कोराना काल में चलाई जा रही गिनती की कुछ स्पेशल ट्रेनों में सफर करना आसान नहीं है। लोकल पैसेंजर ट्रेनों की कम संख्या के कारण अगर कोई इन स्पेशल ट्रेनों से सफर करना चाहता है, तो उसे कम से कम 500 किलाेमीटर तक की यात्रा का ही टिकट मिलता है। भले ही उसे बीच में उतरना हो, लेकिन टिकट 500 किलोमीटर का ही दिया जाता है। ऐसे में यात्रियाें काे अधिक किराए के साथ स्पेशल चार्ज भी देना पड़ रहा है। इस तरह की शिकायतें लगातार मिल रही हैं, लेकिन रेलवे के अधिकारी नियमों का हवाला देकर इसमें किसी तरह की बदलाव की संभावना पर चुप्पी साध ले रहे हैं।
रेलवे ने स्पेशल ट्रेनों के किराए के नियम ऐसे रखे हैं, जिससे यात्रियों को पहले की अपेक्षा अधिक रुपए अपनी यात्रा के लिए खर्च करने पड़ रहे हैं। एक तो स्पेशल ट्रेनों का किराया भी स्पेशल यानी सामान्य ट्रेनों से अधिक रखा गया है और दूसरी तरफ यात्रा के लिए कई ट्रेनों में 500 किलोमीटर की दूरी का प्रतिबंध लागू है। इसके चलते रेलयात्रियाें को छोटी यात्राओं के लिए भी अधिक पैसे खर्च करने पड़ रहे हैं।
अभी कोई यात्री राजेंद्रनगर हावड़ा स्पेशल ट्रेन से एसी थ्री में राजेंद्रनगर टर्मिनल से किउल, झाझा या जसीडीह में से किसी भी स्टेशन तक जाना चाह रहा है, तो उसे टिकट हावड़ा तक का लेना होगा। पाटलिपुत्र लखनऊ स्पेशल ट्रेन से अगर कोई यात्री गोरखपुर या छपरा जाना चाहेगा तो उसे एसी थ्री में 500 किमी तक का ही किराया देना होगा। इससे बीच में उतरने वाले ही नहीं बीच के स्टेशन से चढ़ने वाले यात्रियों को भी परेशानी हाे रही है। इसी तरह पटना जंक्शन से कोई यात्री किसी स्पेशल ट्रेन के स्लीपर, एसी थ्री या एसी टू में पंडित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन या उससे आगे इलाहाबाद या वाराणसी के बीच किसी स्टेशन तक जाएंगे तो उन्हें कानपुर तक का किराया देना होगा।
अलग-अलग श्रेणियों के लिए अलग-अलग स्पेशल चार्ज
रेलवे की ओर से स्पेशल किराया को भी श्रेणी के अनुसार बांटा गया है। जनरल कोच में बैठने के लिए न्यनतम स्पेशल चार्ज 10 रुपए तो अधिकतम 15 रुपए तय किया गया है। स्लीपर में न्यूनतम 90 तो अधिकतम 175 रुपए देने होंगे। एसी थ्री में न्यूनतम 250 तो अधिकतम 350 रुपए देने होंगे। इस व्यवस्था से रेलवे को 10 से 30 फीसदी तक अधिक कमाई हो रही है।
नया नहीं स्पेशल फेयर
स्पेशल ट्रेनों में स्पेशल किराया लेने का प्रावधान काफी पहले से है। वैसे कोरोना काल में रेलवे की ओर से ट्रेनों के मेंटेनेंस और स्टेशनों के मेंटेनेंस पर काफी खर्च किया जा रहा है। इसके कारण ही स्पेशल फेयर लेने का प्रावधान किया गया है। बेस फेयर का 10 से 30 फीसदी तक अधिक लेने का प्रावधान है। राजेश कुमार, सीपीआरओ, पूर्व मध्य रेल