बिहार के तकरीबन 71 हजार स्कूलों में पढऩे वाले कक्षा एक से आठ के विद्यार्थियों को पढ़ाने के लिए तकरीबन चार लाख शिक्षक तैनात हैं। इनमें से 3.21 लाख नियोजित शिक्षक हैं जबकि 80 हजार शिक्षक नियमित। पर बड़ी समस्या है शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति। इन्हीं शिक्षकों में से कुछ शिक्षकों को मध्याह्न भोजन योजना का जिम्मा संभालना होता है तो कुछ शिक्षकों को जिला शिक्षा पदाधिकारी के कार्यालय में तैनात होना पड़ता है।
शिक्षक की यदि कमी है तो माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्कूलों में। शिक्षा के प्रधान सचिव आरके महाजन कहते हैं कि इस कमी को भी दूर करने के लिए सरकार प्रयासरत है। प्लस टू स्कूलों के लिए सरकार गेस्ट टीचर की सेवा लेने जा रही है। माध्यमिक स्कूलों में शिक्षकों के रिक्त पदों पर नियुक्ति के लिए भी सरकार प्रयासरत है।शिक्षा विभाग से मिली आधिकारिक जानकारी के अनुसार प्रदेश में शिक्षा के अधिकार कानून का पालन कर शिक्षा व्यवस्था का संचालन किया जा रहा है। किसी भी बसावट में एक किलोमीटर के दायरे में एक प्राइमरी स्कूल निश्चित रूप से है। इन स्कूलों में कक्षा एक से पांच के बच्चे पढ़ रहे हैं।
बसावट के तीन किलोमीटर के दायरे में एक मध्य विद्यालय है जहां कक्षा छह से आठ के बच्चे पढ़ रहे हैं। बसावट के पांच किलोमीटर के दायरे में एक हाई स्कूल भी हैं। अब सरकार ने प्रत्येक पंचायत में एक प्लस टू स्कूल की व्यवस्था बनानी भी शुरू कर दी है।
शिक्षा के प्रधान सचिव आरके महाजन कहते हैं कि हाई और प्लस टू स्कूलों में शिक्षकों की कमी दूर करने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। टीईटी परीक्षा लेकर उसके परिणाम भी जारी कर दिए हैं। टीईटी पेपर 1 के लिए तकरीबन 44 हजार परीक्षार्थियों ने परीक्षा दी। पेपर 2 में 1.68 लाख परीक्षार्थी परीक्षा में शामिल हुए।
सरकार चाहती है कि स्कूलों में शिक्षकों के रिक्त पद न रहे, लेकिन फिलहाल कोर्ट में चल रहे मामले की वजह से परेशानी है।
एक नजर में स्कूल और शिक्षक
प्राथमिक विद्यालय – 42630
मध्य विद्यालय – 28850
इन विद्यालयों में नामांकित बच्चे – 2.04 करोड़
प्राथमिक मध्य विद्यालयों में कार्यरत शिक्षक – 3.97 लाख
छात्र-शिक्षक अनुपात – 38 छात्रों पर एक शिक्षक
हाई और प्लस टू स्कूल – 6068
माध्यमिक स्कूलों में छात्र – 28:65 लाख
प्लस टू स्कूलों में छात्र – 4.70 लाख
माध्यमिक स्कूलों में शिक्षक – 29965
प्लस टू स्कूलों में शिक्षक – 11239
छात्र-शिक्षक अनुपात – 96 बच्चों पर एक शिक्षक
Input : Dainik Jagran