नवरुणा हत्याकांड में साढ़े पांच साल बाद भी कुछ स्पष्ट नहीं है। केस लगभग वहीं है, जहां से शुरू हुआ था। कई लोगों से पूछताछ व जेल भेजे जाने के बाद भी सीबीआइ के हाथ कोई ठोस सुराग नहीं है। मामले के जांचकर्ता इंस्पेक्टर कुमार रौनक अभी छुट्टी पर चल हैं। मंगलवार को योगदान करेंगे।

सीबीआइ को किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचते देख नवरुणा के माता-पिता ने अधिकारियों से भी बात करना छोड़ दिया है। पिता अतुल्य चक्रवर्ती कहते हैं कि सीबीआइ को केस हैंडओवर करने के एक साल बाद अप्रैल, 2015 से उनकी परेशानी बढ़ गई। शुरुआती दौर में तो जांच की दिशा सही चली, लेकिन धीरे-धीरे भ्रमित होने लगी।

इधर, कंकाल जांच में इस्तेमाल केमिकल के विक्रेताओं की भी जानकारी सीबीआइ को नहीं मिल पाई। औषधि विभाग ने भी केमिकल के खुदरा और थोक विक्रेताओं के निबंधन से इन्कार किया है।

विक्रेताओं का कहना है कि सीबीआइ को पहले नवरुणा के कातिलों तक पहुंचना चाहिए, सारी बातें सामने आ जातीं। माता-पिता को कोर्ट पर भरोसा

नवरुणा के माता-पिता को सुप्रीम कोर्ट पर पूरा भरोसा है। इसके पहले वे राष्ट्रपति-प्रधानमंत्री को भी सारी बातों से अवगत करा चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद ही वे कोई दूसरा कदम उठा सकते हैं। उनका कहना है कि सीबीआइ को एक-एक सवाल का जवाब कोर्ट को देना होगा।

क्या है मामला

18 सितंबर 2012 की रात नवरुणा के घर की खिड़की का छड़ टेढ़ा कर उसका अपहरण कर लिया गया था। इस बाबत 19 सितंबर 2012 को नगर थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई। 20 अक्टूबर 2012 को पुलिस ने बबलू, सुदीप चक्रवर्ती व श्याम पटेल को गिरफ्तार कर जेल भेजा। 26 नवंबर 2012 को उसके घर के पास नाले में एक मानव कंकाल मिला। जांच में नवरुणा के कंकाल होने की पुष्टि हुई।

Input : Dainik Jagran

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