कन्हौली स्थित गोशाला में 600 गाय-बछड़ों की देखभाल के लिए भले ही प्रबंध समिति के 35 स्टाफ और 8 चिकित्सकों की टीम दिन-रात लगी है, लेकिन, इससे समस्याएं सुलझती नहीं दिख रही हैं। अब तक 39 पशुओं की मौत हो चुकी है। इनमें 22 गाय एवं 17 बछड़े शामिल हैं। 100 से अधिक पशु तो एफएमडी जैसे गंभीर बीमारी से ग्रस्त हैं। इन पशुओं का पशुपालन विभाग और गोशाला प्रबंध समिति के चिकित्सक इलाज कर रहे हैं। बावजूद इसके चिंता की बात यह है कि फुट एवं माउथ डीजिज वायरल होने के कारण अन्य पशुओं के भी इससे संक्रमित होने का खतरा बढ़ गया है। समूह में इस तरह की बीमारी होने पर फिलहाल टीकाकरण भी नहीं हो सकता है। हालांकि, जिला पशुपालन विभाग की मानें तो ऐसे पशुओं को आइसोलेशन वार्ड में रखकर इलाज हो रहा है। जबकि, प्रबंध समिति का कहना है कि उचित देखभाल और इलाज के कारण ही औरंगाबाद से लाए गए पशुओं की जान बची। जब पशुओं को यहां लाया गया तो अधिकतर मरणासन्न स्थिति में थे। 10-10 दिनों तक भूखे-प्यासे ट्रकों में ठूंस कर गाय-बछड़ों को रखा गया था। अब अधिकतर की हालत सामान्य है।

निदेशक को भेजी रिपोर्ट, कहा पहले पशुओं में रोग नहीं था 

औरंगाबाद से पकड़ लाए गए गाय-बछड़ों से पहले गोशाला में 216 पशु पाले जा रहे थे। इनमें एफएमटी रोग नहीं था। लेकिन, जब 30 अप्रैल से 3 मई के बीच औरंगाबाद से 748 गोवंश को गोशाला लाया गया तो 60 पशु इस बीमारी से प्रभावित मिले। मुशहरी स्थित गोशाला में भी 40 इस रोग से प्रभावित हैं। सभी का इलाज सेवानिवृत्त पशु चिकित्सक डॉ. अशोक कुमार की देख-रेख में हो रहा है। गत 18 मई को पशु स्वास्थ्य एवं उत्पादन संस्थान के डॉ. अजीत कुमार के नेतृत्व में भी टीम पटना से आई थी। टीम जांच के लिए पशुओं के खून एवं प्रभावित मुंह एवं खूर के नमूने ले गई है।

ये है गोशाला का हाल

यहां पहले से पाले जा रहे थे 216 पशु।
औरंगाबाद से लाए गए थे 748 गाय-बछड़े।
क्षमता नहीं होने पर 214 भेजे गए मुशहरी, 150 मोतिहारी।
गौशाला में फिलहाल 600 पशु हैं।
इनमें मात्र 50 दुधारू गायें हैं, अधिकतर रोग से ग्रस्त।

पशुओं के इलाज में कोई कसर नहीं छोड़ा जा रहा है। खान-पान से लेकर दवा तक दिए जा रहे हैं। काफी नाजुक हालत में जो पशु लाए गए थे उनमें मौत हुई है। अब स्थिति सामान्य है। डॉ. रविंद्र नाथ चौधरी, पशुपालन पदाधिकारी 

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देखभाल में कमी का उठा मामला, लेकिन मिले 43 हजार रुपए 

गौशाला में औरंगाबाद से लाए गए पशुओं की हो रही मौत एवं सही देखभाल नहीं होने का मामला तो खूब उठा। लेकिन, 20 दिनों में समाज के लोगों एवं गोरक्षकों से गोशाला को मात्र 43 हजार रुपये की मदद मिली। प्रबंध समिति के सचिव कृष्ण मुरारी भरतिया ने कहा कि अचानक क्षमता से अधिक गाय-बछड़े बीमार हालत में गोशाला में लाए गए थे। प्रबंध समिति, जिला प्रशासन एवं पशुपालन विभाग ने मिलकर पूरी देखभाल की। दाना-पानी से लेकर दवा-सुई में कोई कोर कसर नहीं छोड़ा जा रहा है। 4 हजार स्क्वायर फीट में नया शेड बनाया गया है। गर्भवती वार्ड की छत क्षतिग्रस्त थी, उसका निर्माण हो रहा है। भूसा, गुड़, पानी, चोकर की पर्याप्त व्यवस्था है। बीमारी ठीक करने के लिए मुंह में मक्खन लगाए जा रहे हैं।

मुख्य सचिव का आदेश, गोशाला की जमीन से हटाएं अतिक्रमण

उच्च न्यायालय के आदेश के बाद भी मुजफ्फरपुर समेत राज्य के 33 जिलों में स्थित गोशालाओं की जमीन से अतिक्रमण नहीं हट रहा है। आदेश के बाद भी गोशालाओं की भूमि अतिक्रमणमुक्त नहीं हाेने के बाद उच्च न्यायालय में एमजेसी भी दायर है और अदालत ने सरकार से इस संबंध में हुई कार्रवाई की रिपोर्ट मांगी है। अदालत को रिपोर्ट भेजने के लिए मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह ने मुजफ्फरपुर समेत 33 जिलों के डीएम से एक सप्ताह में अतिक्रमण हटाते हुए कार्रवाई की सूचना उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है। उच्च न्यायालय ने वर्ष 2014 में जिले की सभी गोशालाओं की जमीन की मांपी कराने के बाद उसे अतिक्रमणमुक्त होने की रिपोर्ट उपलब्ध कराने को कहा था, इसके बाद भी कोई कार्रवाई नहीं होने पर उच्च न्यायालय में अवमाननावाद भी दायर है।

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मामले की सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय ने 11 अप्रैल 2018 को गोशाला की भूमि अतिक्रमणमुक्त करते हुए रिपोर्ट मांगी है। आदेश के आलोक में मुख्य सचिव ने सभी डीएम को विशेष पत्र के माध्यम से गोशाला की जमीन से एक सप्ताह में अतिक्रमण हटाने के साथ की गई कार्रवाई के संबंध में रिपोर्ट उपलब्ध कराने का आदेश दिया है।

 

उच्च न्यायालय को सूचना देने के लिए मुख्य सचिव ने मुजफ्फरपुर समेत 33 डीएम को दिया आदेश 

 

एक सप्ताह का दिया गया समय पहले भी गोशाला से अतिक्रमण हटाने के दिए गए थे निर्देश 

Input : Dainik Bhaskar

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