मित्रों,
कहा जा रहा है कि मुजफ्फरपुर के पूर्व मेयर समीर कुमार हत्याकांड में ऐसी बड़ी हस्ती का हाथ है, जिसपर मुजफ्फरपुर पुलिस हाथ नहीं डाल सकती है।
अब जरा धनबाद में नीरज सिंह हत्याकांड को याद कीजिए। झरिया से फार्चूनर से अपने घर लौट रहे नीरज सिंह पर स्टील गेट पर जानलेवा हमला हुआ था। ब्रेकर के पास नीऱज सिंह की गाड़ी जैसे ही धीमी हुई, हत्यारों ने एके47 से गोलियां की बौछार कर दी। पूर्व मेयर समीर पर भी उह समय एके 47 से गोलियां बरसायी गईं, जब इनकी कार ब्रेकर के सामने धीमी हुई थी। धीमी कार के सामने अचानक बाइक खड़ी कर गोलियों की बौछार कर दी गई।

जिस व्यक्ति पर नीरज सिंह की हत्या कराने का आरोप लगा था, वह कोई साधारण आदमी नहीं, बल्कि दबंग विधायक संजीव सिंह था और उसकी मां भी विधायक रह चुकी थी। कहा यह भी जाता है कि भाजपा विधायक होने के नाते उसकी पहुंच मुख्यमंत्री रघुवर दास के आवास तक थी, लेकिन इसके बावजूद जब नीरज सिंह हत्याकांड में संजीव सिंह का नाम आया तो झारखंड पुलिस ने महज 15 दिनों के अंदर उसे दबोच (घेर) लिया। जब कभी कोई केन्द्रीय मंत्री धनबाद आता था, विधायक संजीव सिंह के आवास ‘सिंह मेंसन’ जरूर जाता था। इसके बावजूद सत्ताधारी दल के विधायक संजीव सिंह को दबोचने में झारखंड सरकार को कोई हिचक नहीं हुई। सवाल उठता है कि अपराधियों के सामने हाथ जोड़ने वाली बिहार सरकार क्या इतनी कमजोर हो गई है कि समीर कुमार हत्याकांड में किसी दबंग बाहूबली को गिरफ्तार नहीं कर सकती है? विधायक संजीव सिंह लगातार जेल में हैं। उसे गिरफ्तार कराने वाले एसपी मनोज चौथे अब भी धनबाद में जमे हैं। खैर, आप मेरी आज की रिपोर्ट पढ़िए…….
मुजफ्फरपुर के पूर्व मेयर समीर कुमार और धनबाद के पूर्व डिप्टी मेयर नीरज सिंह हत्याकांडों में कई समानताएं हैं। दोनों हत्याकांडों में पहले से रेकी की गई और मास्टर माइंड ने वारदात को अंजाम देने के लिए ऐसी जगह तय की जहां सड़क पर ‘ब्रेकर’ था। गत 23 सितंबर को मारवाड़ी हाई स्कूल से बनारस बैंक चौक की ओर बढ़ रही कार ब्रेकर के सामने धीमी हुई। सामने अचानक बाइक खड़ी कर शूटर ने एक-47 से समीर कुमार पर गोलियों की बौछार कर दी। धनबाद में 21 मार्च 2017 को स्टील गेट पर ब्रेकर के सामने पूर्व डिप्टी मेयर नीरज कुमार की फॉर्चूनर धीमी हुई तो शूटर ने सामने से एके-47 से गोलियों की बौछार कर दी। धनबाद पुलिस ने शूटर, मास्टर माइंड और गैंगस्टर के मोबाइल लोकेशन के आधार पर नीरज हत्याकांड पर से पर्दा उठा दिया। मुजफ्फरपुर पुलिस ने समीर हत्याकांड में ‘ब्रेकर’ और कार के निकट नाले में सुराग खंगालने की कोशिश की है। पुलिस अब शूटर को सुपारी देने वाले मास्टर माइंड की पहचान के लिए ‘गैंग्स ऑफ मुजफ्फरपुर’ (प्रोपर्टी डीलिंग करने वाले दबंगों का सिंडिकेट) की सूची बना रही है। बारी-बारी से दबंग प्रोपर्टी डीलरों से पूछताछ की तैयारी है।
धनबाद में कोयला खदानों पर वर्चस्व के लिए खड़े होने वाले गैंग राजनीतिक वर्चस्व के लिए गोलियां बरसा रहे हैं। रेलवे के लोहा के अवैध कारोबार में ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ वर्षों तक खूनी जंग लड़े। मुजफ्फरपुर में उद्योग-धंधे या सोना-कोयला जैसे विकल्प नहीं हैं। यहां अपराधियों के गैंग, ठेकेदार, शराब माफिया और राजनेता जमीन के धंधे में कूद पड़े हैं। यहां सोना या बैंक के बजाय प्रोपर्टी डीलिंग में निवेश किया जा रहा है। प्रोपर्टी डीलिंग में जुटे गैंग को सिंडिकेट कहा जाता है, लेकिन हर बड़े सिंडिकेट में गैंगस्टर, राजनेता, व्यवसायी व संरक्षक अधिकारी शामिल हैं। समीर हत्याकांड को सिंडिकेट के गैंगस्टर में टकराव का परिणाम बताया जा रहा है।
मुजफ्फरपुर पुलिस वीडियो फुटेज और अपने सूत्रों के हवाले से शूटर की पहचान का दावा कर रही है। मुजफ्फरपुर पुलिस अगर नाला के बजाय धनबाद पुलिस की तर्ज पर शूटर, सिंडिकेट, गैंगस्टर के मोबाइल सीडीआर को खंगाले तो पूरे मामले पर से पर्दा डठ सकता है।
समीर-नीरज हत्याकांडों में समानताएं
कहा जाता है कि धनबाद के पूर्व डिप्टी मेयर नीरज कुमार को विधानसभा चुनाव में कांग्रेस टिकट मिलना तय था। समीर कुमार के समर्थक भी दावा कर रहे थे कि कांग्रेस में शामिल होने जा रहे समीर कुमार को टिकट मिलना तय है। नीरज और समीर कार में आगे की सीट पर बैठे थे। एके 47 से नीरज कुमार पर शाम के 6.55 बजे से 6.58 बजे के बीच और समीर कुमार पर शाम के 6.59 से 7 बजे के बीच गोलियां बरसीं। नीरज और समीर के साथ-साथ उनके चालकों को भी गोलियों से भूना गया। नीरज का अंग रक्षक भी मारा गया था, परन्तु समीर कुमार का सरकारी अंग रक्षक कुछ वर्ष पूर्व वापस ले लिया गया था।
धनबाद पुलिस को मिला मोबाइल लोकेशन
यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि धनबाद पुलिस की तरह मुजफ्फरपुर पुलिस प्रोपर्टी डीलिंग विवाद से जुड़े दबंग राजनेता और गैंगस्टर को जांच के घेरे में लेती है या नहीं। नीरज सिंह हत्याकांड में धनबाद पुलिस को शूटरों और मास्टर माइंड विधायक संजीव सिंह को मोबाइल लोकेशन के आधार पर घेरा। भाजपा विधायक संजीव सिंह की सत्ता के गलियारे में सीधी पहुंच थी। दिल्ली-रांची की ओहदेदार सिसायी हस्तियों की धनबाद में संजीव सिंह के घर ‘सिंह मेंसन’ में मेहमाननवाजी होती थी। इसके बावजूद विधायक पर हाथ डालने में धनबाद पुलिस को कोई हिचक नहीं हुई। विधायक को जेल भेजने वाला एसपी मनोज रतन चौथे आज भी धनबाद में तैनात है।
हर घंटे बदल रहा प्लॉट
समीर हत्याकांड में चार दिनों से हर घंटे प्रोपर्टी डीलिंग के विवादित प्लाट का नक्शा बदल रहा है। जमीन के साथ-साथ प्रोपर्टी डीलरों, सिंडिकेट व संदिग्ध राजनेता के नाम भी बदल जा रहे हैं। पटियासा में सहारा इंडिया वाली जमीन व एक स्कूल की जमीन का सौदा सुर्खियों में है। पुलिस के संज्ञान में कल्याणी चौक की करोड़ों की जमीन के साथ-साथ मोतीझील की एक महंगी जमीन का विवाद भी आया है। चर्चा है कि समीर कुमार ने मोतीझील की जमीन पर एक राजनेता को डेढ़ करोड़ से अधिक रुपये अग्रिम दिया था, परन्तु रजिस्ट्री से पहले विवाद हो गया। बात कानूनी नोटिस तक पहुंच गयी।
Via. Bibhesh Trivedi (Hindustan)
