महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर भी मुजफ्फरपुर नगर निगम क्षेत्र ओडीएफ घोषित नहीं हो सका। वर्ष 1917 में चम्पारण जाने से पहले गांधी जी ने यहां कई दिन गुजारे थे। इस कारण बीते साल नगर विकास एवं आवास मंत्री सुरेश कुमार शर्मा ने शहर को इस साल दो अक्टूबर से पहले ओडीएफ घोषित करने के लिए प्रयास शुरू किया। लेकिन मेयर, डिप्टी मेयर व पार्षदों की ओर से ओडीएफ के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) नहीं दिए जाने से मामला फंस गया।

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मामले में नगर आयुक्त संजय दूबे मेयर सुरेश कुमार सहित पार्षदों को यह समझाने में जुटे हैं कि मुजफ्फरपुर 90 फीसदी ओडीएफ होने के बावजूद सम्मान से लगातार वंचित हो रहा है। वहीं, राज्य में कई शहर महज 70 फीसदी ओडीएफ होने के बावजूद सम्मान पा चुके हैं। उनका कहना है कि शहर के ओडीएफ घोषित होने के बाद भी शौचालयों का निर्माण बंद नहीं होगा। सामुदायिक व चलंत शौचलय का मामला भी नहीं लटकेगा। उनका कहना है कि किसी भी क्षेत्र के ओडीएफ बनने के बाद उसको ओडीएफ प्लस बनाना है। फिर उसे ओडीएफ डबल प्लस की श्रेणी में लाया जाना है। इसलिए योजना के बंद होने का सवाल ही नहीं है।

वहीं, मेयर सुरेश कुमार का कहना है कि मेरे वार्ड में भी शौचालय का निर्माण अधूरा है। चार सामुदायिक शौचालय में से एक भी नहीं बन सका है। कई मोहल्ले ऐसे हैं, जहां अब भी लोग खुले में शौच को जाते हैं। शहर में 1600 से ज्यादा शौचालय का निर्माण अधूरा है। मेरे बार-बार कहने के बावजूद शहर में एक भी सार्वजनिक शौचालय को अपग्रेड नहीं किया गया। मोतीझील में महिलाओं के लिए शौचालय की कोई व्यवस्था नहीं की गई। ऐसे में मैं सम्मान लेकर हास्यास्पद नहीं बनना चाहता। बताया कि डिप्टी मेयर व अन्य पार्षद भी इससे सहमत नहीं हैं। ऐसे में कैसे ओडीएफ का एनओसी दिया जा सकता है।

Input : Live Hindustan

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