गया : गया जिले के शेरघाटी के संजय मांझी का हादसे में दोनों हाथ कट जाने के बाद भी 5 सालो से विकलांगता पेंशन नहीं मिल रही हैं । शहर के नई बाजार इलाके के दलित टोले के रहने वाले 35 वर्षीय मजदूर संजय मांझी की सबसे बड़ी यह परेशानी हैं कि उनके पास कोई बैंक खाता नहीं हैं । और नया बैंक खाता भी नहीं खुल रहा हैं क्योंकि बैंककर्मी उससे अंगूठे का निशान मांग रहे हैं।
संजय मांझी पिछले 5 सालो से ब्लॉक से लेकर बैंक तक अनगिनत चक्कर लगा चुके हैं इसके बावजूद उनका का न तो बैंक खाता खुला और न पेंशन ही पेंशन मिल रही हैं । संजय पर उसकी पत्नी और 4 छोटे बच्चों का पेट भरने की जिम्मेवारी हैं । इसलिए हाथो से लाचार होने के बावजूद भी वह अपने साथी मजदूरों के साथ मिलकर पास के गोदाम में अनाज के बोरे लोड-अनलोड करने का काम करते हैं ।
नए सिस्टम की वजह से रुक गया पेंशन
संजय मांझी ने बताया की जब से बैंक खाता के माध्यम से पेंशन देने का सिस्टम शुरु हुआ तब से हीं उनका पेंशन मिलना बंद हो गया। पहले डाकघर के खाते के माध्यम से या फिर ब्लॉक के कर्मचारियों द्वारा नगद पेंशन राशि की प्राप्त हो जाती थी। संजय मांझी की पत्नी रीना देवी ने कहा की शहर की कई सारी बैंक शाखाओं मे वेलोग खाता खुलवाने के लिए गए लेकिन सभी बैंक वाले अंगूठे का निशान मांग रहे हैं। लेकिन जब अंगूठा हैं हीं नहीं तो कहां से लाए।
2005 में एक हादसे मे काटा था दोनों हाथ
संजय मांझी के मुहल्ले के निवासी और पूर्व वार्ड कमिश्नर रामप्रसाद कुमार राम ने बताया की साल 2005 में संजय का औरंगाबाद के कोसडिहरा में एक दुर्घटना हो गई थी। वह मजदूरी कर रहा था और कुट्टी मशीन से उसका दोनों हाथ कट गया था। काफी इलाज के बाद उसका जीवन तो बच गया, लेकिन वह अपंग हो गया । उस समय उसकी विकलांगता को देखते हुए पेंशन मिलना शुरू हुआ था । नलेकिन नए सिस्टम की वजह से उसके पेंशन पर आफत आ गई। सनजी के दोबारा पेंशन चालू करने के मामलें में न तो ब्लॉक में हीं कोई सुनवाई हो रही है और ना हीं कोई दूसरा उपाय ही सूझ रहा है। कोई नेता-अफसर तो दूर टोला सेवक और विकास मित्र भी उसकी मदद नहीं कर हैं।