, 2018
प्राचीन इतिहास की गौरवशाली झांकी है सभ्यता द्वार: सुशील मोदी
सभ्यता द्वार के लोकार्पण के मौके पर उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि यह प्राचीन बिहार के गौरवशाली इतिहास की झांकी है। भारत को एकीकृत करने वाले चन्द्रगुप्त, अशोक, भगवान बुद्ध के संदेशों से युक्त यह सभ्यता द्वार प्राचीन बिहार की गौरव गाथा का बयान करेगा।
उन्होंने कहा, किसी राज्य के विकास का पैमाना कानून-व्यवस्था की स्थिति, अच्छी सड़कें और बिजली ही नहीं, अच्छे और दर्शनीय भवन भी है । आज भी लोग बिहार आकर गोलघर देखते हैं। गत 12 वर्षों में बिहार में अनेक आइकॉनिक भवन बने हैं। आने वाली नस्लें याद रखेगी कि कोई ऐसी सरकार भी थी, जिसने ऐसा काम किया। मुंबई के गेटवे ऑफ इंडिया, दिल्ली के इंडिया गेट और फतेहपुर सीकरी के बुलंद दरवाजा की श्रृंखला में ही यह सभ्यता द्वार भी है, जो लोगों को बिहार के प्राचीन गौरवशाली पाटलिपुत्र का अहसास दिलाएगा।
उन्होंने कहा, ढाई हजार साल पहले मेगस्थनीज ने अपनी पुस्तक ‘इंडिका’ में प्राचीन पाटलिपुत्र को भारत का सबसे बड़ा और पुराना नगर बता कर इसका गौरवगान किया था। सभ्यता द्वार के जरिये आने वाली पीढियां बिहार के गौरावशाली इतिहास को जानेंगी।
आखिर क्यों खास है सभ्यता द्वार?
राजधानी पटना स्थित गांधी मैदान के उत्तर में बापू सभागार और ज्ञान भवन के बीच गंगा तट पर 32 मीटर ऊंचा व 8 मीटर चौड़ा विशाल सभ्यता द्वार बनाया गया है। यह एक एकड़ भू-भाग में फैला है। सभ्यता द्वार गोलघर से तीन मीटर अधिक ऊंचा है। इसे पांच करोड़ रुपये की लागत से डेढ़ साल में बनाया गया। यह द्वार बिहार की गौरवगाथा सुनाने और बताने के लिए बनाया गया है। इसपर भगवान महावीर, भगवान बुद्ध और महान सम्राट अशोक के संदेश लिखे हैं।
Input : Dainik Jagran