अंतरराष्‍ट्रीय महिला दिवस पर महिला सशक्‍तीकरण पर जोर दिया जाता है. सभी क्षेत्रों में महिलाओं को सशक्‍त बनाने की संभावनाएं तलाशी जाती हैं और उन्‍हें मौका भी दिया जाता है. बिहार के समस्‍तीपुर की रहने वाली 25 साल की प्रकृति ने भी कुछ ऐसा ही कर दिखाया है. वह जल्‍द ही भारत-तिब्‍बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) की पहली महिला अफसर बनेंगी. प्रशिक्षण के बाद उन्‍हें अग्रिम मोर्चे पर तैनाती दी जाएगी.

चल रहा प्रशिक्षण
प्रकृति ने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में ग्रैजुएशन किया हुआ है. अभी वह उत्‍तराखंड के पिथौरागढ़ स्थित आईटीबीपी के बेस पर तैनात हैं. देहरादून में उनका प्रशिक्षण पूरा हो जाने के बाद उन्‍हें असिस्‍टेंट कमांडेंट के पद पर अगले साल से तैनात किए जाने की संभावना है. उन्‍हें भारत-चीन सीमा से सटे नाथुला दर्रा जैसे स्‍थानों पर तैनाती दी जाएगी.

भरी ऊंची उड़ान
प्रकृति ने 2016 में सरकार की ओर से आईटीबीपी में महिलाओं की तैनाती को मंजूरी देने के बाद संघ लोक सेवा आयोग की केंद्रीय सशस्‍त्र पुलिस बल ऑफिसर भर्ती परीक्षा के जरिये यह मुकाम हासिल किया है. यह उनकी मेहनत का ही परिणाम था कि उन्‍होंने अपने पहले ही प्रयास में यह परीक्षा पास कर ली थी.

देश सेवा की इच्‍छा
प्रकृति का कहना है कि शुरू से ही उनकी इच्‍छा रही है कि वह वर्दी पहनकर देश की सेवा करें. उनके पिता वायुसेना में हैं. प्रकृति को उनके पिता से ही प्रेरणा मिली. प्रकृति ने बताया कि मार्च 2016 में अखबार में खबर पढ़ी कि सरकार आईटीबीपी में महिला अफसरों को अग्रिम मोर्चे पर तैनाती को अनुमति दे रही है, तभी से उन्‍होंने इसके लिए तैयारी शुरू कर दी थी और आज उनका सपना पूरा हो गया.

1962 में गठित हुआ आईटीबीपी
आईटीबीपी का गठन 1962 में हुआ. आईटीबीपी चीन के साथ वास्‍तविक नियंत्रण रेखा पर 3,488 किमी के इलाके की सुरक्षा की जिम्‍मेदारी संभालती है. आईटीबीपी में 2009 से महिलाओं की भर्ती जवान के तौर पर शुरू की गई. 60 हजार जवानों की संख्‍या वाली आईटीबीपी में करीब 1,661 महिला जवान हैं.

 

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