केंद्रीय कैबिनेट ने 12 साल तक की उम्र की बच्चियों से दुष्कर्म मामले में कानून को अधिक मजबूत बनाने वाले अध्यादेश को मंजूरी दे दी है. इस अध्यादेश में फांसी के साथ-साथ बलात्कार के लिए 7 साल की न्यूनतम सजा को बढ़ाकर 10 साल करने का प्रावधान है.

इस अध्यादेश में आईपीसी, एविडेंस एक्ट, सीआरपीसी और पॉक्सो एक्ट में संशोधन की बात कही गई है. इस संशोधन के तहत रेप के आरोपियों को कड़ी से कड़ी सजा मिलने का प्रावधान है. इसमें रेप मामलों की जल्द से जल्द जांच और सुनवाई में तेजी का भी प्रावधान है.

(10 पॉइंट्स में जानिये क्या है पॉक्सो एक्ट)

नाबालिगों से रेप की बढ़ती घटनाओं के चलते सरकार ने प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन  फ्रॉर्म सेक्सुअल ऑफेंस एक्ट (POCSO)में बड़ा बदलाव किया है. POCSO एक्ट में बदलाव के प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद अब 12 साल से कम उम्र की बच्चियों से रेप के मामलों में मौत की सज़ा होगी. देश भर पिछले कुछ समय से इसको लेकर सख्त कानून बनाए जाने की मांग हो रही थी. आइए जानते हैं कि आखिर क्या है POCSO एक्ट?

POCSO एक्ट में क्या हुआ है बदलाव?

-अब 12 साल से कम उम्र की बच्चियों से रेप के मामलों में मौत की सज़ा होगी.

-16 साल से कम उम्र की लड़की से रेप करने पर न्यूनतम सजा को 10 साल से बढ़ाकर 20 साल किया गया है.

क्या है POCSO एक्ट? ये है एक्ट  से जुड़ी 10 बड़ी बातें
1. 18 साल से कम उम्र के बच्चों से किसी भी तरह का सेक्सुअल बर्ताव इस कानून के दायरे में आता है. ये कानून लड़के और लड़की को समान रूप से सुरक्षा प्रदान करता है.

2. इस एक्ट के तहत बच्चों को सेक्सुअल असॉल्ट, सेक्सुअल हैरेसमेंट और पोर्नोग्राफी जैसे अपराधों से प्रोटेक्ट किया गया है.

3. 2012 में बने इस कानून के तहत अलग-अलग अपराध के लिए अलग-अलग सजा तय की गई है.

4.पोक्सो कनून के तहत सभी अपराधों की सुनवाई, एक विशेष न्यायालय द्वारा कैमरे के सामने बच्चे के माता पिता या जिन लोगों पर बच्चा भरोसा करता है, उनकी मौजूदगी में सुनवाई का प्रावधान है.

5. अगर कोई शख्स किसी बच्चे के शरीर के किसी भी हिस्से में प्राइवेट पार्ट डालता है तो ये सेक्शन-3 के तहत अपराध है. इसके लिए धारा-4 में सजा तय की गई है.

6. अगर अपराधी ने कुछ ऐसा अपराध किया है जो कि बाल अपराध कानून के अलावा किसी दूसरे कानून में भी अपराध है तो अपराधी को सजा उस कानून में तहत होगी जो कि सबसे सख्त हो.

7. अगर कोई शख्स किसी बच्चे के प्राइवेट पार्ट को टच करता है या अपने प्राइवेट पार्ट को बच्चे से टच कराता है तो धारा-8 के तहत सज़ा होगी.

8. अगर कोई शख्स गलत नियत से बच्चों के सामने सेक्सुअल हरकतें करता है, या उसे ऐसा करने को कहता है, पोर्नोग्राफी दिखाता है तो 3 साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा हो सकती है.

9. इस अधिनियम में ये भी प्रावधान है कि अगर कोई व्यक्ति ये जानता है कि किसी बच्चे का यौन शोषण हुआ है तो उसके इसकी रिपोर्ट नजदीकी थाने में देनी चाहिए, यदि वो ऐसा नही करता है तो उसे छह महीने की कारावास की सज़ा होगी

10.अधिनियम में ये भी कहा गया है कि बच्चे के यौन शोषण का मामला घटना घटने की तारीख से एक साल के भीतर निपटाया जाना चाहिए.

केंद्र सरकार का यह कदम कश्मीर के कठुआ में 8 साल की मासूम के गैंगरेप-हत्या और सुरत में 11 साल की बच्ची से रेप की घटनाओं के बाद आया है. इन घटनाओं से पूरा देश गुस्से में है. यह अध्यादेश अब सहमति के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा.

सरकार ने कहा कि इस अध्यादेश के पीछे उसका मकसद है कि देश की महिलाएं, खासकर छोटी बच्चियां सुरक्षित महसूस करें.

 


ये हैं अध्यादेश की खास बातें:

कड़ी से कड़ी सजा
• पहले महिलाओं से रेप की न्यूनतम सजा 7 साल सश्रम कारावास थी, इस अध्यादेश में इसे बढ़ाकर 10 साल करने का प्रावधान है. सजा को उम्रकैद तक बढ़ाया भी जा सकता है.
• 16 साल से कम उम्र की लड़की से रेप पर न्यूनतम सजा को 10 साल से बढ़ाकर 20 साल कर दिया गया है. इस सजा को आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है.
• 16 साल से कम उम्र की बच्ची से गैंगरेप के दोषियों को आजीवन कारावास की सजा दी जाएगी.
• 12 साल से कम उम्र की बच्ची से रेप के लिए बेहद कड़ी सजा का प्रावधान है. दोषी को कम से कम 20 साल या आजीवन कारावास या फांसी की सजा दी जाएगी.
• 12 साल से कम उम्र की बच्ची से गैंगरेप के दोषियों को आजीवन कारावास या मौत की सजा दी जाएगी.

जांच और सुनवाई के लिए समय सीमा तय:
• रेप के हर मामले की जांच किसी भी हाल में 2 महीने के अंदर पूरी की जाएगी.
• रेप मामलों की सुनवाई भी 2 महीने के अंदर पूरी कर ली जाएगी.
• रेप मामलों में अपील और अन्य सुनवाई के लिए अधिकतम छह महीने का वक्त दिया जाएगा.

नहीं मिलेगी जमानत
• 16 साल से कम उम्र की बच्ची से रेप या गैंगरेप के आरोपी के लिए अग्रिम जमानत का कोई प्रावधान नहीं होगा.
• 16 साल से कम उम्र की बच्ची से रेप मामले में बेल पर सुनवाई से पहले कोर्ट को पब्लिक प्रोसिक्यूटर और पीड़िता पक्ष को 15 दिन का नोटिस देना होगा.

कोर्ट और पब्लिक प्रॉसिक्यूशन को बनाया जाएगा मजबूतः
• राज्यों/यूनियन टेरिटरी और हाईकोर्ट्स से चर्चा के बाद नए फास्ट ट्रैक कोर्ट का गठन किया जाएगा.
• राज्यों में पब्लिक प्रॉसिक्यूटरों के लिए नए पद निकाले जाएंगे और जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया जाएगा.
• सभी पुलिस थानों और अस्पतालों में रेप मामलों के लिए विशेष फॉरेंसिक किट उपलब्ध कराए जाएंगे.
• रेप मामलों की तय समयसीमा में जांच के लिए पुलिस और अन्य स्टाफ की भूमिका तय की जाएगी.
• हर राज्य में रेप मामलों की जांच के लिए स्पेशल फॉरेंसिक लैब सेट अप किए जाएंगे.
• ये कदम नए मिशन मोड प्रोजेक्ट का हिस्सा हैं जिसे तीन महीने के अंदर लॉन्च किया जाएगा.

तैयार होगा यौन अपराधियों का डेटाबेसः
• नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो यौन अपराधियों का एक डेटाबेस तैयार करेगा जिसमें अपराधियों की पूरी प्रोफाइल मौजूद रहेगी.
• यह डेटा नियमित रूप से राज्यों के साथ शेयर किया जाएगा ताकि पुलिस को ट्रैकिंग, मॉनिटरिंग, जांच और वेरिफिकेशन में मदद मिल सके.

पीड़ितों की मदद
• रेप पीड़िताओं की मदद के लिए बनाए गए वन स्टॉप सेंटरों का विस्तार हर जिले में किया जाएगा.

Source : News18

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