नवरुणा मामले में पांचवीं बार जांच अवधि बढ़वाने के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंची सीबीआइ की अर्जी में कई चौंकाने वाली बातें सामने आई हैं। यह एक तरह से उसकी अब तक की जांच रिपोर्ट है। इसमें कहा गया है कि नाले में डालने से पहले नवरुणा की लाश की इंबाल्मिंग (केमिकल संलेपन) की गई। इसी वजह से नाले से मिली उसकी लाश से गंध नहीं आ रही थी। जिस समय नाले से लाश निकाली गई, उस समय प्रत्यक्षदर्शी व पुलिस अधिकारियों ने भी इसका समर्थन किया था। अब सीबीआइ जिले में उस जगह की तलाश कर रही है, जहां इंबाल्मिंग की प्रक्रिया पूरी की गई। साथ ही यह जानने का प्रयास कर रही है कि प्रयुक्त रसायन कहांसे खरीदा और स्टॉक किया गया। इस संबंध में सीबीआइ की ओर से जिलाधिकारी को पत्र भी लिखा गया था। सीबीआइ की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट ने जांच की अवधि 15 सितंबर तक बढ़ा दी है।
यह है मामला : 18 सितंबर 2012 की रात नगर थाना क्षेत्र के जवाहरलाल रोड स्थित अपने मकान में सोई नवरुणा का अपहरण कर लिया गया था। 26 नवंबर 2012 को नवरुणा के घर के पास नाले की सफाई के दौरान उसका कंकाल मिला था। शुरू में मामले की जांच पुलिस व बाद में सीआइडी ने की। फरवरी 2014 से जांच सीबीआइ कर रही है। जांच में देरी होने पर दो साल पहले सुप्रीम कोर्ट में इसकी कानूनी लड़ाई लड़ रहे सेव नवरुणा संगठन के अभिषेक रंजन ने अवमाननावाद दायर किया। सुप्रीम कोर्ट ने इसकी सुनवाई करते हुए सीबीआइ को पांचवी बार जांच की डेडलाइन तय की है।
क्या है इंबाल्मिंग : यह एक तरह की चिकित्सकीय प्रक्रिया है। इसके तहत विशेष प्रकार के रसायन को मृत शरीर की नसों में डाला जाता है। कुछ रसायन का लाश पर संलेपन भी किया जाता है। इससे शरीर जल्द खराब नहीं होता है और कोई गंध नहीं निकलता है। यह प्रक्रिया प्रशिक्षित व्यक्ति ही पूरा कर सकता है। सीबीआइ जांच में आ रही कठिनाई से भी इन्कार नहीं कर रही है। उसका कहना है कि मोबाइल फोन के कॉल डिटेल्स व तकनीकी आकड़े पांच साल पुराने हंै। इससे साक्ष्य एकत्र करने में परेशानी हो रही है।
सामने आए कई संदिग्धों के नाम
इस साल जनवरी में फॉरेंसिक जांच, वाइड लेयर्ड वायस एनालिसिस (एलवीए) एवं लाई डिटेक्टर टेस्ट से सीबीआइ को महत्वपूर्ण व ठोस सुराग मिले हैं। पिछले छह माह की जांच में कुछ नए तथ्य सामने आए हैं। इसमें कुछ नए संदिग्धों के नाम शामिल हैं। इन संदिग्धों की संलिप्तता व भूमिका की जांच प्रक्रिया पूरी की जानी है।
225 से पूछताछ व एक दर्जन लोगों की लाई डिटेक्टर टेस्ट और ब्रेन मैपिंग
नवरूणा मामले में सीबीआइ अबतक 225 लोगों से पूछताछ कर चुकी है। एक दर्जन संदिग्धों की वैज्ञानिक तरीके से लाई डिटेक्टशन टेस्ट, ब्रेन मैंपिंग, नाकरे एनलाइसिस एवं एलवीए जांच कराई गई है। सीआरपीसी की धारा-161 के तहत कुछ गवाहों के दर्ज बयान व इस टेस्ट में विरोधाभास सामने आए हैं। संदिग्धों को हिरासत में सीबीआइ पूछताछ करने वाली है। एक संदिग्ध आरोपित वार्ड पार्षद राकेश कुमार सिन्हा उर्फ पप्पू को सीबीआइ गिरफ्तार भी की थी। निर्धारित 90 दिनों के अंदर चार्जशीट दाखिल नहीं होने के कारण उन्हें जमानत मिल गई।
घटनास्थल के निकट सक्रिय थे 114 मोबाइल फोन : अनुसंधान के क्रम में मोबाइल टावर डंप कर वैज्ञानिक तरीके से मोबाइल कॉल डिटेल्स खंगाल रही सीबीआइ को घटनास्थल के निकट 114 मोबाइल फोन के सक्रिय होने के प्रमाण मिले। इसमें से 75 मोबाइल धारक की जांच की जा चुकी है। अन्य की जांच की जा रही है। टावर डंप करने के बाद मिले कॉल डिटेल का विश्लेषण भी किया जा रहा है।
संपत्ति विवाद को लेकर घटी घटना : सीबाआइ वैसे तो इस अपहरण व हत्याकांड को ब्लाइंड केस मान रही है, लेकिन इसके पीछे संपत्ति विवाद बता रही है। गवाहों से पूछताछ के आधार यह बात उसके सामने आई है कि नगर थाना के जवाहरलाल रोड स्थित अतुल्य चक्रवर्ती का संपत्ति विवाद था। पुलिस ने भी इस संपत्ति को बेचने को लेकर विवाद माना था। सीबीआइ इस बात की जांच कर रही है कि दूसरे कौन लोग व संदिग्ध थे जिनकी रुचि उनकी संपत्ति में थी। इनकी संलिप्तता कितनी थी इसकी जांच की जा रही है।
ब्लड सैंपल नहीं देने से जांच में हुई देरी : सीबीआइ ने मामले की जांच में देरी का कारण नवरूणा के माता-पिता का पुलिस को ब्लड सैंपल नहीं देना बताया है। इस सैंपल का मिलान उसके घर के नाला से सफाई के दौरान मिले मानव कंकाल से मिलान कराना था। बाद में सीबीआइ को यह ब्लड सैंपल मिला। इसकी एफएसएल व डीएनए जांच से ही सीबीआइ इस बात को साबित कर सकी कि मानव कंकाल नवरूणा का ही था।
तीन लोगों पर पुलिस दाखिल कर चुकी चार्जशीट : अनुसंधान के बाद पुलिस तीन लोगों के विरुद्ध कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की थी। चार्जशीट दाखिल किए जाने वालों में सुदीप चक्रवर्ती उर्फ टप्पा, रमेश कुमार सिंह उर्फ बबलू व श्याम पटेल के नाम शामिल हैं। 118 सितंबर को सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट में मामला सूचीबद्ध 1पांचवी बार जांच अवधि बढ़ाने की अर्जी की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: अगली तारीख मुकर्रर कर दी है। अनुसंधान की वर्तमान डेडलाइन इस साल 15 सितंबर की गई है। 18 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट इस मामले की सुनवाई करेगी।
18 सितंबर को सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट में मामला सूचीबद्ध
पांचवी बार जांच अवधि बढ़ाने की अर्जी की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: अगली तारीख मुकर्रर कर दी है। अनुसंधान की वर्तमान डेडलाइन इस साल 15 सितंबर की गई है। 18 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट इस मामले की सुनवाई करेगी।
Input : Dainik Jagran