आईआईटी पटना के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के 25 छात्रों की टीम ने फॉर्मूला स्टूडेंट रेसिंग कार बनायी है। कार की लागत पांच लाख है। खास बात यह है कि कार की डिजाइन और सारा मैनुफैक्चरिंग इसी टीम ने किया है। सस्पेंशन सिस्टम से लेकर चैसिस व टायर तक खुद छात्रों ने बनाए हैं। सेकेंड इयर के छात्र आशीष उपाध्याय व रौशन की टीम ने दिन-रात एक कर कार को तैयार किया है। यह रेसिंग कार 11 से 16 जून तक चलने वाली सुप्रा एसएई इंडिया कॉम्पिटिशन में भाग लेगी। ग्रेटर नोएडा के बुद्धा इंटरनेशनल सर्किट में इसका आयोजन होगा। देश से करीब 122 टीमें इस कॉम्पिटिशन में भाग लेंगी।
छह माह में बनी है कार
इस कार को बनाने में कछह महीने लगे हैं। टीम के कैप्टन आशीष ने बताया कि यह मिनी फॉर्मूला रेसिंग कार है जिसमें केटीएम 390 की इंजन लगाई गई है। इसकी रफ्तार 105 किमी प्रति घंटे है। इसे हल्की रखने के लिए एल्युमिनियम का इस्तेमाल किया गया है। फॉर्मूला वन रेसिंग कार काफी हल्की होती है जिसके कारण यह महंगी भी होती है। हमने इस कार को हल्का रखने के लिए एल्युमिनियम के पार्ट का इस्तेमाल किया है। इसकी बॉडी मात्र 43 किलो है और टायर भी छोटे रखे गए हैं। बॉडी बनाने में ऐसे स्टील रॉड का प्रयोग किया गया है जिसमें कार्बन कंटेंट होते हैं। इसके पार्ट्स लाने में काफी दिक्कत हुई क्योंकि ये पटना में मिलते नहीं हैं। इसके लिए कई जगहों से जाकर पार्ट लाने पड़े। कार की स्पांसरशिप रेडिक कंसल्टेंसी और नेशनल इन्श्योरेंस कॉरपोरेशन ने की है।
डिजाइन की होगी टेस्टिंग
आशीष ने बताया कि इस कॉम्पिटिशन में तीन हजार छात्र भाग लेंगे। इसमें कार की डिजाइन की एनालिसिस और रेसिंग की भी टेस्टिंग होगी। अगर इस कार को अच्छा स्थान मिलता है तो हम अपना आइडिया किसी कंपनी के साथ शेयर कर सकते हैं।
सबसे बेहतर प्रोजेक्ट
स्टूडेंट रेसिंग कार अन्य फॉर्मूला रेसिंग कार से अलग है। कारों की डिजाइन पूरी तरह छात्रों की टीम करती है। छात्रों को मेटेरियल स्ट्रक्चर, एयरोडायनेमिक्स, सस्पेंशन डायनेमिक्स, इंटरनल कंबशन इंजन के बारे में पूरी तकनीकी जानकारी होती है। मैकेनिकल इंजीनियरिंग के छात्रों के लिए स्टूडेंट रेसिंग कार बनाने को सबसे बेहतर प्रोजेक्ट माना जाता है।
Input : Live Hindustan