बहुत दुःखद है, की मेरा बिहार जल रहा है। जो कलतक लिम्का बुक में एक दूसरे का हाथ पकड़े , मानव श्रृंखला का रिकॉर्ड बना रहे थे , आज वही हाथ एक दूसरे पर ईट- पत्थर और गोला बारूद बरसा रहा हैं। कितना जल्दी ये मन उन्मादी हो जाता है धर्म के नाम पर..सचमुच अफीम से भी गहरा नशा है।
मत बनो इस भीड़ का हिस्सा मेरे दोस्त.. अगर घर से निकल रहे हो धर्म बचाने के लिये किसी की हत्या करने तो ,उस रात की नींद के बारे में सोचो, उस बेचैनी के बारे में सोच लो जो तुम्हें सोने नही देगी। तुम महज इसलियें हत्यारे बन जाओगे की उसने तुम्हारे मन्दिर में गाय के मांस का टुकड़ा फेंका या मस्जिद में सुअर का माँस फेंका। इतना कमजोर तो नहीं तुम्हारा धर्म की वो विलीन हो जायेगा उसी क्षण। इतना कमजोर तो नही तुम्हारे शास्त्र, तुम्हारे कुरान की इसके बाद उसमें लिखे सारे शब्द खत्म हो जायेंगे। तुम ,भगवान या अल्लाह से ज्यादा ताकतवर हो गये की उनके रक्षा के लिये तुम्हारी जरूरत पड़ेगी।
तुम जानते हो, बेहतरी से जानते हो कि इसपर महज राजनैतिक रोटियां सेंकी जाएंगी। तुम्हारे जाने के बाद तुम्हारा घर किस दहशत में जियेगा इस पर गौर करना। तुम्हारा व्यवस्थित जीवन नष्ट हो जायेगा , और कल जब तुम्हारे नेता तुम्हारी भीड़ को पहचानने से इनकार कर देंगे जिनकी भीड़ का हिस्सा बनकर तुम निकले हो तो फिर क्या करोगे?
हिंदुओ और मुसलमानों इन नेताओं के भाषणों से आते दुर्गंध से बचो, ये तुम्हें भी सड़ने पर मजबूर कर देंगे
तुमने पढ़ा तो होगा
जब नाश मनुष्य पर छाता है
तो पहले विवेक मर जाता हैं।
सोचना थोड़ा रुककर की क्या तुम होशो- हवास में किसी के कत्ल में हिस्सा लेने जा रहे हो। जिसमें तुम भी मारे जा सकते हो, तुम्हारा दोस्त भी मारा जा सकता है।
सोचना जिस बिहारी होने पर गर्व करते हो, जिन महान लोगों का उदाहरण देते रहे हो, बिहार ने महान वैज्ञानिक, गणितज्ञ, दिया है, जब यह लिखते हो कि बिहार से सबसे ज्यादा आईएएस, आईपीएस निकलते है, और गर्व से सीना चौड़ा करते हो तो फिर आज अचानक तुम्हें क्या हुआ कि भूल गये और दंगाई के भीड़ का हिस्सा बन गये, जो अंततः कुछ भी हासिल नही कर पायेंगे। तुम यह भी नही कह पाओगे किसी के सामने की तुम दंगा का हिस्सा बने हो, जिस बात पर तुम खुल कर गर्व नही कर सकते फिर आज उसका हिस्सा बनने क्यों निकल गये हो।
रुको मेरे दोस्त.. मत बनो हत्यारा… बचा लो अपने बिहार को… घर को जलते हुये देख कर मत खुश होओ.. धर्म के अंधेपन से निकलोगे तो एहसास होगा तुमनें अपना ही घर जलाया हैं.. तुमनें अपनी ही दुकाने जलाई है.. और अंततः तुमनें अपनों का ही कत्ल किया हैं।
कल नींद से उठो तो मिल लेना गले मेरे प्रिय हिंदू और मुसलमान भाइयों। देखों नुक्कड़ पर चाय पक रही हैं सुबह का प्याला साथ मिल कर पी लेना। देखों ना तुम दोनों को साथ देखता है तो मेरा बिहार कितना खिलखिलाने लगता है।
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Photo : PTI