गौरतलब है कि टीकाकरण के बाद भी मरीज साइलेंट स्प्रेडर साबित हो सकते हैं। इससे उन लोगों को खतरा हो सकता है जिनका टीकाकरण नहीं हुआ है और वे इस जानलेवा महामारी की चपेट में आ सकते हैं।
हाल ही में आई पीफिजर और मॉडरना कोरोन वैक्सीन गंभीर बीमारी से लड़ने में तो कारगर साबित हुई हैं लेकिन कोरोना महामारी को फैलने से रोकने में ये वैक्सीन अभी कितनी कारगर हैं ये साफ नहीं हो सका है। क्योंकि इन वैक्सीन के ट्रायल में इसी बात का पता लगाया गया कि वैक्सीन लगाने के बाद लोग कोरोना से बीमार पड़ते हैं कि नहीं। हालांकि इस बात की गुंजाइश बनी रहती है कि टीकाकरण के बाद भी लोग कोरोना वायरस से दूसरे लोगों को संक्रमित कर सकते हैं, क्योंकि ट्रायल में कोरोना के प्रसार को रोकने को लेकर कोई बात नहीं कही गई है। खासकर ऐसी स्थिति में जब टीकाकरण के बाद मरीज लापरवाह हो जाएं और मास्क पहनना छोड़ दें।
गौरतलब है कि टीकाकरण के बाद भी मरीज साइलेंट स्प्रेडर साबित हो सकते हैं। इससे उन लोगों को खतरा हो सकता है जिनका टीकाकरण नहीं हुआ है और वे इस जानलेवा महामारी की चपेट में आ सकते हैं। स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के मिचल टल के मुताबिक कई लोगों का कहना है कि एक बार टीकाकरण के बाद वे मास्क नहीं पहनेंगे। उन्होंने कहा कि लोगों को मालूम होना चाहिए कि वे कोरोना के साइलेंट स्प्रेडर साबित हो सकते हैं। उनसे ये महामारी दूसरे लोगों तक पहुंच सकती है।
बता दें कि कोरोना महामारी में वायरस मुख्य रूप से नाक के जरिए शरीर में दाखिल होता है। लेकिन ऐसा नहीं है कि वायरस से ठीक होने के बाद और वैक्सीन लेने के बाद वायरस शरीर में दाखिल नहीं हो सकता है। हालांकि जिस व्यक्ति ने वैक्सीन ली है उसके भीतर एंटीबॉडी काम करने लगेंगी लेकिन टीका ले चुके व्यक्ति से भी उन लोगों तक वायरस पहुंचा सकते हैं जिन्होंने टीका नहीं लगाया। मसलन यदि कोई व्यक्ति वैक्सीन ले चुका है और वह खांसता या छींकता है तो मास्क न पहनने की स्थिति में ये वायरस और लोगों को आसानी से संक्रमित कर सकता है।