लेफ्ट आर्म स्पिनर शाहबाज नदीम मुजफ्फरपुर शहर के जेल चौक स्थित बिन्देश्वरी कम्पाउंड (चंदवारा) के रहने वाले हैं। लेकिन, झारखंड से खेलते हुए टीम इंडिया के दहलीज पर हैं। चेन्नई में चल रहे विजय हजारे ट्रॉफी में गुरुवार को राजस्थान के खिलाफ दस ओवर में चार मेडन फेंकते हुए दस रन देकर आठ विकेट झटकने एवं लिस्ट ‘ए क्रिकेट के 21 साल पुराने वर्ल्ड रिकॉर्ड को तोड़ने वाले शाहबाज नदीम ने कहा, वर्ल्ड रिकॉर्ड के बारे में मुझे पता नहीं था। मोबाइल के नेट पर जानकारी मिली। दुबई में चल रहे एशिया कप खेलने गई टीम इंडिया में शामिल कई दोस्तों ने भी इसकी जानकारी दी। विजय हजारे ट्रॉफी में लाजवाब प्रदर्शन और झारखंड टीम को शानदार जीत दिलाने पर मैं काफी प्रसन्न हूं और मुझे अच्छा लगता है।

Shahbaz Nadeem

वर्ष 2003 उनके कॅरियर का टर्निंग प्वाइंट: 2003 में शाहबाज का चयन अंडर-15 टीम इंडिया में किया गया,जो उनके कॅरियर का टर्निंग प्वाइंट था। 2004 में केरल के खिलाफ प्रथम श्रेणी का मैच खेला। पिछले चार साल से टीम इंडिया में जगह बनाने की दावेदारी कर रहे शाहबाज नदीम अभीतक 99 प्रथम श्रेणी मैच में 29.74 की औसत से 375 विकेट ले चुके हैं। वे 87 लिस्ट ‘ए मैचों में 124 विकेट और 109 ट्वेंटी-20 मैच में 89 विकेट लेने में सफल रहे हैं। इससे पूर्व वर्ल्ड रिकॉर्ड भारत के ही स्पिनर राहुल सांघवी ने दिल्ली की ओर से खेलते हुए 1997-98 में हिमाचल प्रदेश के खिलाफ 15 रन देकर आठ विकेट लिए थे।

धनबाद स्टेडियम में शौकिया गेंद फेंकते थे: हालांकि पूर्व में शहबाज का क्रिकेट से नाता नहीं था। उनके पिता धनबाद में डीएसपी थे। अपने बड़े भाई असहद इकबाल के साथ प्रत्येक दिन धनबाद स्टेडियम में जाते थे। स्टेडियम में शाहबाज शौकिया गेंद फेंकते थे। बिहार विभाजन से पूर्व कीनन स्टेडियम में बिहार रणजी ट्रॉफी टीम यहां अभ्यास करती थी। शाहबाज बल्लेबाजों को नॉकिंग कराने लगे।

वेंगसरकर ने बॉलिंग एक्शन को कहा लाजवाब

जमशेदरपुर के कीनन स्टेडियम में शाहबाज से प्रभावित होकर दिलीप वेंगसरकर ने बिहार टीम के कोच को बुलाकर कहा, यह लड़का जैसी गेंदबाजी कर रहा है, करने दें। इसका बॉलिंग एक्शन लाजवाब है और आगे चलकर एक अच्छा गेंदबाज बनेगा।

सीनियर टीम से नहीं खेलने का मलाल

29 वर्षीय शाहबाज ने कहा, आईपीएल में मेरा प्रदर्शन अच्छा रहा। न्यूजीलैंड, इंग्लैंड और आस्ट्रेलिया ‘ए टीम खेलने वाली टीम इंडिया ‘ए का हिस्सा बने थे। बावजूद सीनियर टीम इंडिया का हिस्सा नहीं बन पाये, इसका मुझे मलाल है। आगे भी मेरा प्रदर्शन जारी रहेगा। मुझे उम्मीद है कि एक न एक दिन मैं अपने सीनियर टीम का हिस्सा बनकर अपने पिता जावेद महमूद, मां शबनम और बड़े भाई असहद इकबाल का सपना पूरा करूंगा। रणजी टीम में शामिल दरभंगा के तारिर्कुर रहमान एवं धनबाद के अविनाश कुमार उन्हें बाएं हाथ से गेंद फेंकने के लिए प्रेरित करते थे।

Input : Live Hindustan

 

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