ईडी ने बिहार टॉपर घोटाला मामले में बड़ी कार्रवाई करते हुए घोटाले के मास्टरमांइड बच्चा राय की साढे चार करोड रुपये से अधिक की संपत्ति अटैच की है। बच्चा राय के साथ ही ईडी ने उसके परिजनों की सपंति भी अटैच की है। बच्चा राय छात्रों से पैसे वसूलकर उन्हें परीक्षा में टॉप कराता था। इसके बदले वह मोटी रकम लेता था और उसने इससे करोड़ों की संपत्ति बना ली थी।
बच्चा राय ने पत्नी और बेटी के नाम पर खरीदी थी संपत्तियां
पुलिस की पूछताछ के दौरान बच्चा राय अपनी संपत्ति खरीदने के लिए लाए गए पैसों का श्रोत नहीं बता पाया था। बच्चा राय के पास अभी कुल 29 प्लाट हैं जिन्हें जब्त किया जाएगा। उसकी संपत्ति की बात करें तो उसमें हाजीपुर, भगवानपुर और महुआ में है प्लाट हैं।
साथ ही उसका हाजीपुर का दो मंजिला मकान भी है जिसे अटैच किया जाएगा। इसके साथ ही पटना का एक फ्लैट भी अटैच होगा। इसके साथ ही लगभग दस बैंक खाते अटैच किए गए हैं। बच्चा राय के ट्रस्ट की जांच जारी है। बता दें कि इस घोटाले के उजागर होने के बाद आरोप सही पाए जाने पर बच्चा राय को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था और अभी वह जेल में ही है।
Enforcement Directorate (ED) attached property worth Rs 4.53 crores of Baccha Rai, the main accused in #BiharTopperScam2016. Baccha Rai was charged for manipulating the results of students of Vishun Roy College. Further investigation underway
— ANI (@ANI) March 31, 2018
साल 2016 में सामने आया था बिहार टापर घोटाला
पुलिस ने बच्चा राय समेत बिहार सैकडरी एजुकेशन बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष लालकेशवर सिंह समेत चार कालेजों के प्रिसिंपल के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर गिरफ्तारियां की थी। बच्चा राय की अंतरिम जमानत पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने बिहार इंटरमीडिएट टॉपर घोटाले के कथित मास्टरमाइंड अमित कुमार उर्फ बच्चा राय को सशर्त जमानत देने के पटना उच्च न्यायालय के आदेश को निरस्त कर दिया था। न्यायमूर्ति एन वी रमण और न्यायमूर्ति पी सी पंत की पीठ ने कहा कि राय को इस समय जमानत पर छोड़ना ‘उपयुक्त नहीं’ है।
पीठ ने उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ बिहार सरकार की अपील को स्वीकारते हुए कहा, ‘हमारी राय है कि इस समय आरोपी (राय) को जमानत पर रिहा करना उपयुक्त नहीं होगा।
पैसे लेकर बच्चों को टॉप करवाता था
वह वैशाली में एक कॉलेज चला रहा था और आरोप है कि बिहार स्कूल परीक्षा बोर्ड के तत्कालीन प्रमुख लालकेश्वर प्रसाद सिंह और अन्य के साथ मिलकर इंटरमीडिएट परीक्षा में शामिल ऐसे छात्रों को राज्य का टॉपर बनवाया जाता था, जो इस लायक नहीं होते थे।
Input : Dainik Jagran