शहर की सब्जी मंडियों को उनके हाल पर निगम ने छोड़ रखा है। रोजाना और महीने के हिसाब से मोटी रकम वसूलने के बाद भी कोई सुविधा नहीं दे पाता है। घिरनी पोखर सब्जी मंडी को ही देख लें तो निगम की बेरुखी समझ में आ जाएगी। मूलभूत सुविधाओं की यहां घोर कमी है। एक अदद शौचालय नहीं है जबकि, सरकार हर गली-कुच्ची में भी शौचालय बनाने पर आमदा है। इतने पैसे ओडीएफ पर खर्च हो रहे हैं। बावजूद यहां शौचालय के लिए लोगों की टकटकी लगी हुई है। सब्जी बिक्रेताओं की ओर से टैक्स के रूप में नगर निगम को प्रति दिन छह से सात हजार रुपए मिल रहे हैं। सब्जी विक्रेता किरण देवी का कहना है कि शौचालय का यहां घोर अभाव है। लेकिन, इस दिशा में किसी का ध्यान नहीं है। सब्जी मंडी के श्याम कुमार का कहना है कि 40 साल से मंडी का ठेका हो रहा है लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया। इसके कारण महिलाओं को भारी परेशानी उठानी पड़ती है।
डेढ़ हजार महिलाएं बेच रही सब्जियां: करीब डेढ़ हजार महिला और एक हजार पुरुष यहां सब्जी बिक्री करते हैं। फिर भी सब्जी मंडी में न तो निगम की ओर से न प्रशासन की ओर से शौचालय बनाया जा सका। पूरी मंडी में एक मात्र चापाकल है। शौचालय के लिए महिलाओं को मंडी के आसपास के होटलों में जाना पड़ता है। इसके एवज में उन्हें 20 से 30 रुपए खर्च करने पड़ते हैं।


Input : Dainik Jagran