झारखंड, बिहार और पश्चिम बंगाल के चार शहरों के साइबर ठगों ने डिजीटल इंडिया के सपने को हिलाकर रख दिया है। इन साइबर ठगों ने कई राज्यों की पुलिस को परेशान कर रखा है। दिल्ली, मुंबई, कर्नाटक, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड और उत्तराखंड के साथ उत्तर प्रदेश के लिए भी गैंग बड़ी मुसीबत बन गया है। कानपुर क्राइम ब्रांच की जांच में 15 मामले ऐसे सामने आए हैं जिसमें इन्हीं शहरों से ठगी की गई थी।

क्राइम ब्रांच की रिपोर्ट है कि झारखंड के जामताड़ा जिले के करमाटांड़ कस्बा साइबर ठगों बड़ा ठिकाना बन चुका है। यहां के बच्चे भी फर्जी बैंक मैनेजर बन चुके हैं। ज्यादातर राज्यों की पुलिस यहां छापेमारी कर चुकी है। करमाटांड़ थाने में ही सबसे ज्यादा साइबर ठगी के मुकदमे दर्ज हुए हैं। यहीं से निकले कई गैंगों ने पश्चिम बंगाल और बिहार के कुछ शहरों में नया ठिकाना बना लिया है। क्राइम ब्रांच की टीम कॉल डिटेल और लोकेशन के आधार पर हाल में ही भूटान की सीमा पर स्थित पश्चिमबंगाल के अलीपुरदुआर पहुंची थी। झारखंड के देवघर और बिहार के खगड़िया में भी ऐसे गैंग पैर जमा चुके हैं। रिपोर्ट है कि अधिकांश गैंगों ने करमाटांड़ से ही साइबर ठगी की ट्रेनिंग ली। यहां के गैंग बड़ी आसानी से किसी बैंक खाते को हैक कर लेते हैं और खाताधारक को झांसे में लेकर रकम उड़ा देते हैं।

ऐसे बनने शुरू हुए साइबर ठगी के  गैंग

पुलिस रिपोर्ट के मुताबिक करमाटांड़ कस्बे के कुछ युवाओं ने ट्रेन या बस में नशीला पदार्थ खिलाकर लोगों को ठगना शुरू किया। यहां से मुख्यालय के बीच दर्जन भर मोबाइल टावर लगे तो युवाओं की दिलचप्सी मोबाइल में हो गई। पहली साइबर की ठगी मोबाइल रिचार्ज से की। दरअसल, वह फोन करके या मैसेज भेजकर कहते थे कि आपकी लाटरी निकलने वाली है। फलां मोबाइल नंबर पर पैसे डलवा दें। पहले वह अंदाज पर ही कोई नंबर लगाकर कॉल करते थे मगर बाद में ढेर सारे मोबाइल नंबर जुटाए। इसमें जब वह सफल होने लगे तो उन्होंने इस काम का विस्तार करना शुरू किया। छोटे मोबाइल से वह एंड्रायड तक पहुंच गए और उसमें भी मास्टर हो गए।

इस तरह शुरू की संगठित ठगी

करमाटांड़ के गैंग दिन भर वेबसाइट, मोबाइल अप्लीकेशन खंगालते और तरीके अपने बीच ही आजमाते। इस तरह कई ग्रुप तैयार हो गए और संगठित तरीके से ठगी करने लगे। गैंग ने बैंक खातों की डिटेल खरीदनी शुरू कर दी। साथ ही मोबाइल कंपनियों तक पहुंच बनाकर उनके उपभोक्ताओं की डिटेल हासिल की। पहले 50 फिर 10 और बाद में 1000-2000 सिम  फर्जी आईडी पर जुटा लिए। इस काम में ये इतने उस्ताद हो गए कि खुद ही बैंकों के फर्जी मैनेजर बन गए। बैंक खातों को हैक करके कस्टमर को बैंकों के जरिए है मैसेज भेजने लगे। सीधे कस्टमर को कॉल करके कहते हैं कि आपके मोबाइल या ईमेल आईडी पर एक पासवर्ड भेजा गया है कृपया उसकी पुष्टि कर दें। दरअसल, वह खातों को हैक तो कर सकते थे मगर वन टाइम पासवर्ड हासिल नहीं कर सकते थे। लिहाजा फोन पर झांसे में लाकर पासवर्ड पूछ लेते थे। इसी पासवर्ड से वह दूसरे खातों में पैसा ऑनलाइन भेजकर निकाल लेते।

करमाटांड़ समेत अन्य शहरों में हुई कार्रवाई
करमाटांड़ कस्बे में अप्रैल 2015 से मार्च 2017 के बीच 12 राज्यों की पुलिस 23 बार पहुंचीं। इस समयावधि में यहां से 38 साइबर ठगों को गिरफ्तार किया गया। खुद जामताड़ा जिले की पुलिस ने जुलाई 2014 से जुलाई 2017 के बीच साइबर ठगी में 330 स्थानीय निवासियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई है। इसमें 80 से ज्यादा जेल में हैं। करमाटांड़ थाने में ही साइबर ठगों की गिरफ्तारी इस समयावधि में 100 से ज्यादा हो चुकी है। पिछले वर्ष कानपुर की पुलिस ने भी यहां से 12 लोगों को गिरफ्तार किया था। अक्टूबर 2017 से अप्रैल 2018 के बीच करमाटांड़ से 60 साइबर ठग गिरफ्तार किए जा चुके हैं। इनके पास से 250 मोबाइल व 500 सिमकार्ड भी बरामद किए जा चुके हैं। इस समयावधि में 150 साइबर क्राइम के मामले दर्ज हुए। खुद देवघर में 73 और दुमका में 17 मामले दर्ज हुए और 234 साइबर ठग गिरफ्तार किए गए। इसमें 209 ठग जामताड़ा जिले के रहने वाले थे।

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दिल्ली पुलिस ने पकड़ा था सरगना

दिल्ली पुलिस ने करमाटांड़ कस्बे के पास नावाडीह भीठरा गांव में छापा मारकर सलीम अंसारी व सद्दाम को पकड़ा था। दोनों ने दिल्ली के बड़े कारोबारी के बैंक खाते से भारी रकम उड़ाई थी। यह समझा गया था कि सलीम की गिरफ्तारी से सारे गैंग का सफाया हो जाएगा और मगर ऐसा नहीं हुआ। गैंग पनपते ही चले गए। यहां तक कि अब कई शहरों में फैल चुके हैं। खुद बेंगलुरू की पुलिस यह मानकर चल रही है कि जामताड़ा का गैंग उनके यहां पहुंच चुका है।

कानपुर में इस तरह हुई सिम क्लोनिंग से ठगी

मोबाइल कंपनी में काम करने वाले से आधार कार्ड की डिटेल निकलवाई और आपके अंगूठे का रबर स्टैंप तैयार कर नया सिम एक्टिवेट कर लिया। इसका इस्तेमाल कर रकम दूसरे खाते में ट्रांसफर कर दी। कानपुर में ही एक साल के भीतर 1400 लोगों को सिम क्लोनिंग की वजह से 10 करोड़ रुपये की चपत लगी है। इनमें से 86 मामलों में एफआईआर दर्ज हैं तो 13 का पुलिस ने खुलासा भी किया है।

क्या कहते हैं अधिकारी

करमाटांड़ साइबर ठगी का बड़ा केंद्र बन चुका है। क्राइम ब्रांच की रिपोर्ट है कि भूटान का प्रवेश द्वार कहे जाने वाले पश्चिम बंगाल के अलीपुरदुआर, झारखंड के ही देवघर और बिहार के देवघर में कई गैंगों ने ठिकाना बनाया हुआ है। पुलिस का उन तक पहुंचना आसान नहीं है, क्योंकि सभी गैंग अब प्रीएक्टिवेटेड सिम का इस्तेमाल कर रहे हैं। यह ऐसे लोगों के नाम से जारी होते हैं जिन्हें सिम के बारे में खबर ही नहीं होती। ऐसे में साइबर ठगों द्वारा गलती किए जाने का इंतजार रहता है। अब पुलिस ने उन तक पहुंचने के लिए कई और तरीके अपनाए हैं। – राजेश कुमार यादव, एसपी क्राइम

Input : Live Hindustan

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