जिले में जमीन का सौदागरों ने ‘भगवान’ को भी नहीं छोड़ा। इस काम में सरकारी कर्मचारी व अधिकारी ने भी उनका पूरा साथ दिया। मगर, मामला पकड़ में आने के बाद कार्रवाई शुरू हो गई है। मुशहरी अंचल के भिखनपुर स्थित विभिन्न देवी-देवताओं के नाम से करीब 17 एकड़ जमीन की जमाबंदी चल रही। मगर, इस बीच इसमें से करोड़ों की जमीन की न केवल बिक्री कर दी गई बल्कि इसकी जमाबंदी भी निजी व्यक्तियों के नाम से कर दी गई। मामला संज्ञान में आने के बाद डीसीएलआर पूर्वी मो. शाहजहां ने इसकी जांच की। इसमें पाया गया कि फर्जी तरीके से छह अलग-अलग दाखिल-खारिज वाद से देवी-देवताओं के नाम की करोड़ों की जमीन निजी व्यक्तियों के नाम कर दी गई। डीसीएलआर ने अपर समाहर्ता डॉ. रंगनाथ चौधरी को इस फर्जीवाड़ा की रिपोर्ट दे दी है। इसमें सभी दाखिल-खारिज वाद को रद करने का प्रस्ताव मुशहरी के सीओ से मंगवाने व राजस्व कर्मचारी विश्वामित्र खरवार के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की अनुशंसा की गई है।

Sigma IT Solutions, Muzaffarpur, Advertisement

यह है मामला

भिखनपुर स्थित खाता संख्या 62 व खेसरा संख्या 1463 व 1494 की जमीन श्रीराम जानकी महाराज, लक्ष्मी नारायण जी महाराज व श्री शिवजी महाराज के नाम से अलग-अलग 5.81-5.81 एकड़ (कुल 17.43 एकड़) जमीन की जमाबंदी चल रही है। कैलाश प्रसाद सिंह ने अपने जीवनकाल में ही यह जमीन मठ के नाम कर दी थी। इसमें से 6.94 एकड़ जमीन पूर्व में पावर ग्रिड के लिए अधिग्रहण की गई। वहीं 1.44 एकड़ जमीन एनएच-77 के लिए। इसकी जानकारी होने पर बिहार राज्य न्यास बोर्ड ने आइजी से इसकी जानकारी का अनुरोध किया। वहीं जमीन के मुआवजे का भुगतान भी स्थगित रखने की बात कही। इस बीच शेष जमीन की खरीद-बिक्री कर दी गई। मगर, इसकी जमाबंदी कई वर्षो तक नहीं हुई। पिछले वर्ष तथ्यों को छिपाकर व फर्जीवाड़ा का सहारा लेते हुए देवी-देवताओं के नाम की करोड़ों की इस जमीन की जमाबंदी कर दी गई।

तथ्य को छुपाकर किया ‘खेल’

डीसीएलआर पूर्वी ने रिपोर्ट में कहा कि तथ्य को छुपाने के लिए राजस्व कर्मचारी ने कागजात में छेड़छाड़ की। जांच के दौरान ये कागजात प्रस्तुत नहीं किए गए। ऐसा फर्जीवाड़ा को छिपाने के लिए जान बूझकर किया गया। जिस कर्मचारी को सरकार व मठ की जमीन बचाने की जिम्मेदारी थी वह भी इस फर्जीवाड़ा में शामिल हो गया। इसे देखते हुए कर्मचारी विश्वामित्र खरवार पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए।

Jimmy Sales, Electronic Showroom, Muzaffarpur
TO ADVERTISE YOUR BRAND OR BUISNESS CALL OR WHATSAPP US AT 97076-42625

हर फर्जीवाड़ा में बच जाते अंचलाधिकारी

जिले में जब भी सरकारी या मठ की जमीन की जमाबंदी होती है कार्रवाई की जद में राजस्व कर्मचारी आ जाते। इसमें अंचल निरीक्षक व अंचलाधिकारी पर कार्रवाई नहीं होती। बस कर्मचारी की अनुशंसा को जमाबंदी को आधार बता दिया जाता। जबकि अंचल निरीक्षक व अंचलाधिकारी की जिम्मेदारी होती कि वे इसकी जांच कर दाखिल-खारिज वाद को स्वीकृत या अस्वीकृत करें। कई कर्मचारियों को सीओ के मौखिक आदेश पर भी रिपोर्ट देना होता है। इसे देखते हुए इन मामलों में जब तक अंचलाधिकारी स्तर पर कार्रवाई नहीं होती तब तक फर्जीवाड़े का यह सिलसिला चलता रहेगा।

Input : Dainik Jagran

Demo photo
Previous articleएसएसपी हरप्रीत कौर IN एक्शन: 95 पुलिसकर्मियों का तबादला, मचा हड़कंप
Next articleनगर निगम की कार्य करने की ऐसी शैली शायद आपने पुरे विश्व में नही देखा हो!

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here