बिहार में कुपोषण की वजह से बच्‍चों की लंबाई घट रही है। इससे लगभग आधी आबादी प्रभावित है। समाज कल्याण विभाग ने पोषण अभियान चलाने से पहले राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) की रिपोर्ट जारी की है, जिसमें शून्य से पांच साल तक के 48.3 फीसद बच्चों को कुपोषण के चलते बौनेपन का शिकार बताया गया है।


विभागीय मंत्री कृष्णनंदन प्रसाद वर्मा ने रिपोर्ट पर चिंता प्रकट करते हुए कहा है कि बच्चों में बढ़ रहे बौनेपन की समस्या को दूर करने के लिए पोषण अभियान की थर्ड पार्टी से मॉनीटरिंग करायी जा रही है। इसके अच्छे नतीजे आएंगे।

राज्‍य के 47.3 फीसद बच्‍चे कुपोषित
रिपोर्ट के अनुसार राज्य में कुल 47.3 फीसद बच्चे कुपोषित हैं। 38 जिलों में से 23 जिलों में बच्चों में कुपोषण की स्थिति गंभीर है। इनमें बक्सर, गया, नवादा, नालंदा, कैमुर, भोजपुर, सारण, सिवान, वैशाली, मुंगेर, जमुई, भागलपुर, किशनगंज, पूर्णिया, कटिहार, मधेपुरा, सहरसा, सुपौल, अररिया, पूर्वी चंपारण, पश्चिम चंपारण, मुजफ्फरपुर और दरभंगा जिले शामिल हैं।

हालांकि, समाज कल्याण विभाग ने बच्चों में बढ़ते कुपोषण और महिलाओं एवं किशोरियों में खून की कमी (एनीमिया) जैसी समस्या से पार पाने के लिए नई पहल शुरू कर दी है। 33 फीसद महिलाएं एनीमिया की शिकार हैं। विभाग के स्तर से सभी सीडीपीओ, एएनएम, आशा कार्यकर्ता, डीपीओ और सिविल सर्जन से मदद लेने का फैसला किया गया है। सभी आंगनबाड़ी सेविकाओं व सहायक सेविकाओं को पोषण जागरुकता चलाने एवं उसमें जन भागीदारी के लिए प्रशिक्षण दिया जा रहा है।विभाग द्वारा सभी जिलों में आंगनबाड़ी केंद्रों व अस्पतालों में शून्य से लेकर पांच साल तक के बच्चों का नियमित वजन भी कराया जा रहा है। यह मॉनीटर किया जा रहा है कि उम्र के अनुसार उनका वजन है या नहीं।

पांच साल से कम के 48.3 फीसद बच्‍चे बौनेपन के शिकार
समेकित बाल विकास कार्यक्रम के निदेशक आरएसपी दफ्तुआर ने बताया कि’सर्वे की रिपोर्ट चिंताजनक है क्योंकि प्रदेशभर में पांच वर्ष से कम उम्र के 48.3 फीसद बच्चे कुपोषण के कारण बौनेपन से ग्रसित हैं। सभी 91 हजार आंगनबाड़ी केंद्रों पर बच्चों के लिए पोषाहार का नियमित अभियान चलाया जा रहा है। हम अब एक माह तक के लिए केंद्र प्रायोजित पोषण अभियान भी शुरू करने जा रहे हैं।

बच्चे के प्रारंभिक 1000 दिनों में कुपोषण से होता बौनापन
नालंदा मेडिकल कॉलेज एवं अस्‍पताल के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. अरुण कुमार ठाकुर कहते हैं कि रिपोर्ट से हैरानी नहीं हुई क्योंकि प्रदेश के बच्चों में कुपोषण एक गंभीर समस्या है। बच्चों में बौनेपन की स्थिति उनके जीवन के प्रारंभिक 1000 दिनों के दौरान कुपोषण के कारण है। इसके परिणामस्वरूप बच्चों के विकास में रुकावट आती है। ऐसे बच्चों में भविष्य में मधुमेह, मोटापे और उच्च रक्तचाप का बहुत ज्यादा खतरा होने और दिमाग का पूरी तरह विकसित न होने की संभावना रहती है। स्कूलों में खराब प्रदर्शन की भी समस्या सामने आ रही है।
Input : Dainik Jagran


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