कभी गंदगी के लिए बदनाम। अब देशभर में नाम, अलग पहचान और इनाम। सौंदर्यीकरण के लिए रेलवे की ओर से देश के तीन स्‍टेशनों को पुरस्‍कृत किया गया, जिसमें इस स्‍टेशन को दूसरा स्‍थान प्राप्‍त हुआ है। यह कहानी है मधुबनी रेलवे स्टेशन की।

महज 10 दिनों में विश्व प्रसिद्ध मिथिला पेंटिंग के जरिए इसका कायाकल्प करने का काम किया स्थानीय कलाकारों ने। वह भी बिना एक रुपया लिए। वह इसलिए क्योंकि उन्हें धोना था बदनामी का दाग, देश का सबसे गंदा स्टेशन होने का। आज इन कलाकारों की मेहनत रंग लायी और सौदर्यीकरण के लिए मधुबनी स्‍टेशन को पुरस्‍कृत किया गया।

Madhubani Junction

दरअसल, भारतीय रेलवे ने देशभर के उन स्‍टेशनों के नाम आमंत्रित किये गए, जिनका सबसे अच्‍छा सौदर्यीकरण किया गया है। पूरे 11 जोन से 62 स्‍टेशनों के नाम आये। इन 62 स्‍टेशनों में से पहला 10 लाख रूपये का पुरस्‍कार महाराष्ट्र के बल्लारशाह और चंद्रपुर रेलवे स्टेशन को दिया गया। दूसरा पांच लाख रूपये का पुरस्‍कार पूर्व मध्‍य रेलवे के मधुबनी स्‍टेशन और दक्षिण रेलवे के मदुरै स्‍टेशन को दिया गया। तीसरा तीन लाख रूपये का पुरस्‍कार पश्चिमी रेलवे के गांधीधाम, पश्चिम मध्‍य रेलवे के कोटा और दक्षिण मध्‍य रेलवे के सिकंदराबाद को दिया गया।

पूर्व मध्‍य रेल के मुख्‍य जनसंपर्क अधिकारी राजेश कुमार ने बताया कि स्टेशन सौंदर्यीकरण के लिए रेल मंत्री पुरस्कार हेतु समस्तीपुर मंडल के मधुबनी स्टेशन का चयन किया गया है। मधुबनी स्टेशन पूर्व मध्य रेल के समस्तीपुर मंडल में ‘‘ए‘‘ श्रेणी का स्टेशन है। विश्‍वप्रसिद्ध पारंपरिक कला, मधुबनी शैली की चित्रकारी अब मधुबनी स्टेशन को सुशोभित कर रही है जिसकी राष्ट्रीय स्तर पर सराहना की गयी।

मिथिला पेंटिंग मिथिलांचल के मधुबनी, सीतामढ़ी एवं दरभंगा जिलों के आम जन में समान रूप से लोकप्रिय है। इसका उद्देश्‍य सिर्फ स्टेशन को सुशोभित करना नहीं, बल्कि स्थानीय कलाकारों के कौशल और प्रतिभा को प्रदर्षित कर इस पारंपरिक कला के बारे में जागरूकता को बढ़ाना है।

मधुबनी रेलवे स्टेशन पर समृद्ध संस्कृति और एक शानदार इतिहास रखने वाली मिथिला पेंटिंग स्थानीय लोगों के साथ-साथ दुनिया भर के यात्रियों को आकर्षित कर रही है। पूर्व मध्य रेल के लिए यह गौरव की बात है कि मधुबनी स्टेशन को अब एक लोकप्रिय कला शैली के एक आदर्ष प्रतिबिंब के रूप में देखा जा रहा है ।

पूर्व-मध्य रेलवे के समस्तीपुर मंडल के मधुबनी रेलवे स्टेशन को वर्ष 2015-16 में देश के सबसे गंदे रेलवे स्टेशनों में शुमार किया गया तो यहां के लोगों को बड़ा धक्का लगा था। इस स्थिति को सुधारने के लिए रेलवे ने यहां अगस्त 2017 में खासतौर पर एन्‍वायरन्‍मेंट एंड हाउस कीपिंग पद पर भवेश कुमार झा की तैनाती की।

उन्होंने इसकी सुंदरता निखारने में यहां की विश्वप्रसिद्ध मिथिला पेंटिंग के उपयोग का विचार अधिकारियों के समक्ष रखा। हरी झंडी मिलने के साथ 28 सितंबर को स्थानीय कलाकारों से इस कार्य में सहयोग की अपील का विज्ञापन निकाला गया। इसका सकारात्मक असर हुआ। सैकड़ों कलाकार इस अभियान में साथ देने के लिए खड़े हो गए।

गांधी जयंती पर शुरुआत
सफाई और पेंटिंग बनाने की शुरुआत दो अक्टूबर गांधी जयंती पर भव्य समारोह में डीआरएम आरके जैन ने की। इस कार्य में 184 कलाकार लगे। 10 दिनों तक अथक मेहनत करते हुए पौराणिक से लेकर आधुनिक विषयों की 20 थीम्स पर अपनी कल्पना को रेलवे की दीवारों पर उतारना शुरू किया। ये कलाकार पौ फटने के साथ ही स्टेशन पहुंच जाते। कलाकारों ने एक-एक थीम पर पेंटिंग बनाते हुए रंग भरा तो गंदगी से पटी रहने वाली दीवारें बोल उठीं।

रंग लायी मेहनत, मिला इनाम
आज स्थिति यह है कि स्टेशन से कभी मुंह बिचका कर जाने वाले यात्री पेंटिंग देख ठहर से जाते हैं। उसे निहारते हैं। बहुत से लोग तो सिर्फ पेंटिंग देखने के लिए स्टेशन पहुंचने लगे हैं। यहां से होकर ट्रेनें जब गुजरती है या कुछ देर के लिए रूकती है तो यात्रियों की निगाहे दीवार पर बनी पेंटिंग को निहारती रहती है। कुछ समय बाद यात्री यहां से गुजर जाते हैं लेकिन वह मनोरम छवी सदा के लिए मस्तिष्‍क में कैद हो जाती है।

Input : Dainik Jagran

 

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