शहर के प्रमुख व्यवसायी और राजनीति के चर्चित शख्स समीर कुमार की हत्या मामले में पुलिस को अहम सुराग हाथ लगे हैं। घटनास्थल पर देर रात पहुँची एफएसएल की टीम और बैलिस्टिक टीम ने घटनास्थल से कई सबूत इकट्ठे किए वहीं एक निजी विद्यालय के दीवार पर लगी सीसीटीवी फुटेज भी अपने कब्जे में लेकर उसे खंगाल रही है। संभावना व्यक्त की जा रही है कि हमलावर दो से अधिक संख्या में थे, जिन्होंने कार के सामने और पीछे दोनों ओर से अंधाधुंध फायरिंग कर उन्हें मौत के घाट उतार दिया। संभलने का मौका तक नहीं मिला, जबकि प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि वो दरवाजा खोल निकलने की असफल प्रयास भी किये थे। घटना के बाद गाड़ी भी स्टार्ट थी और वाहन के हेड लाईट भी जल रहे थे। अखाड़ा घाट स्थित अपने होटल से वे नाश्ता करके किसी का फोन आने के बाद ही वहां से अपने आवास की ओर निकले थे जिस दौरान रास्ते में यह घटना घटी।
इस वीभत्स वारदात के तह में जाने के बाद कुछ बातें आईने की तरह साफ हो जाती है। पहली बात साज़िश पूरी तरह फूल फ्रूफ थी। हत्या करने और करवाने वाले किसी भी तरह का रिस्क नही लेना चाहते थे। तय टारगेट को जिंदा नही छोड़ना था। हमलावरों कि मंशा बिल्कुल साफ थी, किसी भी कीमत पर शिकार जिंदा नहीं बचना चाहिए। इसलिए एक साथ ताबड़तोड़ इतनी गोलियां बरसाई गई कि जिससे उनके बचने की कोई संभावना ना रहे।
दरसअल, मिली जानकारी के अनुसार मुजफ्फरपुर अंडरवर्ल्ड को इस बात की जानकारी पिछले एक पखवाड़े से थी कि शहर में बाहर से कुछ शूटर्स आये हुए है जो लगातार शहर में घूम फिर रहे है। उनके टारगेट पर शहर का कोई रसूखदार है। लेकिन यह नही मालूम था कि एक्चुअल टारगेट समीर कुमार है। कयास लगाये जा रहे हैं कि छोटे हथियार तो वो बाहर से अपने साथ लाये होंगे पर कांड को अंजाम देने खातिर बड़े हथियार उन्होंने स्थानीय सम्पर्क के माध्यम से भाड़े पर लिया और कांड को अंजाम दिया और हथियार तय स्थान पर छोड़ कर सभी एक दो की संख्या में शहर के अपने ठिकाने पर पहुचे।पुलिस की जांच टीम कई बिंदुओं को ध्यान केंद्रित करते हुए हत्या की गुत्थी सुलझाने में जुटी है।
लगभग दो दशक पहले कौशलेंद्र कुमार शुक्ला उर्फ छोटन शुक्ला और ओंकार सिंह की हत्या ठीक इसी तरह की गई थी। शहर में प्रमुख लोगों की हत्या में जिस तरह से एके-47 का इस्तेमाल किया गया है उससे यही प्रतीत होता है की अपराधियों को पुलिस प्रशासन और कानून का कोई खौफ नहीं, वे बेखौफ होकर घटनाओं को अंजाम देते हैं और हथियार लहराते हुए फरार हो जाते हैं। अपराधियों के हाथ में इतने बड़े हथियारों को देखकर आम जनता भी विरोध दर्ज कराने की हिम्मत नहीं जुटा पाती। एके-47 जैसे बड़े हथियारों से लैस अपराधियों द्वारा पिछले 3 वर्षों में की गई लगातार तीन हत्याएं इस बात का पुख्ता प्रमाण है।
चर्चाओं का बाजार गर्म है कि हत्या प्रॉपर्टी डीलिंग विवाद को लेकर ही की गई है। एनएच 57 पटियासा में सहारा श्री के करोड़ों के जमीन की डीलिंग मैं पूर्व महापौर ने सफलता पाई थी साथी चंदवारा में एक बड़े जमीन को लेकर उनकी बातचीत चल रही थी, खबर यह भी है कि सहारा श्री जमीन को सफलतापूर्वक हासिल करने वाले समीर कुमार सिंडिकेट कई अन्य जमीन सौदों से जुडें लोगों के निशाने पर थे, जो पूर्व से ही इस भूमि डीलिंग में दिलचस्पी रखते थे। और इस कारण दोनों सिंडिकेट में अनबन और विवाद भी होने की बात सामने आई है।
जमीन विवाद में मामला इस हद तक बढ़ गया था कि दोनों ग्रुप एक दूसरे के खिलाफ साजिश रचने में व्यस्त थे। सूत्रों के मुताबिक कल्याणी मंडी स्थित जमीन लेने के इच्छुक समीर कुमार को यहां एक दबंग प्रॉपर्टी डीलर ने मात दे दी और उक्त जमीन को कब्जा लिया। इसके कुछ दिनों बाद ही नगर थाना पुलिस को सूचना मिली की स्थानीय कल्याणी मछली मंडी में अवैध शराब का भंडारण और खरीद बिक्री किया जाता है जिस पर तत्कालीन नगर थानेदार ने कार्रवाई करते हुए बड़ी संख्या में पेट और खाली शराब की बोतलें बरामद की थी। जिसके बाद तत्कालीन नगर थानाध्यक्ष अवैध शराब के बरामद की स्थल को राज्यसात करने की दिशा मे़ कार्रवाई करते हुए मुसहरी सीईओ से उक्त जमीन का ब्योरा मांगा। कल्याणी मछली मंडी को राज्यसात करने की तैयारी जिला प्रशासन और पुलिस द्वारा शुरू कर दिया गया था। यह खबर मछली मंडी की ज़मीन की प्लॉटिंग करने वाले ग्रुप पर बिजली गिरने के समान साबित हुई।
मिली जानकारी के अनुसार जिस ज़मीन को बेचकर वो करोड़ो के मुनाफे का इंतज़ाम कर चुके थे अचानक उस पर शराब पकड़ाने के बाद उनके पैरों तले की जमीन खिसक गई और यह भी अनुमान लगाया जा रहा है कि मछ्ली मंडी के सरकार द्वारा अधिग्रहण होने की स्थिति में उनकी बड़ी पूंजी डूब जाएगी। इस पुलिसिया कसरत के पीछे किसी सियासी दिमाग द्वारा बेहद बड़ी भूमिका निभाने का अंदेशा होने के बाद ही साज़िश रची जाने लगी। चूँकि, सामने वाला भी बेहद रसूखदार और बड़ी पहुच वाला था। वार सटीक होना चाहिए था, छोटी सी भी गलती भारी पड़ सकती थी। तमाम छोटी से छोटी बात पर होमवर्क किया गया था।
एसआईटी की जांच दल इस दिशा में भी जाँच कर रही है कि कहीं समीर कुमार की हत्या का संबंध कल्याणी मंडी स्थित बेशकीमती करोड़ों रुपये मूल्य की जमीन से तो नहीं।
पुलिस सूत्रों के मुताबिक एन एच-57 स्थित पटियासा के सहारा श्री के करोडो़ं की डील को सफलतापूर्वक कब्जाने में समीर कुमार के साथ उनके सिंडिकेट के आसुतोष शाही और भूषण झा शामिल बताये जा रहें हैं। वहीं हत्यारों के साॅफ्ट टार्गेट पर ये दोनों भी हो सकते हैं ऐसी संभावना जतायी जा रही है।
दोनों व्यक्ति शहर के नामी गिरामी बिल्डरों में गिने जाते हैं। आशुतोष शाही ने अपनी ऊंची पहुंच और पैरवी के बल पर दिल्ली समेत यूपी में अपना साम्राज्य स्थापित कर लिया है साथ ही वे मुजफ्फरपुर व इसके आसपास के क्षेत्रों में भी जमीन व मकान से जुड़े सभी बड़े मामले में परोक्ष व अपरोक्ष रुप से जुडे़ बताए जाते हैं। वहीं भूषण झा प्रसिद्ध व्यवसायी और बिल्डर और जमीन के बडे़ सौदों से जुडे़ बताये जाते हैं।
जानकारी के अनुसार पुलिस ने इस मामले में शहर के सभी भूमाफियाओं से साँठगाँठ रखने वाले सुशील छापडिया को हिरासत में लिया है और पूछताछ कर रही है। जानकारों की माने तो शहर के तकरीबन सभी बड़े जमीन और मकान के डील में सुशील छापडिया फायनेंस करने का कार्य करता है। शहर के अधिकांशत: जमीन सौदों में छापडिया का पैसा लगा है। पिछले वर्ष पर पडाव पोखर मोहल्ले में छापड़िया ने करोड़ों का अपना आलीशान मकान बनवाया है। पुलिस हत्या मामले में शहर के तकरीबन सभी भूमाफियाओं के साथ समीर कुमार के संबंधों की जाँच कर रही है। वहीं चन्दवारा निवासी शाह आलम शब्बू का भी नाम राडार पर है।
जोनल आईजी सुनील कुमार ने बताया कि वरीय पुलिस अधीक्षिका का नेतृत्व में हत्या की जाँच के लिये एसआईटी का गठन किया गया है जो विभिन्न बिन्दुओं पर जाँच कर रही है। शहर के बड़े अपराधियों की सूची बनाई गई है, जिनके गिरोह में एके-47 जैसे बड़े हथियार हैं और वैसे अपराधियों को भी चिन्हित किया जा रहा है जिन्होंने हाल के वर्षों में बड़े हथियारों का इस्तेमाल कर ऐसे काण्डों को अंजाम दिया है।
सूत्रों के अनुसार हत्या का यह तरीका इशारा करता है कि प्लानिंग से की गई यह सुपारी किलिंग है और इसमें चार से ज्यादा शूटरों के शामिल होने की संभावना जतायी जा रही है। गोलियाँ कार के सामने और बगल दोनों ओर से बरसाई गई है। जिसमें दो मैगजीन खाली कर देने की बात सामने आई है। संभवतः हमलावर समीर कुमार की कार के पीछे भी रहे होंगे जो आगे इंतजार कर रहे एक बाईक पर सवार दोनों अपराधियों को पल-पल की जानकारी दे रहे होंगे कि कार अमुक स्थान से गुजर रही है। हत्या से पूर्व सुनियोजित तरीके से रेकी की बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता है।
पुलिस की एसआईटी टीम ने अहम सुराग हाथ लगने की बात कही है, पर फिलवक्त एसआईटी के पास ठोस सुराग तो निजी विद्यालय का सीसीटीवी फुटेज ही है, जिसमें अपराध की घटना तो कैद हो गई है पर एक बाईक पर सवार दोनो अपराधियों ने हेलमेट लगा रखा है, जिसमें कुछ स्पष्ट नहीं दिखता।
युवा भूमिहार ब्राह्मण महापंचायत संस्था के संरक्षक समीर कुमार ने कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ने की भी योजना बना रहे थे, एसआईटी इस बात को लेकर भी जाँच कर रही है कि राजनीतिक विद्वेष में इस हत्याकांड को अंजाम तो नहीं दिया गया। समीर कुमार के चुनाव लड़ने से किन-किन लोगों को हानि हो सकती थी। उनके चुनाव में खड़ा होने से किस राजनेता की कुर्सी खतरे में पड़ सकती थी।
अभी यह कहना जल्दबाजी होगी, क्योंकि जाँच दल का पूरा केन्द्र बिन्दु प्रोपर्टी डीलिंग विवाद पर है। उम्मीद है एसआईटी की जाँच सही दिशा में है और उन्हें इस दिशा में कोई ठोस सबूत हाथ लगेगा और दोषी पकड़ा जाये।
सारे शहर में व्यवसायियों ने पूरे शहर को स्वेच्छा से बंद रखा और विरोध स्वरूप कई जगहों पर सड़कें भी जाम की, प्रशासन विरोधी नारे भी लगाये गये। इससे प्रतीत होता है कि आम जनमानस में शहर के प्रथम नागरिक समीर कुमार की लोकप्रियता किस हद तक है। अपने महापौर कार्यकाल हो या राजनीतिक जीवन, समीर कुमार निर्विवाद और निष्कलंक रहे हैं। शहर की जनता को इंतजार है तो बस दोषियों के पकडे़ जाने का, क्योंकि “कानून के हाथ लम्बे होते हैं”, यह साबित करने में पुलिस प्रशासन कितना सफल हो पाता है…