नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत द्वारा देश के पिछड़ेपन के लिए बिहार को जिम्मेदार बताना, बिहार की अस्मिता पर चोट की तरह है. आजादी की लड़ाई में बिहार की सक्रिय भागीदारी के कारण अंग्रेजों ने अन्य राज्यों की तुलना में बिहार के प्रतिकूल व्यवहार किया.
आजादी के बाद भी यह भेदभाव चलता रहा. पहली योजना काल से ही यहां दूसरे राज्यों की तुलना में िनवेश बेहद कम रहा. लंबे समय तक भाड़ा समानीकरण की नीति के चलते िबहार को प्रतिवर्ष अरबों रुपये की चपत लगती रही. बड़ी कोशिशों के बाद बिहार ने बीमारू राज्य का धब्बा धोया है. हर वर्ष बाढ़-सूखे का दंश झलने के बावजूद पिछले एक-डेढ़ दशक में बिहार में विकास की रफ्तार देश भर में सर्वाधिक रही. बिहार की विकास दर 10.3% है, जो राष्ट्रीय औसत 7.3% से काफी अिधक है. प्रति व्यक्ति आय में भी इजाफा हुआ है.
सामाजिक मानकों में तेजी से सुधार हुआ है. राज्य के तेज विकास के लिए विशेष राज्य के दर्जे की मुहिम चली. ऐसे में बिहार को अधिक-से-अधिक सहायता देकर इतिहास में हुई गलती को सुधारने की जरूरत है, न कि पूर्वाग्रह दिखाने का. तभी विकसित भारत का भी सपना साकार हो सकता है.
यह कहा था नीति आयोग के सीईओ ने
नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ( सीइओ ) अमिताभ कांत ने सोमवार को दिल्ली में जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में प्रथम अब्दुल गफ्फार खान स्मारक व्याख्यान में कहा कि देश के दक्षिणी और पश्चिमी राज्य तेजी से प्रगति कर रहे हैं , लेकिन बिहार, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों के कारण देश पिछड़ा बना हुआ है, खासकर सामाजिक संकेतकों पर. जहां व्यापार में आसानी के मामले में हमने तेजी से सुधार किया है, वहीं मानव विकास सूचकांक में हम अब भी पिछड़े हैं.
आज बिहार की यह है हकीकत
– 10.3% विकास दर थी पिछले साल बिहार की, जो राष्ट्रीय औसत 7.3 से काफी अधिक है
– 1.5% तक घट गया है यहां सरकारी स्कूलों में ड्रॉप ऑउट रेट
– 100% गांव हुए विद्युतीकृत, दिसंबर तक सभी घरों में बिजली कनेक्शन का लक्ष्य
– 84% से अधिक टीकाकरण कवरेज हो गया है बिहार का
– 3 नंबर पर बिहार पहुंच गया है सड़कों के घनत्व के मामले में
बिहार को इन नुकसानों की भरपाई करना देश की जिम्मेदारी
– प्रथम पंचवर्षीय योजना काल से बिहार में तुलनात्मक रूप में कम निवेश
– भाड़ा समानीकरण से हर साल अरबों रुपये की चपत
– नेपाल से अाने वाले पानी के कारण हर साल बाढ़ से तबाही
विरोधाभासी है यह बयान : त्यागी
जदयू के राष्ट्रीय महासचिव केसी त्यागी ने नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत के बयान को विरोधाभासी करार दिया है. उन्होंने मंगलवार को कहा कि नीति आयोग के सीईओ कह रहे हैं कि बिहार, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश और राजस्थान के कारण देश का विकास नहीं हो रहा है.
इधर हाल में ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बयान आया है कि उनके शासनकाल में बीमारू राज्यों की सूची हटा दी है. प्रधानमंत्री अपनी बिहार की यात्रा के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कार्यों की भूरि-भूरि प्रशंसा की है.
प्रधानमंत्री ने शौचालय निर्माण की गति को लेकर मुख्यमंत्री की तारीफ की. दो दिन पहले केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह बिहार सरकार के कार्यों की प्रशंसा कर आये हैं. त्यागी ने कहा कि 10-12 वर्षों में बिहार की मातृ मृत्यु दर, शिशु मृत्यु दर में लगातार सुधार हो रहा है.
Eastern part of India particularly states like Bihar, UP, Chattisgarh, MP & Rajasthan is keeping India backward especially on social indicators. While we've improved on ease of doing business, we've remained backward on human development index: Amitabh Kant, CEO, Niti Ayog #Delhi pic.twitter.com/PDKRcl2fAk
— ANI (@ANI) April 24, 2018
लड़के और लड़कियों की शिक्षा में काफी काम हुआ है, जिसके कारण स्कूल से बच्चे-बच्चियों के ड्राॅपआउट रेट में कमी आयी है. बिहार की विकार दर 10.3 फीसदी हो गयी है. यह राष्ट्रीय औसत से भी ज्यादा है. जब बिहार नीतीश कुमार के हाथों में मिला था तो उस समय पीडीएस सिस्टम में 70 प्रतिशत लीकेज था. लालू प्रसाद ने तो अपने 15 साल के कार्यकाल में सिर्फ बूथ केमिस्ट्री पर ध्यान दिया.
बिहार को विशेष राज्य के दर्जे की मांग सभी दलों द्वारा की गयी. 14 वित्त आयोग की रिपोर्ट के अनुसार बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं दिया जा सकता. 15वें वित्त आयोग ने अपने टर्म ऑफ रिफरेंस के अनुसार भी बिहार को विशेष राज्य नहीं दिये जाने की बात कही गयी है. अगर बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिलता है तो राज्य की प्रगति देखी जा सकती है.
Bihar & Bihari’s pay equal taxes, contribute equally or more in governance & Nation building. Bihar gave 33 MPs to NDA, 7 Union Ministers r frm Bihar, both State & Centre govts are of same party nd alliance But still these Babu’s says Bihar is backward.BJP ruling state for 10yrs https://t.co/Ii9pxjt4Xt
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) April 24, 2018
पूर्वी राज्यों पर िवशेष ध्यान : मोदी
उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि कुछ लोग नीति आयोग के सीईओ की बात पर राजनीतिक रंग चढ़ाना चाहते हैं. श्री मोदी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बार-बार कहा है कि बिहार, यूपी, पश्चिम बंगाल जैसे पूर्वी राज्यों का विकास महाराष्ट्र, गुजरात, पंजाब जैसे पश्चिमी राज्यों की तुलना में काफी कम हुआ है.
इसलिए एनडीए सरकार पूर्वी राज्यों के विकास पर विशेष ध्यान दे रही है. 2015 में बिहार को मिला सवा लाख करोड़ का आर्थिक विशेष पैकेज, मधेपुरा, मढ़ौरा में 40,000 करोड़ के निवेश से रेल इंजन कारखानों का विकास और बापू की भूमि मोतिहारी में करोड़ों रुपये की विकास योजनाओं का शिलान्यास बिहार के विकास की गति बढ़ाने वाले कदम हैं.
राष्ट्रीय एकता के हित में नहीं : शैबाल
आद्री के सदस्य सचिव शैबाल गुप्ता ने बिहार, उत्तर प्रदेश और अन्य भारतीय राज्यों के बारे में नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत के वक्तव्य को अत्यंत निंदनीय और दुखद बताया है. उन्होंने कहा कि यह राष्ट्रीय एकता के हित में नहीं है. यह आश्चर्यजनक है कि नीति आयोग जैसी संस्था के शीर्ष पद पर बैठा व्यक्ति, जिससे देश के सामाजिक–आर्थिक असमानता को समाप्त करने की आशा की जाती है, ऐसा वक्तव्य दे रहा है.
उन्होंने कहा कि अमिताभ कांत को न तो इतिहास का बोध है और न ही हिंदी हृदयप्रदेश द्वारा झेली गयी समस्याओं की समझ. हिंदी हृदयप्रदेश, खासकर बिहार और उत्तर प्रदेश का आजादी की पहली लड़ाई में गौरवपूर्ण योगदान रहा है, जिसे हम सिपाही विद्रोह के रूप में भी याद करते हैं.
जब पूरा राज्य बाबू वीर कुंवर सिंह के विजय दिवस की 160वीं जयंती मना रहा है, तो इस प्रकार का वक्तव्य बिहार का अपमान ही नहीं है, बल्कि पूरे हिंदी हृदयप्रदेश के राष्ट्रीय विकास और अनेक राज्यों के आर्थिक मजबूती के लिए किये गये योगदानों को अनदेखा करने जैसा भी है. उन्होंने कहा कि यह समझना चाहिए कि राष्ट्रीय स्वाधीनता आंदोलनों को बढ़ावा देने के निरंतर प्रयासों के कारण बिहार और उत्तर प्रदेश को अंग्रेजों द्वारा अन्य राज्यों की तुलना में अधिक प्रतिकूल बर्ताव झेलना पड़ा था, जिसका असर आजादी के बाद की राष्ट्रीय नीतियों में भी दिखा. उन्होंने कहा कि अमिताभ कांत को तत्काल पद से हटा देना चाहिए और उनके ऐसे बयानों को रोका जाना चाहिए.
यह बात कहीं से भी उचित नहीं है कि एक ऐसे समय में जहां राष्ट्र को अत्यधिक सहानुभूति और अखंडता की भावना की जरूरत है, उसी समय सरकार के अति महत्वपूर्ण पद पर बैठा व्यक्ति इस तरह का विभाजनकारी और भेदभाव की मंशा वाले वक्तव्य दे रहा है.
Input : Prabhat Khabar