करवा चौथ का व्रत 27 अक्टूबर को रखा जाएगा। कार्तिक महीने के कृष्णपक्ष की चतुर्थी तिथि होने से इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं और पूजा करती हैं। इस व्रत में महिलाएं बिना पानी पिए और बिना कुछ खाएं पूरे दिन व्रत रखती हैं और रात में चंद्रमा को देखकर अर्घ्य देने के बाद पति का दर्शन करती हैं और उनके हाथों से ही पानी पीकर व्रत पूरा करती हैं। ऐसा करने से पति की उम्र तो बढ़ती ही है साथ ही दाम्पत्य जीवन में भी प्रेम और सुख बढ़ता है।

पूजा और चंद्रमा को अर्घ्य देने का मुहूर्त
- पूजा का मुहूर्त – शाम 5 बजकर 40 मिनट से 6 बजकर 50 मिनट तक रहेगा।
- करवा चौथ पर दिल्ली सहित देश के अन्य राज्यों में चंद्रमा शाम 7:55 से 8:20 के बीच में दिखाई देगा। इसी समय अर्घ्य दिया जाएगा।
करवा चौथ की पूजा विधि
- इस दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करें। चतुर्थी होने से इस तिथि के स्वामी श्रीगणेश जी की पूजा करें। इनके साथ ही माता गौरी की पूजा करें। मां गौरी का ही एक रुप करवा माता हैं। सुबह और शाम को इनकी पूजा करने के बाद करवा देवी की भी पूजा करें। उसके बाद चंद्रमा की पूजा करें और अर्घ्य दें।
- शाम को श्रीगणेश जी को शुद्ध जल चढ़ाएं। फिर लच्छा यानि कलावा चढ़ाएं। इसके बाद चंदन, चावल (अक्षत), अबीर और गुलाल सहित अन्य सुगंधित चीजें चढ़ाएं। इसके बाद हार-फूल चढ़ाएं और दीपक-अगरबत्ती लगाएं। फिर कोई मिठाई या गुड़ का नैवेद्य लगाएं और जल चढ़ाएं।
- अब माता गौरी और करवा देवी की पूजा इसी तरह करें, लेकिन अबीर और गुलाल न चढ़ाएं। इनकी जगह हल्दी और मेहंदी का उपयोग करें। पूजा करने के बाद माता जी को सौलह श्रृंगार और अन्य सौभाग्य की चीजें चढ़ाएं।
- फिर चांदी या तांबे के लोटे में शुद्ध जल लेकर उसमें गंगाजल मिलाएं। इसके बाद उसमें 2 बूंद गाय का दूध डालें। इसके साथ ही सफेद फूल की पत्ति और चावल के कुछ दाने भी लोटे में डाल दें। फिर चंदन, चावल, अबीर, गुलाल और अन्य पूजन सामग्री से चंद्रमा की पूजा करें और अर्घ्य दें।