मुम्बई में संघर्ष की राह आसान नहीं है। खासकर छोटे शहरों से जाने वालों को हर कदम पर चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। पर, काबिलियत व जुनून से हर मुश्किल का सामना करते हुए सफलता को हासिल किया जा सकता है।

यह कहना है अपनी मखमली आवाज से बॉलीवुड को दीवाना बनाने वाली क्लासिकल सिंगर और शहर की बेटी अनुपमा चौहान का। मालीघाट निवासी कामेश्वर प्रसाद की पुत्री अनुपमा आज किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं। पांच साल पहले क्लासिकल म्यूजिक सीखने के लिए मुंबई का रुख किया। वहां से क्लासिकल सिंगर, कवर सॉन्ग व अलबम से फिल्मों तक का सफर तय किया। मशहूर क्लासिकल सिंगर किशोरी अमोनकर से संगीत की शिक्षा लेने वाली अनुपमा आज संगीतकार ललित समेत कई अन्य संगीतकारों की पहली पसंद हैं। फ़िलहाल अनुपमा बॉलीवुड के मशहूर गुरु गुलाम मुस्तफा साहब से शिक्षा प्राप्त कर रही है जिन्होंने बॉलीवुड के मशहूर संगीतकारों को शिक्षा दी है इनमे ए॰ आर॰ रहमान, सोनू निगम और ना जाने कितने नाम जुड़े है। अनुपमा ललित पंडित को अपना मेंटर मानती है।
अभी शुक्रवार को शहर पहुंचीं अनुपमा ने ‘हिन्दुस्तान से खास बातचीत में बताया कि मैं जब मुजफ्फरपुर से मुंबई जा रही थी तो पापा ने कहा था कि संगीत साधना है। तुम्हें इस साधना को साधना है, न की भीड़ में शामिल होना है। पापा के इस विश्वास और साथ ने मुझे हौसला दिया। बताया कि निर्देशक अभिनव ठाकुर की फिल्म ‘ये सुहागरात-इम्पॉसिबल में मैंने जो गाना गया है, वह रिलीज हो चुकी है। फिल्म अक्टूबर में रिलीज होगी। बॉलीवुड की कई और फिल्में आने वाली हैं जिसमें मैंने गीतों को स्वर दिया है।
गानों से सामाजिक संदेश भी
‘हिमराज के शिखर से आई आवाज, उठो चलो जवानों सरहद बुला रही है… एक महीने पहले आये अलबम ‘सरहद बुला रही है के जरिए अनुपमा ने युवाओं के दिलों में जगह बना ली। वह अपने अलबम के गानों के जरिए सामाजिक संदेश का प्रयास भी कर रही हैं। अनुपमा कहती हैं कि पिता कामेश्वर प्रसाद सरकारी अधिकारी हैं। संगीत के प्रति उनके लगाव ने ही मुझे इससे जोड़ा। उनकी सफलता में माता आशा रानी का भी आशीर्वाद शामिल है।