शहर को प्लास्टिक मुक्त करने की कार्ययोजना बनेगी। इसकी पहल एक संगोष्ठी के माध्यम से होगी। इसमें विशेषज्ञ ं बुद्धिजीवी एवं एकेडमिक लोगों की मौजूदगी रहेगी। यह घोषणा गुरुवार को जिलाधिकारी मो. सोहैल ने की। वे गुरुवार को एलएस कॉलेज के मनोविज्ञान विभाग द्वारा आयोजित संगोष्ठी में विशिष्ट अतिथि के रूप में बोल रहे थे। इस संबंध में शहर को प्लास्टिक मुक्त करने की पहल पर प्रो. अवधेश कुमा सिंह ने जिज्ञासा जताई थी।

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डीएम ने कहा कि प्लास्टिक मानव जाति के लिए सबसे बड़ा खतरा है। हम माइक्रो प्लास्टिक को पानी, सब्जी व अन्य खाद्य पदार्थ में इस्तेमाल करते हैं और पता भी नहीं चलता है। नतीजा यह होता है कि वो खून के रास्ते निकल नहीं पाता। यही कैंसर का कारण बनता है। अब जागरुकता के कारण तंबाकू का इस्तेमाल कम होता है। इससे मुंह का कैंसर कम हो गया है। लेकिन, शरीर में कैंसर का खतरा बढ़ गया है। कहा कि दुनिया में प्रति मिनट 10 लाख बोतल पानी की खपत होती है। उन्होंने बताया कि प्लास्टिक के विविध उत्पादों के नष्ट होने में सैकड़ों साल लग जाते हैं। सच यही है कि प्लास्टिक हमारे जीवन शैली में शामिल हो गया है। कुलपति डॉ. अमरेंद्र नारायण यादव ने कहा कि जागरुकता से ही शहर व समाज को प्लास्टिक मुक्त कर सकते हैं। हमें सूती कपड़ों को पहनने व जूट के बैग का उपयोग करना चाहिए। किसी कीमत में पॉलीस्टर का कपड़ा नहीं पहनना चाहिए। मुख्य वक्ता विश्वविद्यालय के रसायन विज्ञान विभाग के अध्यक्ष डॉ. मिथिलेश कुमार थे। संचालन मनोविज्ञान विभाग के अध्यक्ष डॉ. एनएन मिश्र ने कि या। अध्यक्षता प्राचार्य डॉ. अनिल कुमार सिंह ने की।

Input : Dainik Jagran

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