इस वित्तीय वर्ष नगर निगम का बजट चार अरब से भी ज्यादा का है। इसमें 1.34 अरब रुपये के लाभ का भी अनुमान है। लेकिन, सच्चाई यह है कि बीते वित्तीय वर्षों में आमदनी करोड़ों में ही सीमित रही। बीते वर्ष 2017-18 में कुल 14.49 करोड़ की वसूली ही हुई जो वर्ष 2016-17 के मुकाबले एक करोड़ कम रहा। होल्डिंग टैक्स की वसूली भी 2016-17 के मुकाबले 53.36 लाख की कम रही। सरकारी भवनों से भी बीते साल के मुकाबले 53.86 लाख रुपये की अधिक वसूली हुई। वैसे, दोनों को मिलाकर 2016-17 के मुकाबले एक लाख की अधिक वसूली हुई है।

बीते साल शहर का स्मार्ट सिटी के लिए चयन होने के वाबजूद इसके आय के स्रोत में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई। दरअसल, स्मार्ट सिटी मिशन में भागीदारी के लिए निगम को भी अपना शेयर देना है। फिर भी निगम की आमदनी बढ़ने के बजाय घट गई। होल्डिंग टैक्स ही नहीं अन्य मदों से भी 1.13 करोड़ रुपये कम वसूल हुए। मोबाइल टावर व एंटीना शुल्क की वसूली में भी 2016-17 के मुकाबले वर्ष 17-18 में 45.20 लाख की कम वसूली हुई। ट्रेड लाइसेंस से भी 31.88 लाख कम वसूल हुए। इसके अतिरिक्त स्टॉल से 13.74 लाख, अन्य मदों से 13.44 लाख, पार्क से 11.50 लाख, यान से 2.31 लाख और सैरात से भी 31 हजार रुपये कम वसूल हुए।

Muzaffarpur Nagar Nigam

यूनिपोल व गेन्ट्री विज्ञापन से मामूली आमदनी

शहर में सौ से भी ज्यादा यूनिपोल व कई गेन्ट्री पर विज्ञापन लगाए जाने से निगम की आमदनी 2016-17 के मुकाबले सिर्फ 66 हजार रुपये बढ़ी। नगर विकास एवं आवास मंत्री के सवाल उठाए जाने के बाद हाल यथावत रहा। यूनिपोल व गेन्ट्री की बुकिंग सामान्य विज्ञापन दर से ही की गई। साथ ही नए वित्तीय वर्ष में भी विज्ञापन शुल्क जमा नहीं कराए जाने के बावजूद कई जगहों पर विज्ञापन लगाया जाना जारी है।

आमदनी बढ़ाने के फैसले फाइलों में दबे रहे

होल्डिंग टैक्स की वसूली 59 फीसदी ही हुई। वर्ष 2017-18 के होल्डिंग टैक्स की मांग 19.86 करोड़ रुपये की थी, लेकिन आधे से ज्यादा वार्ड में 60 फीसदी भी वसूली नहीं हुई। सरकारी भवनों से 30.22 फीसदी ही वसूली हुई। विभागीय सूत्रों के अनुसार, नए भवनों का एस्सेमेंट कर नहीं जाने कारण वसूली में बढ़ोतरी नहीं हुई। यही नहीं शहर के मॉल, होटल, नर्सिंग, होम, अपार्टमेंट व नए बड़े भवन के टैक्स निर्धारण का मामला अटका है। इस कारण वसूली ग्राफ वर्ष 2016-17 के आंकड़े को नहीं पार कर सका। यही नहीं स्टॉल, दुकान व होटलों के किराये की वसूली का भी हाल खराब है। बाजार दर से चार गुना भाड़ा कम होने के बाद भी पूरी वसूली नहीं हुई।

नए वित्तीय वर्ष के लिए राजस्व वसूली का लक्ष्य 50 करोड़

नगर निगम ने स्मार्ट सिटी को देखते हुए चार अरब से ज्यादा का बजट बनाया है। निगम के राजस्व में 50 करोड़ रुपये ज्यादा वसूली का लक्ष्य है। मालूम हो कि स्मार्ट सिटी में पूंजीगत भागीदारी से निगम के सामने आमदनी बढ़ाने की बड़ी चुनौती है। वैसे, शनिवार को सम्पन्न नगर निगम बोर्ड की बैठक में निगम की आय बढ़ाने के लिए कुछ फैसले जरूर लिए हैं, लेकिन होल्डिंग टैक्स में प्रत्येक पांच साल पर होने वाले नियिमत बढ़ोतरी के प्रस्ताव को निगम क्षेत्र में कई मूलभूत सुविधाओं का अभाव होने के कारण खारिज कर दिया है।

मुझे बीते वित्तीय वर्ष में सिर्फ डेढ़ माह का समय मिला। मैंने इस अल्पावधि में प्रयास कर छह करोड़ से ज्यादा राजस्व की वसूली कराई। वैसे, बीते वित्तीय वर्ष के मुकाबले एक करोड़ ही बीते साल से कम वसूली हुई है। मेरा प्रयास रहेगा कि निगम की आमदनी को अधिक से अधिक बढ़ाया जाए। इस दिशा में कुछ प्रयास किये गए हैं। आगे भी और प्रयास किये जाएंगे।-संजय दूबे ,नगर आयुक्त

Input : Hindustan

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