पटना : बिहार में नगर निकाय चुनाव को लेकर पटना हाईकोर्ट के फैसले के बाद राज्य निर्वाचन आयोग ने 10 और 20 अक्टूबर को होने वाले पहले दो चरण के चुनाव को तत्काल प्रभाव से स्थगित कर दिया हैं।
पटना हाईकोर्ट के फैसले के बाद बिहार सरकार द्वारा एक बड़ा फैसला लिया गया हैं। दरअसल राज्य सरकार पटना हाईकोर्ट के फैसले CWJC संख्या-12514/2022 के पारित आदेश के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय (सुप्रीम कोर्ट) में अपील दायर करेगी।
बिहार सरकार के अर्बन डेवलपमेंट हाउसिंग डिपार्टमेंट द्वारा ट्वीट कर बताया गया की, “राज्य सरकार द्वारा यह निर्णय लिया गया है कि माननीय उच्च न्यायालय द्वारा CWJC संख्या-12514/2022 में दिनांक-04.10.2022 को पारित आदेश के विरुद्ध माननीय सर्वोच्च न्यायालय में अपील दायर किया जाएगा।”
राज्य सरकार द्वारा यह निर्णय लिया गया है कि माननीय उच्च न्यायालय द्वारा CWJC संख्या-12514/2022 में दिनांक-04.10.2022 को पारित आदेश के विरुद्ध माननीय सर्वोच्च न्यायालय में अपील दायर किया जाएगा।
— Urban Development & Housing Dept, Govt Of Bihar (@UDHDBIHAR) October 4, 2022
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर पटना हाईकोर्ट ने सुनाया था फैसला
नगर पालिका चुनाव में बगैर ट्रिपल टेस्ट के पिछड़ा वर्ग को बिहार सरकार द्वारा आरक्षण दिया गया था और इसे चुनौती देते हुए सुनील कुमार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में रिट याचिका दायर की गई थी. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर पटना हाईकोर्ट ने इस मामले की सुनवाई की थी। मंगलवार को फैसला सुनाते हुये पटना हाईकोर्ट ने कहा था की अति पिछड़ा वर्ग के लिए 20% आरक्षित सीटों को जनरल कर फिर से नोटिफिकेशन जारी किया जाये. इसके अलावा राज्य निर्वाचन आयोग से हाईकोर्ट ने यह भी कहा था कि अगर वह मतदान की तारीख को आगे बढ़ाना चाहे तो बढ़ा सकता हैं।
पटना हाईकोर्ट के फैसले के बाद राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा नगर निकाय चुनाव की तारीख आगे बढ़ाने का फैसला ले लिया गया और इसी कारण पहले दो चरणों का चुनाव स्थगित किया गया हैं।
बिहार की राजनीति गरमाई
वहीं पटना हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद बिहार की राजनीति भी गरमा गई हैं। सत्ता पक्ष और विपक्ष, दोनों एक दूसरे पर अति पिछड़ों को छलने का आरोप लगा रहे हैं। बीजेपी नेता सम्राट चौधरी ने कहा हैं की, “निकाय चुनाव को लेकर पटना उच्च न्यायालय के आदेश के बाद साफ हो गया है कि नीतीश सरकार ने बिहार के अति पिछड़ा समाज को धोखा दिया हैं। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद आयोग का गठन नहीं किया, जिसके कारण यह परिस्थिति उत्पन्न हुई हैं।”