बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी ने कहा है कि आइटीआइ उत्तीर्ण छात्रों का प्रमाणपत्र बारहवीं के समकक्ष होगा। सुशील मोदी ने गुरुवार को श्रम संसाधन विभाग की योजनाओं और कार्यक्रमों की समीक्षा की।
मुख्य सचिवालय स्थित उपमुख्यमंत्री कक्ष में हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया। इस दौरान श्रम संसाधन मंत्री विजय सिन्हा भी मौजूद थे। वर्षों से बंद पड़ी एप्रेंटिस योजना के तहत राज्य के अंदर व बाहर के उद्योगों में आइटीआइ के छात्रों को 2 साल की ट्रेनिंग व चालू वित्तीय वर्ष में निर्माण मजदूरों के कौशल विकास के लिए 300 करोड़ की विशेष योजनाएं कार्यान्वित करने का भी फैसला हुआ।
मोदी ने कहा कि राज्य के 51 प्रखंडों को बालश्रम मुक्त करने के अभियान के साथ 7 जिलों में विशेष प्रशिक्षण केंद्र की स्थापना की जाएगी। बिहार निजी नियोजन कानून बना कर सरकार नौकरी के नाम पर युवाओं के साथ होने वाली ठगी पर अंकुश लगाएगी।
आइटीआइ उत्तीर्ण छात्र आमतौर पर आगे की पढ़ाई नहीं कर पाते हैं इसलिए सरकार उनके प्रमाणपत्र को बारहवीं के समकक्ष की मान्यता प्रदान करेगी। राज्य के 50 आइटीआइ के छात्रों को 13 ट्रेड में डिजिटल कंटैंट, 20 आइटीआइ के छात्रों को कंप्यूटर लैब के जरिए कुशल युवा कार्यक्रम और 5 आइटीआइ के छात्रों को वेब कास्टिंग के माध्यम से प्रशिक्षण दिया जाएगा।
आइटीआइ छात्रों के प्रशिक्षण के लिए निजी संस्थानों से समझौता के तहत यमाहा मोटर की फरीदाबाद फैक्ट्री में 320 छात्र ऑन जॉब ट्रेनिंग ले रहे हैं। सैमसंग इंडिया ने महिला आइटीआइ, पटना में प्रशिक्षण केंद्र, मारूति सुजुकी ने मुजफ्फरपुर, पटना और भागलपुर में तथा हुंडई मोटर्स ने मुजफ्फरपुर में प्रशिक्षण के लिए कर्मशाला की स्थापना की है। इसी कड़ी में प्रसिद्ध ब्यूटिशियन जावेद हबीब पटना में ब्यूटी एंड वेलनेस की ट्रेनिंग देंगे।
वर्ष 2017-18 में करीब एक लाख निर्माण मजदूरों का ऑनलाइन निबंधन किया गया है। अब तक कुल 10 लाख निर्माण मजदूर निबंधित किए गए है। पहली बार 2017-18 में 40 हजार निर्माण मजदूरों को 61 करोड़ रुपये का लाभ दिया गया है। प्रति वर्ष करीब 265 करोड़ रुपये निर्माण उद्योग से सेस के तौर पर प्राप्त होता है और वर्तमान में इस मद में 11 सौ करोड़ रुपये जमा है। समीक्षा के दौरान श्रम संसाधन विभाग के प्रधान सचिव दीपक सिंह और श्रमायुक्त गोपाल मीना के अलावा अन्य अधिकारी मौजूद थे।
Input : Dainik Jagran